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इफ्तारी के फल लेकर आ रहा था सेना का वो ट्रक, आज ईद नहीं मना रहे कश्मीर के गांववाले

नई दिल्ली: आज पूरा देश खुशी के साथ ईद का त्योहार मना रहा है लेकिन जम्मू-कश्मीर में पुंछ के एक गांव में खामोशी है। यहां मातम पसरा है। गांव के लोगों ने इस साल ईद न मनाने का फैसला किया है। वजह जानकर आपकी आंखें नम हो जाएंगी। दरअसल, बीते गुरुवार को सेना के जिस ट्रक पर हमला हुआ था, वह इसी संगीयोते (Sangiote) गांव आ रहा था। इस आतंकी हमले में राष्ट्रीय राइफल्स के पांच सैनिक शहीद हो गए थे। इस ट्रक में गुरुवार शाम इफ्तार दावत के लिए फल और दूसरे सामान लाए जा रहे थे। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक Balakote में राष्ट्रीय राइफल्स के बसूनी मुख्यालय से सामान ट्रक से पहुंचाया जा रहा था। ट्रक में कुछ और सामान भींबर गली इलाके से रखा गया था। पुंछ और राजौरी के बीच सेना के काफिले की आवाजाही के कारण यहां राष्ट्रीय राइफल्स की काफी मौजूदगी रहती है। इस बीच, खबर है कि आईबी ने गृह मंत्रालय को हमले पर रिपोर्ट सौंप दी है।

आईबी रिपोर्ट में बताया गया है कि हमले में स्टील बुलेट का इस्तमाल हुआ है। कुल सात आतंकी हमले में शामिल थे, इनमें तीन विदेशी थे। करीब 2000 कमांडो सर्च ऑपरेशन में जुटे हैं। बताया गया है कि ट्रक से दो ग्रेनेड पिन मिले हैं। स्टिकी बम से हमला किया गया था और गाड़ी पर 36 राउंड फायरिंग की गई थी।

जम्मू-कश्मीर के मुसलमानों के हित में काम करने का दावा करने आतंकियों को कब यह एहसास हाग कि पीड़ित भी उनके अपने लोग हैं।
अब क्या ईद मनाएं…
गांव के सरपंच मुख्तियाज खान को भी इफ्तार के लिए बुलाया गया था। उन्होंने कहा, ‘क्या इफ्तार जब हमारे पांच जवान उस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में शहीद हो गए। जैसे ही हमें सोशल मीडिया ग्रुप से आतंकी हमले के बारे में सूचना मिली, गांव में मातम छा गया।’ खान ने बताया कि शनिवार को केवल नमाज पढ़ी जाएगी, गांव के लोग ईद नहीं मनाएंगे। हमले के बाद जले ट्रक की जो तस्वीर सामने आई है उसमें पीछे प्लास्टिक का जला क्रैट और तरबूज, पपीता, सेब आदि दिखाई दे रहा है। अक्सर आतंकियों की तरफ से ये बातें उछाली जाती हैं कि वे कश्मीरी मुसलमानों के लिए बंदूक उठाए हुए हैं। एक दिन पहले अलकायदा आतंकी संगठन ने अतीक अहमद के सपोर्ट में माहौल खराब करने की कोशिश की थी लेकिन कश्मीर के गांववालों ने ऐसे आतंकियों को अपने फैसले से करारा जवाब दिया है।दिखते ही होगा काम तमाम
उस रोज दोपहर में करीब 3 बजे ट्रक सामान लेकर गांव से 7-8 किमी की दूरी पर था कि झाड़ी में छिपे अज्ञात हमलावरों ने फायरिंग शुरू कर दी। कई दिशाओं से हमला किया गया था। इस मामले में कम से कम 12 लोगों को हिरासत में लिया गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। बाटा-डोरिया इलाके के घने जंगल में सुरक्षाबलों ने बड़ा तलाशी अभियान शुरू किया है। इसमें ड्रोन, खोजी कुत्ते और एक एमआई हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है। जंगल में सात आतंकी छिपे हो सकते हैं। सेना ने देखते ही गोली मारने के आदेश दिए हैं।

इससे पहले संदेह जताया गया था कि 3-4 आतंकवादियों के एक समूह ने इस हमले को अंजाम दिया और उन्होंने किसी विस्फोटक, बम या ग्रेनेड का इस्तेमाल किया था जिससे सेना की गाड़ी में आग लग गई। समझा जाता है कि आतंकी समूह एक साल से इस इलाके में एक्टिव था। इस हमले में एक स्नाइपर भी शामिल हो सकता है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी हमले की जांच कर रही है। इस हमले की जिम्मेदारी पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट ने ली है, जो पाकिस्तानी आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा संगठन बताया जा रहा है। PAFF कश्मीर में एक्टिव है। यह आर्टिकल 370 हटने के बाद से चर्चा में आया था।

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