पाकिस्तानी कोई भिखारी नहीं हैं, ऐसी बदसलूकी क्यों… आईएमएफ ने बदलीं लोन की शर्तें तो शहबाज सरकार आगबबूला

इस्लामाबाद: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की तरफ से मिलने वाला बेलआउट पैकेज पाकिस्तान के लिए आर्थिक संकट में आखिरी उम्मीद था। आखिर में बात नहीं बनी और अब हालात दिन पर दिन गंभीर होते जा रहे हैं। अब जो खबरें पाकिस्तान की मीडिया में आ रही हैं, उसके मुताबिक देश की अथॉरिटीज इस बात से खासी नाराज हैं कि संगठन ने पूर्व की चार शर्तों पर अपना दिमाग बदल लिया। अखबार डॉन और एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार अब आईएमएफ की फंडिंग को हासिल करने के लिए मशक्कत कर रही है। अधिकारी पर्दे के पीछे वार्ता कर रहे हैं और प्रशासन काफी घबराया हुआ है। अथॉरिटीज की मानें तो अब कर्ज की किश्त को जारी कराने में मुश्किल बढ़ती जा रही है।
मीडिया के मुताबिक आईएमएफ ने कम से कम चार पूर्व शर्तों को बदल दिया और वह भी बिना किसी नोटिस के। जैसे ही बेलआउट पैकेज के लिए स्टाफ लेवल एग्रीमेंट होने को था इन शर्तों की वजह से परेशानी पैदा हो गई। सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि अथॉरिटीज ताजा स्थिति की वजह से संगठन से काफी नाराज हैं। उन्होंने पूरी स्थिति को पाकिस्तान के साथ बदसलूकी करार दिया है। एक सीनियर ऑफिसर ने कहा, ‘हम आईएमएफ के सदस्य हैं, भिखारी नहीं हैं या अगर ऐसा है तो फिर हमारी सदस्यता ही खत्म कर दीजिए।’ एक और अधिकारी ने कहा कि हालात इस समय बिल्कुल सन् 1998 वाले हैं। उस समय भी पाकिस्तान की आर्थिक स्थितियां बेहद खराब थीं। परमाणु परीक्षणों की वजह से हालात बद से बदतर हो गए थे और देश दिवालिया होने की कगार पर आ गया था।
आईएमएफ कर्ज प्रोग्राम की जिन चार बिंदुओं को पूरा नहीं किया जा सका है उनमें सेंट्रल बैंक की ब्याज दर को बढ़ाना शामिल है। विनिमय दर बढ़ाना, विदेशी वित्तीय अंतर को मित्र देशों से पूरा करने का लिखित भरोसा देना और बिजली की कीमतों को प्रति यूनिट 3.39 रुपए प्रति यूनिट तक बढ़ाना शामिल है। इस मूल्य वृद्धि को वित्तीय बिल के जरिए बढ़ाने की बात कही गई है। एक अधिकारी ने इन सभी बिंदुओं को पूरी तरह से अतार्किक करार दिया है।
कम आय वाला वर्ग होगा प्रभावित
अधिकारियों ने कहा कि आईएमएफ गरीबों को सार्वजनिक तौर पर मदद करना चाहता है। लेकिन वह ऐसे उपायों पर जोर दे रहा है जिसकी वजह से निश्चित तौर पर कम आय वाले वर्ग पर बुरा असर पड़ेगा। इस निराशा के बाद भी अधिकारियों ने अंदाजा लगाया हे कि स्टाफ लेवल एग्रीमेंट अगले हफ्ते किसी नतीजे पर पहुंच सकता है। साथ ही कुछ देशों से भी वित्तीय मदद मिल सकती है। कुछ देशों ने अनुमानित समय ये ज्यादा टाइम ले लिया है। हालांकि इसे स्वीकारने में भी वो हिचक नहीं रहे हैं कि विश्वसनीयता और भरोसे में कमी के अलावा राजनयिक प्रयासों में भी कमी है। इसकी वजह से हालात काफी खराब होते जा रहे हैं।
एक अधिकारी के मुताबिक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान का विदेशी मुद्राभंडार जून के अंत तक 3.1 अरब डॉलर से बढ़कर 10 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि अथॉरिटीज को 1.3 अरब डॉलर की रकम चीनी बैंकों से तीन किश्तों में मिलने वाली है। इसमें से 700 मिलियन डॉलर पहले ही हासिल हो चुके हैं। इसके बाद 500 मिलियन डॉलर और फिर 300 मिलियन डॉलर की रकम अगले कुछ दिनों में मिलेगी। सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की तरफ से भी तीन अरब डॉलर से ज्यादा की रकम मिल सकती है।