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मुस्कुराते हुए संसद पहुंचे राहुल गांधी, माफी के सवाल पर कहा- मैंने कुछ भी देशविरोधी नहीं कहा

नई दिल्‍ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी हंगामे की भेंट चढ़ रहा है। लोकतंत्र का मंदिर कही जाने वाली संसद में ‘पूजा’ ही नहीं हो पा रही। हर रोज कार्यवाही शुरू होते ही शोरशराबा होता है और फिर स्‍थगन। लोकसभा हो या राज्यसभा, दोनों सदनों में यही हो रहा है। पक्ष और विपक्ष कोई पीछे हटकर सदन चलाने को तैयार नहीं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के लंदन वाले बयान पर बीजेपी हमलावर है। वहीं, विपक्ष के पास अडानी से लेकर जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग का मुद्दा है। गुरुवार को भी संसद की कार्यवाही शुरू होते ही लोकसभा और राज्यसभा में हंगामा शुरू हो गया। दोनों सदनों की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है। यहां देखिए सभी अपडेट्स

    संसद शुरू होने से पहले पक्ष-विपक्ष की मीटिंग

    संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले पक्ष और विपक्ष, दोनों रणनीति बनाने में जुटे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मीटिंग में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, खेल मंत्री अनुराग ठाकुर, कानून मंत्री किरेन रिजिजू और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी शामिल हैं। वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे की संसद भवन में समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ मीटिंग चल रही है। इनमें कई विपक्षी दलों के सांसदों के बीच राज्यसभा के लिए रणनीति पर चर्चा हो रही है।

    दोनों सदनों में कार्यस्थगन नोटिस

    कांग्रेस सांसदों मनीष तिवारी, मणिकम टैगोर ने लोकसभा जबकि रणजीत रंजन और डॉ. सैयद नासीर हुसैन ने राज्यसभा में कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है। मनीष तिवारी ने ‘संविधान के अनुच्छेद 105 के तहत सांसदों के लिए भाषण की स्वतंत्रता का सार, तत्व और आत्मा’ विषय पर बहस की मांग की है। वहीं, मणिकम टैगोर ने अडानी मुद्दे पर बहस की मांग की है। रणजीत रंजन ने राज्यसभा में नियम 267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव देते हुए ‘अडानी ग्रुप में कंपनी के स्तर पर फर्जीवाड़ा, राजनीतिक भ्रष्टाचार, शेयर बाजार में गड़बड़ियां और वित्तीय कुप्रबंधन’ पर चर्चा की मांग की है। डॉ. सैयद नासीर हुसैन ने भी नियम 267 के तहत ही राज्यसभा में नोटिस देकर ‘देश में बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रहार की चिंताजनक प्रवृत्ति’ पर बहस की मांग की है।

    राहुल के माफी मांगने का सवाल ही नहीं: कांग्रेस

    लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधनी ने कहा कि रोज-रोज सत्ताधारी दल के नेता संसदीय कार्यवाहियों को बाधित करते हैं लेकिन इसका ठीकरा विपक्ष पर फोड़ते हैं। कर्नाटक चुनाव के मद्देनजर वो राहुल गांधी की छवि खराब करने की साजिश रच रहे हैं। अगर मोदी सरकार में हिम्मत है तो उसे राहुल गांधी के भाषण पर संसद में बहस की अनुमति देनी चाहिए। हम साबित कर देंगे कि कौन देश के खिलाफ है। राहुल गांधी नहीं, मोदी सरकार देश विरोधी है। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने राहुल गांधी के माफी मांगने के सवाल पर कहा कि बीजेपी साजिश रच रही है। उन्होंने कहा, ‘ये उनकी सदन को नहीं चलने देने की साजिश है और हमारी जो JPC की मांग है उसको नजरअंदाज करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। वे बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे को एक तरफ रखकर लोगों को राहुल गांधी का लोकतांत्रिक भाषण दिखा रहे हैं। जब-जब PM खुद बाहर गए हैं तो उन्होंने देश के खिलाफ बात की और जनता का अपमान किया। तो माफी मांगने का कोई सवाल ही नहीं।’

    देश के अपमान पर चुप नहीं बैठ सकते: रिजिजू

    राहुल गांधी कुछ कहते हैं और उसके लिए कांग्रेस मुसीबत में फंस जाती है। हमारा इससे कुछ भी लेना-देना नहीं है। लेकिन अगर वो हमारे देश का अपमान करेंगे तो इस देश का नागरिक होने के नाते हम चुप नहीं बैठ सकते। राहुल गांधी को लंदन सेमीनार में दिए गए अपने बयानों को लेकर माफी मांगनी ही चाहिए। उन्होंने हमारे लोकतंत्र, हमारी न्यायपालिका और हमारे राष्ट्र का अपमान किया है। हमें उन लोगों के खिलाफ आवाज उठानी ही होगी जो हमारे देश के खिलाफ बोलते हैं।
    किरेन रिजिजू, केंद्रीय कानून मंत्री

    लगातार तीसरे दिन भी नहीं चली संसद

    राहुल गांधी के बयान और अडाणी मामले को लेकर बुधवार को भी सत्ता पक्ष और विपक्ष अपने-अपने मुद्दों पर अड़े रहे। तीसरे दिन भी संसद के दोनों सदनों में गतिरोध रहा। लोकसभा में शोर-शराबे के कारण सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद महज कुछ मिनटों में दो बजे तक स्थगित हो गई। उसके बाद दिनभर के लिए कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। खरगे ने राहुल गांधी का बचाव करते हुए कहा कि उनके ब्रिटेन वाले बयान के लिए माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता।

    16 विपक्षी दलों ने मार्च निकाल दिखाई ताकत

    कांग्रेस समेत 16 विपक्षी दलों ने अडानी मामले की जांच की मांग करते हुए बुधवार को संसद भवन से प्रवर्तन निदेशालय (ED) मुख्यालय की तरफ मार्च निकाला। हालांकि पुलिस ने उन्हें विजय चौक पर ही रोक दिया। ईडी के निदेशक एसके मिश्रा को ईमेल कर विपक्षी नेताओं ने कहा कि ईडी अपने अधिकार क्षेत्र का त्याग नहीं कर सकती। उसे अडानी मामले की जांच करनी चाहिए। टीएमसी और एनसीपी जैसे दलों के नेताओं ने मार्च में हिस्सा नहीं लिया। टीएमसी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की बीजेपी और सीपीएम से मिलीभगत है। हम कांग्रेस की बुलाई बैठकों में नहीं जा सकते। हमारी पार्टी संसद में अपने मुद्दों पर विरोध करेगी। विपक्षी दलों ने ईडी को जो मेल लिखा, उस पर कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, जेडीयू, शिवसेना (यूबीटी), आरजेडी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, AAP, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और कई अन्य दलों के नेताओं ने साइन किए हैं।

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