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हिबतुल्लाह अखुंदजादा को सुप्रीम कमांडर पद से हटाएगा तालिबान, लेकिन क्यों? जानिए किसे मिलेगी कमान

काबुल: तालिबान के सुप्रीम कमांडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा को जल्द ही उसके पद से हटा सकता है। अखुंदजादा को लेकर तालिबान के शीर्ष नेतृत्व में जबरदस्त खींचतान मची हुई है। दरअसल, तालिबान महिला शिक्षा को लेकर पूरी दुनिया में घिरा हुआ है। तालिबान का एक धड़ा चाहता है कि अफगान महिलाओं को शिक्षा की अनुमति दी जाए। लेकिन, सुप्रीम कमांडर अखुंदजादा इस्लामिक नियम और शरिया कानून का हवाला देकर बार-बार महिलाओं पर प्रतिबंध का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में तालिबान सरकार के टूटने का खतरा पैदा हो गया है। अगर तालिबान में फूट पड़ती है तो इसका सीधा असर अफगानिस्तान की मौजूदा कार्यवाहक सरकार पर पड़ेगा।

बरादर बन सकता है तालिबान का नया प्रमुख

न्यूज18 की रिपोर्ट के अनुसार, माना जा रहा है कि उप प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर तालिबान के अमीर-उल-मोमिनीन पद पर मौजूद अखुंदजादा की जगह ले सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि हिबतु्ल्लाह अखुंदजादा को पद से हटाने की प्रक्रिया अभी प्रारंभिक चरण में है। तालिबान ने पिछले साल दिसंबर में विश्वविद्यालयों में महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया था। तभी से लेकर तालिबान में अंदरूनी तौर पर खींचतान मची हुई है। कई वरिष्ठ तालिबान नेताओं के परिवार की लड़कियां पाकिस्तान समेत कई खाड़ी देशों में शिक्षा ग्रहण कर रही हैं।

इन नेताओं के नाम पर हुआ विचार

तालिबान के अधिकारियों ने अखुंदजादा के उत्तराधिकारी के रूप में जिन नामों पर विचार किया, उसमें मुल्ला अब्दुल गनी बरादर, मुल्ला मोहम्मद याकूब और सिराजुद्दीन हक्कानी प्रमुख हैं। तालिबान सबसे पहले हक्कानी को अमीर-उल-मोमिनीन बनाना चाहता था, लेकिन वह काबुल छोड़ने को तैयार नहीं है। हक्कानी के पास वर्तमान में अफगानिस्तान सरकार का ताकतवर आंतरिक मंत्रालय है। ऐसे में वह सत्ता का आनंद छोड़कर कंधार में कुछ चुनिंदा लोगों के बीच कैद नहीं होना चाहता। याकूब को भी इस पद के लिए योग्य नहीं माना गया, क्योंकि उसकी उम्र सिर्फ 33 साल है। ऐसे में अब सबकी नजरें मुल्ला अब्दुल गनी बरादर की ओर ही है।

हक्कानी और याकूब भी चाहते हैं महिलाओं की आजादी

अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी और रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध को लेकर सहमत नहीं हैं। वह चाहते हैं कि इस नियम को बदला जाए, क्योंकि विरोध बढ़ने पर तालिबान सरकार के पलटने का खतरा पैदा हो सकता है। उन्होंने इसे लेकर सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा से बातचीत भी की, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला। अखुंदजादा इस बात पर जोर दे रहे हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय दबाव में प्रतिबंध को वापस नहीं लेंगे।

तालिबान को क्यों आई महिलाओं की याद

वहीं, हक्कानी और याकूब का कहना है कि अफगानिस्तान को अभी अंतरराष्ट्रीय समर्थन की जरूरत है। ऐसे में तालिबान सरकार को महिलाओं की शिक्षा पर लगे प्रतिबंध को हटाना चाहिए। इससे विदेशों का ध्यान अफगानिस्तान की तरफ आकृष्ट होगा और उन्हें मदद मिल सकेगी। ऐसे में तालिबान के एक शीर्ष सूत्र ने बताया कि अखुंदजादा कोई तार्किक कारण नहीं दे रहे हैं। ऐसे में तालिबान के उच्च अधिकारी इस बात पर विचार कर रहे हैं कि सर्वोच्च नेता को कैसे पद से बेदखल किया जाए।

महिलाओं के खिलाफ लगातार प्रतिबंध लगा रहा तालिबान

हक्कानी और याकूब अतीत को भुलाकर तालिबान का उदारवादी चेहरा दुनिया के सामने पेश करना चाहते हैं। ऐसे में वे सरकार की तरफ से विदेशी शक्तियों के साथ तालमेल का प्रयास कर रहे हैं। हाल में ही तालिबान ने अफगानिस्तान में गैर सरकारी संगठनों में काम करने वाली महिलाओं पर प्रतिबंध लगाया है। तालिबान का तर्क है कि ये महिलाएं कार्यस्थल पर इस्लामी कानूनों का पालन नहीं कर रही हैं। ऐसे में अफगानिस्तान के ग्रामीण क्षेत्रों, खासकर महिला आबादी को मिलने वाली सहायता लगभग बंद हो गई है।

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