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तालिबान ने दिल्ली के लिए राजदूत की घोषणा की, क्या भारत की ओर से दी गई मान्यता

नई दिल्ली: तालिबान ने पहली बार भारत में अफगानिस्तान दूतावास के लिए राजदूत की नियुक्ति की है। तालिबान के एक टॉप लीडर की ओर से इसकी पुष्टि की गई है। तालिबान के अनुसार इस राजनयिक प्रतिनिधि कादिर शाह को काबुल से नहीं भेजा गया है वह दूतावास के साथ काम कर रहे थे। तालिबान का कहना है कि इससे भारत के साथ बेहतर संबंध स्थापित होंगे। यह विश्वास बढ़ाने वाला कदम है साथ ही भारत के साथ बेहतर संबंधों का रास्ता और बेहतर है। भारत सरकार, जिसने काबुल में नई व्यवस्था को मान्यता नहीं दी भले ही उसने पिछले साल जून में काबुल में अपना दूतावास फिर से खोल दिया था। अभी तक स्पष्ट नहीं है कि इस निर्णय को आधिकारिक तौर पर भारत सरकार को सूचित किया गया है या नहीं।

भारत की ओर से काबुल दूतावास को खोले जाने के बाद तालिबान चाहता था कि उसका राजदूत नई दिल्‍ली में तैनात किया जाए। तालिबान के विदेश मंत्रालय ने पिछले साल जुलाई में पहली बार अपने राजदूत की तैनाती के लिए अनुरोध किया था। भारत में अफगानिस्तान दूतावास अभी भी राजदूत फरीद मामुन्दजई द्वारा चलाया जाता है, जिसे अशरफ गनी सरकार द्वारा नियुक्त किया गया था। तालिबान हमले के बाद सरकार चली गई हालांकि तब से दूतावास की स्थिति स्पष्ट नहीं है।

रविवार को फरीद मामुन्दजई ने एक फेसबुक पोस्ट में अफगानिस्तान मीडिया को फटकार लगाई। मामुन्दजई ने अफगानों को आश्वासन दिया कि दूतावास अभी भी उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए पूरी पारदर्शिता के साथ काम कर रहा है। भारत बाकी अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तरह, काबुल में तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है लेकिन अफगानिस्तान को राहत सहायत भेजी है।

भारत ने पिछले 18 महीनों में नियमित रूप से अफगानिस्तान को राहत सामग्री भेजी है, जिसमें गेहूं भी शामिल है। पिछले दिनों भारत ने ईरान में चाबहार बंदरगाह के जरिए अफगानिस्तान को मानवीय सहायता देने का ऐलान किया था । इस बंदरगाह का इस्तेमाल अतीत में अफगानिस्तान को सहायता भेजने के लिए किया जाता रहा है।

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