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मदद को तरस रहा पाकिस्तान, कंगाली देख भी नहीं पसीज रहा IMF का दिल… लोन के लिए रखी फिर नई शर्त

इस्लामाबाद : आर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष एक अधूरे लोन प्रोग्राम पर वार्ता में फंसे हुए हैं जिसकी संकटग्रस्त मुल्क को सख्त जरूरत है। फरवरी की शुरुआत से ही दोनों के बीच बातचीत हो रही है जिसके सफल होने पर आईएमएफ पाकिस्तान को 1.1 अमेरिकी डॉलर देगा। अमेरिकी ऋणदाता के कहने पर पाकिस्तान सरकार ने कई आर्थिक संशोधन लागू किए हैं। उसने ईंधन के दाम बढ़ा दिए, टैक्स में इजाफा कर दिया और सब्सिडी को घटा दिया। लेकिन इन सब के बाद भी पाकिस्तान को कोई धनराशि हासिल नहीं हुई। अब आईएमएफ ने पाकिस्तान के आगे एक नई शर्त रख दी है।

पीकेरेवेन्यू पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, आईएमएफ ने अब इस्लामाबाद को बेलआउट किश्त जारी करने के लिए अगला कदम उठाने से पहले बाहरी वित्तीय आश्वासन (External Financing Assurances) की मांग की है। आईएमएफ और पाकिस्तान के बीच जिस फंड को लेकर बातचीत हो रही है वह 6.5 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज का हिस्सा है जिसे 2019 में मंजूर किया गया था। यह फंड पाकिस्तान को डिफॉल्ट होने से बचा सकता है।

आईएमएफ ने क्या कहा?

एक प्रेस ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए आईएमएफ की रणनीतिक संचार निदेशक जूली कोजैक ने कहा कि अधिकारियों के प्रयासों और समीक्षा को सफल बनाने के लिए बाहरी भागीदारों से समय पर वित्तीय सहायता महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना कि अधिकारियों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त वित्तपोषण सर्वोच्च प्राथमिकता है। कुछ बचे हुए बिंदुओं के पूरे होने के बाद एक स्टाफ लेवल एग्रीमेंट (SLA) होगा। हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि पाकिस्तान के साथ अगला कदम उठाने में सक्षम होने के लिए हमारे पास वे वित्तीय आश्वासन हों।

बाकी देशों को मिल चुकी है मदद

आईएमएफ चाहता है कि पाकिस्तान 7 बिलियन डॉलर तक का आश्वासन हासिल करे। पाकिस्तानी वित्त मंत्री इशाक डार कहना है कि इसे 5 अरब डॉलर के करीब होना चाहिए। जियो न्यूज की खबर के अनुसार, यह समझौता पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए अन्य द्विपक्षीय और बहुपक्षीय फंडिंग के रास्ते भी खोलेगा। एक तरफ पाकिस्तान आईएमएफ से आर्थिक मदद पाने के लिए संघर्ष कर रहा है तो वहीं कर्जदाता ने श्रीलंका और बांग्लादेश की मदद का ऐलान कर दिया है।

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