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Supreme Court: नफरत भरे भाषण को कोई नहीं कर सकता स्वीकार, दो अगस्त के फैसले का दिया गया है हवाला

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से नफरत भरे भाषण के मामलों पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने को कहा। शीर्ष अदालत ने कई राज्यों में रैलियों को दौरान हुई हिंसा और उनके सामाजिक तथा आर्थिक बहिष्कार के आह्वान संबंधी कथित घोर नफरत भरे भाषणों को लेकर दाखिल की गई एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। मालूम हो कि हाल ही में हरियाणा में हुए दंगों में छह लोगों की मौत हो गई थी।

कोई नहीं कर सकता स्वीकार

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ ने इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज से निर्देश लेने और 18 अगस्त तक समिति के बारे में सूचित करने को कहा। पीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि समुदायों के बीच सद्भाव और सौहार्द होना चाहिए। इसके लिए सभी समुदाय जिम्मेदार हैं। नफरती भाषण की समस्या अच्छी नहीं है और कोई भी इसे स्वीकार नहीं कर सकता।

दो अगस्त के फैसले का दिया गया है हवाला

अदालत ने इस दौरान याचिकाकर्ता को वीडियो सहित सभी सामग्री एकत्र करने को कहा। मालूम हो कि शीर्ष अदालत में दाखिल याचिका में कोर्ट के दो अगस्त के आदेश का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकारें और पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि किसी भी समुदाय के खिलाफ कोई नफरत भरा भाषण न दिया जाए और कोई हिंसा न हो या संपत्तियों को नुकसान न हो।

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