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शर्बत-शिकंजी पर भी आफत, गर्मी की शुरुआत में ही बढ़े चीनी के दाम

नई दिल्ली: इस साल गन्ने का उत्पादन कम हुआ था। लेकिन अभी तक इसका असर नहीं दिखा था। पर गर्मी की आहट शुरू होते ही चीनी के दाम बढ़ गए। पिछले दो हफ्ते की ही बात करें तो इस दौरान चीनी के दाम में करीब छह फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है। बताया जाता है कि थोक ग्राहकों की लगातार मांग निकल रही है। इस वजह से आगे भी इनकी कीमतों में और तेजी का अनुमान लगाया जा रहा है। इससे ग्राहकों केा भले ही ज्यादा जेब ढीली करनी पड़े, लेकिन एक अच्छी बात भी होगी। चीनी के दाम बढ़ने से चीनी कंपनियों की आमदनी बढ़ेगी। इससे गन्ना किसानों को बकाये का भुगतान करने में मदद मिलेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी की कीमतों में तेजी से इस क्षेत्र की कंपनियों का लाभ सुधर सकता है। इनमें धामपुर, रेणुका सुगर, बलरामपुर चीनी, डालमिया भारत और द्वारिकेश जैसी कंपनियां हैं। इससे ये कंपनियां समय पर किसानों का बकाया भुगतान कर सकेंगी।


रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र के चीनी उत्पादन अनुमान में कटौती की गई है। 30 सितंबर को समाप्त होने वाले चीनी वर्ष 2022-23 के दौरान राज्य में 1.05 करोड़ टन चीनी उत्पादन का संशोधित अनुमान है। पहले राज्य में कुल चीनी उत्पादन का अनुमान 1.37 करोड़ टन का था। चीनी की कीमत में हाल में प्रति क्विंटल 50 से 70 रुपये की तेजी आई है। महाराष्ट्र में M/30 ग्रेड की चीनी की एक्स मिल कीमत 3480 से 3500 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है। वहीं कर्नाटक में 3550 रुपये, यूपी में 3635 से 3695 रुपये, गुजरात में 3501 से 3541 रुपये, तमिलनाडु में 3550 से 3600 रुपये, मध्य प्रदेश में 3650 से 3600 रुपये और पंजाब में 3725 से 3771 रुपये प्रति क्विंटल का भाव चल रहा है। इसमें जीएसटी शामिल नहीं है। स्पॉट प्राइस की बात करें तो दिल्ली में एम30 ग्रेड की चीनी की कीमत 3,969 रुपये कानपुर में 3916.50 रुपये, कोल्हापुर में 3727.50 रुपये, कोलकाता में 4126.50 रुपये और मुजफ्फरनगर में 3885 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है।


गर्मी में बढ़ जाती है चीनी की मांग

गर्मी में हर साल चीनी की मांग बढ़ जाती है। इस मौसम में हर घर में शर्बत और शिकंजी का दौर चलते ही रहता है। मेहमानों को भी चाय के बजाय लस्सी या शर्बत ही ऑफर किया जाता है। इन दिनों कोल्ड ड्रिंक की भी खपत बढ़ती है। इसमें भी चीनी का खूब उपयोग होता है। इसके अलावा, शादियों के सीजन के दौरान भी चीनी की खपत आमतौर पर ज्यादा होती है।

चीनी निर्यात की भी दी गई है अनुमति

भारत सरकार ने चीनी मिलों को राहत देने के लिए इसके निर्यात की अनुमति दी है। लेकिन इस सीजन में सिर्फ 6.1 मिलियन टन चीनी के निर्यात की ही अनुमति है। इससे पहले, पिछले साल इस 11 मिलियन टन चीनी के निर्यात की अनुमति थी। इसके अलावा बताया जाता है कि कुछ पड़ोसी देशों में चीनी की तस्करी की भी यदा कदा बात की जाती है। हालांकि आधिकारिक स्तर पर इसे नकार दिया जाता है।

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