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कोई PM मोदी पर बोला तो कोई पाकिस्तान पर, बयानों से सुर्खियों में आए पवन खेड़ा और कृष्ण गोपाल को जानिए

नई दिल्‍ली: बीते हफ्ते कांग्रेस के सीनियर नेता पवन खेड़ा प्रधानमंत्री पर दिए विवादित बयान और उसके बाद हुए घटनाक्रम को लेकर खासी चर्चा में रहे। दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने कहा कि भुखमरी से त्रस्त पाकिस्तान को भारत की ओर से मदद दी जानी चाहिए। अपने बयानों से सुर्खियों में आए इन दोनों लोगों के बारे में बता रहे हैं नरेन्द्र नाथ और पूनम पांडे

    ब्रांड शीला को बनाने वाले पवन खेड़ा

    कांग्रेस के मीडिया और पब्लिसिटी सेल के चेयरमैन पवन खेड़ा पहले तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दिए अपने बयान को लेकर चर्चा में आए। मगर इसकी चर्चा ने और जोर तब पकड़ा, जब उनके बयान को लेकर असम पुलिस ने उन्हें एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया। हालांकि उसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत भी दे दी। गिरफ्तारी का मामला ठीक उस दिन हुआ, जिस दिन रायपुर में कांग्रेस का अधिवेशन शुरू होने वाला था। इस पूरे प्रकरण की टाइमिंग और इसके पीछे की मंशा को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में खूब बयानबाजी भी हुई। यह विवाद गौतम अडानी से जुड़े मसले पर कांग्रेस की ओर से की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस से शुरू हुआ। इसमें प्रधानमंत्री मोदी और उनके पिता का नाम गलत तरीके से लिया गया था। हालांकि कांग्रेस नेता के मुताबिक उनकी जुबान फिसल गई थी।

    वैसे पवन खेड़ा कांग्रेस में हाल में तेजी से उभरने वाले नेताओं में शामिल हैं। वह ऐसे समय मीडिया में पार्टी की अहम आवाज बने, जब माना जा रहा था कि कांग्रेस की कम्युनिकेशन पावर बेहतर नहीं है। हिंदी-अंग्रेजी पर समान पकड़ होने के कारण पार्टी को डिफेंड करने वह नियमित रूप से टीवी पर भेजे जाने लगे। आक्रामक रूप से पार्टी का पक्ष रखने के कारण पार्टी के अंदर उनका कद भी बढ़ने लगा। वैसे पिछले साल राज्यसभा का टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने सार्वजनिक रूप से असंतोष जताया तो ऐसा लगा कि पार्टी के असंतुष्ट चेहरों में एक और नाम जुड़ेगा। लेकिन उन्होंने पार्टी छोड़ने की किसी भी संभावना से तुरंत इनकार किया और पार्टी से मजबूत आवाज के रूप में लगातार जुड़े रहे। इसका लाभ भी उन्हें मिला। उन्हें पार्टी कम्युनिकेशंस डिपार्टमेंट में मीडिया और पब्लिसिटी सेल का चेयरमैन नियुक्त किया गया। तब से पार्टी के अंदर उन्हें एक के बाद कई जिम्मेदारियां मिलीं।

    2014 से पहले भी पवन खेड़ा दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित के सचिव के तौर पर लगातार चर्चा में रहते थे। ब्रांड शीला के उभरने के पीछे उनकी भूमिका को अहम माना गया। राजीव गांधी से प्रभावित होकर युवावस्था में ही युवा कांग्रेस से जुड़ने वाले पवन खेड़ा कुछ सालों के लिए कांग्रेस से अलग भी हो चुके हैं। लेकिन 1998 में कांग्रेस में दोबारा शामिल हुए और तब से लगातार पार्टी से जुड़े हैं। पवन खेड़ा के बारे में कहा जाता है कि वह पुरानी और नई पीढ़ी के बीच पुल का काम करते हैं, क्योंकि दोनों ही पीढ़ियों के साथ उनके बेहतर संबंध हैं। पवन खेड़ा की पत्नी कोटा नीलिमा भी तेलंगाना कांग्रेस से जुड़ी हुई हैं। वह पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट रह चुकी हैं।

    बीजेपी-संघ में पुल रहे हैं कृष्ण गोपाल

    संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी कृष्ण गोपाल ने कहा है कि पाकिस्तान की भुखमरी के दौरान भारत उन्हें गेहूं भेज सकता है। कृष्ण गोपाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह हैं। इसे किसी संगठन के जॉइंट सेक्रेटरी जैसा पद माना जा सकता है। कृष्ण गोपाल ने कहा कि पाकिस्तान में आटा 250 रुपए किलो हो गया है। हमें यह देखकर दुख होता है। हम उन्हें आटा भेज सकते हैं। भारत पाकिस्तान को 25-50 लाख टन गेहूं भी दे सकता है, लेकिन वह मांगता ही नहीं है। उन्होंने पाकिस्तान को लेकर कहा कि 70 साल पहले वह हमारे साथ ही था। अफसोस के स्वर में उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच इस दूरी का क्या फायदा है। हम तो चाहते हैं कि उनके यहां कोई कुत्ता भी भूखा ना रहे।

    कृष्ण गोपाल संघ के सबसे पुराने चेहरों में रहे हैं। करीब दो साल पहले तक कृष्ण गोपाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी के बीच समन्वय का जिम्मा संभालते थे। उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से एनवायरन्मेंट साइंस में मास्टर डिग्री ली है। इसके बाद काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च से पीएचडी भी की। वह उत्तर प्रदेश के मथुरा के रहने वाले हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश में अलग-अलग जगह संघ का काम देखा है। उसके बाद उन्हें नॉर्थ ईस्ट में संघ का जिम्मा देखने का दायित्व दिया गया। कृष्ण गोपाल नॉर्थ ईस्ट में करीब नौ साल तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक रहे। उन्हें साल 2012 में संघ का सह सरकार्यवाह बनाया गया। अक्टूबर 2014 में उन्हें संघ और बीजेपी के बीच समन्वय की जिम्मेदारी दी गई। समन्वय के हिसाब से यह सबसे महत्वपूर्ण काल माना गया था, क्योंकि तब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे।

    वह सात सालों तक संघ और बीजेपी के बीच समन्वय का जिम्मा संभालते रहे। दो साल पहले 2021 में उन्हें इस जिम्मेदारी से मुक्त किया गया और अरुण कुमार को संघ और बीजेपी के बीच कोऑर्डिनेशन का काम सौंपा गया। संघ इस वक्त मुस्लिम समुदाय में भी आउटरीच कर रहा है। मुस्लिम समुदाय की कई जानी-मानी हस्तियों सहित मौलानाओं से संघ के पदाधिकारियों की मीटिंग हो रही है। कृष्ण गोपाल भी इन मीटिंग्स का हिस्सा हैं। वह संघ की तरफ से दूसरे पदाधिकारियों के साथ मिलकर मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों से बातचीत कर सहमति के बिंदुओं तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। वह इस कवायद के सबसे अहम व्यक्ति हैं। उनका ताजा बयान भी उसी कवायद का हिस्सा माना जा रहा है।

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