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गाड़ियों में अनिवार्य हो सकता है नींद पर अलर्ट करने वाला सिस्टम

नई दिल्‍ली: क्रिकेटर ऋषभ पंत की कार का एक्‍सीडेंट उन्‍हें झपकी आने के चलते हुआ। उत्‍तराखंड पुलिस की शुरुआती जांच में यही इशारा मिला है। ऐसे हादसों को रोकने के लिए भारत सरकार वाहनों में खास सिस्‍टम अनिवार्य कर सकती है। इन्‍हें कार, ट्रक और बस में लगाना अनिवार्य हो सकता है। अगर ड्राइवर को झपकी आई तो Drowsiness Alert System उन्‍हें ऑडियो अलर्ट से सतर्क करेगा। इस सिस्‍टम के लिए मानक ड्राफ्ट किए जा रहे हैं। कई देशों में इस तरह के सिस्‍टम इस्‍तेमाल होते हैं। इनमें अलग-अलग तकनीक से तय किया जाता है कि नींद आ रही है। कुछ सिस्‍टम स्‍टीयरिंग पैटर्न पर नजर रखते हैं तो कुछ ड्राइविंग लेन में गाड़ी की पोजिशन पर। ड्राइवर की आंखों और चेहरे के आधार पर नींद का अनुमान लगाने वाले सिस्‍टम भी यूज होते हैं। ड्राइविंग करते वक्‍त झपकी आना बेहद खतरनाक है। गाड़ी बेहद तेज रफ्तार में हो तो ड्राइवर को रिएक्‍ट करने का टाइम ही नहीं मिलता, ब्रेक्‍स लगाने में देर हो जाती है।

एक्‍सपर्ट कमिटी ने Drowsiness Alert System के लिए एक ड्राफ्ट ऑटोमोटिव इंडस्‍ट्री स्‍टैंडर्ड (AIS) तैयार किया है। इसे जल्‍द ही फीडबैक के लिए पब्लिक डोमेन में रखा जाएगा। सूत्रों के अनुसार, इस सिस्‍टम को कब से लागू किया जाएगा और क्‍या कुछ खास कैटिगरीज के वाहनों में ऐसे अलर्ट सिस्‍टम को इंस्‍टॉल करना अनिवार्य होगा, इसपर फैसला होना है। हालांकि, उन्‍होंने इशारा किया कि ट्रकों, बसों और कारों में ऐसे डिवाइसेज को इंस्‍टॉल करना जरूरी है।

आधी रात के बाद बढ़ जाता है ड्राइवर्स को झपकी आने का खतरा

सड़क परिवहन मंत्रालय ने 2018 में 15 राज्‍यों के ड्राइवर्स का सर्वे किया। 25% ड्राइवर्स ने माना कि उन्‍हें गाड़ी चलाते-चलाते झपकी आ चुकी है। ग्‍लोबल स्‍टडीज बताती हैं कि हाइवे और गांव की सड़कों पर चलते हुए, आधी रात से लेकर सुबह 6 बजे के बीच ड्राइवर्स को झपकी आने की संभावना ज्‍यादा होती है।

अमेरिका, ब्रिटेन जैसे विकसित देशों में ऐसी घटनाओं का डेटा रखा जाता है। हालांकि, भारत में ड्राइविंग के वक्‍त झपकी आने से हादसों पर कोई डेटा उपलब्‍ध नहीं है।


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