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मस्जिद में गोलियों की तड़तड़ाहट से थर्रा गए थे लोग, बाल-बाल बची थी क्रिकेटरों की जान

नई दिल्ली: बांग्लादेश क्रिकेट टीम साल 2019 में तीन वनडे और इतने ही टेस्ट मैचों सीरीज के लिए न्यूजीलैंड दौरे पर थी। वनडे सीरीज में मेजबान न्यूजीलैंड ने 3-0 से जीत हासिल कर टेस्ट में भी अपना दबदबा बनाए रखा। शुरुआत के दो टेस्ट मैच में न्यूजीलैंड ने बांग्लादेश को आसानी से हरा दिया। तीसरा टेस्ट मैच शनिवार, 16 मार्च से क्राइस्टचर्च में खेला जाना था। मुकाबले के लिए पूरी तैयारी हो चुकी थी। एक दिन पहले शुक्रवार को दोपहर में बांग्लादेश के कप्तान महमुदुल्लाह प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी बात रख कर आ गए थे।

इसके बाद पूरी टीम बस में सवार होकर जुमे के नमाज के लिए मस्जिद की तरफ निकल पड़ी। टीम को 1 बजकर 30 मिनट पर नमाज के लिए मस्जिद पहुंचना था लेकिन टीम बस को कुछ मिनट की देरी हो गई। टीम क्राइस्टचर्च के मस्जिद के पास जैसे ही पहुंची पूरा इलाका गोली की तड़तड़ाहट से थर्रा उठा। टीम बस में बैठे खिलाड़ियों कुछ समझ नहीं आया कि हुआ क्या है।

    चारों तरफ अफरा तफरी का माहौल था, जिसको जहां जगह मिली वह भाग कर अपनी जान बचाने में जुट गया। इस बीच बांग्लादेशी क्रिकेटर भी जान हथेली पर रखकर पास में ही एक पार्क में जाकर खुद को किसी तरह सुरक्षित किया। मस्जिद में हुए इस हमले से पूरी टीम सहम गई थी। किसी तरह वहां से सभी खिलाड़ियों को सुरक्षित होटल लाया गया। इसके बाद शाम को बांग्लादेशी टीम ने आखिरी टेस्ट मैच को रद्द करने का फैसला किया।


    क्रिकेट के लिए था काला दिन

    क्राइस्टचर्च के मस्जिद में हुए हमले में कुल 50 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। गनीमत यह रही कि बांग्लादेश के किसी भी क्रिकेटर को कोई गंभीर चोट नहीं लगी। इस घटना को क्रिकेट के इतिहास में काले दिन के रूप में याद किया जाता है। बांग्लादेश के ओपनर बल्लेबाज तमीम इकबाल ने ट्वीट कर पूरी टीम को सुरक्षित होने की जानकारी दी। बांग्लादेशी खिलाड़ी आज भी उस घटना को याद कर सहम जाते हैं।

    देरी की वजह से बची थी जान

    माना जाता है कि जब बांग्लादेशी टीम नमाज के लिए निकल रही थी तो कुछ खिलाड़ी फुटबॉल खेलने में व्यस्त थे। इस कारण नमाज के लिए कुछ मिनट की देरी हो गई थी। टीम बस क्राइस्टचर्च में जैसे ही पहुंची वहां पहले से गोलीबारी शुरू हो चुकी थी। इस देरी के कारण ही बांग्लादेशी खिलाड़ी मस्जिद में नहीं जा सके जिसके कारण बाल-बाल उनकी जान बच गई।

    अगर टीम समय से नमाज के लिए मस्जिद पहुंच जाती तो शायद और भी बड़ी अनहोनी हो सकती थी लेकिन गनीमत रही की उस गोलीबारी की घटना सभी क्रिकेटर सुरक्षित रहे।

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