खेल

भ्रष्टाचार का गढ़, कुंभकर्ण… आम्रपाली प्रोजेक्ट्स को लेकर एनबीसीसी और नोएडा अथॉरिटी में तू-तू, मैं-मैं

नई दिल्ली: आम्रपाली के होमबायर्स (Amrapali homebuyers) के लिए अच्छी खबर है। उन्हें वे सारी सुविधाएं मिल सकती हैं जिनका वादा फ्लैट बुक कराते समय किया गया था। आम्रपाली के प्रोजेक्ट्स को अब सरकारी कंपनी एनबीसीसी (NBCC) पूरा कर रही है। माना जा रहा था कि होमबायर्स को कुछ सुविधाओं और कॉमन एरिया को छोड़ना पड़ सकता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने संकेत दिया है कि पहले अप्रूव किए जा चुके कॉमन एरिया के साथ कोई बदलाव नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने साथ ही एनबीसीसी को अनयूज्ड फ्लोर एरिया रेश्यो (FAR) के बारे में प्रपोजल देने को कहा है। आम्रपाली के होमबायर्स अनयूज्ड एफएआर को बेचने और प्लॉट को बांटने की योजना का विरोध कर रहे हैं। कंपनी इस एरिया को बेचकर कंसट्रक्शन के लिए पैसे जुटाना चाहती है। जस्टिस अजय रस्तोगी और बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने कहा कि जिन सुविधाओं और कॉमन एरिया को अप्रूव किया गया है, उनके साथ छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। इससे पहले कोर्ट ने इस बात पर सवाल उठाया थी कि होमबायर्स अपनी सारी समस्याओं का समाधान कोर्ट के जरिए चाहते हैं लेकिन अपनी तरफ से कुछ भी छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। वे उन लोगों की कोई मदद नहीं कर रहे हैं जिन्हें अब तक फ्लैट का कब्जा नहीं मिला है।

सुनवाई के दौरान एनबीसीसी और नोएडा अथॉरिटी के बीच जमकर तू-तू, मैं-मैं हुई। अनयूज्ड और परचेजेबल एफएआर के बीच भारी मतभेद हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एनबीसीसी आम्रपाली की अधूरी परियोजनाओं को पूरा कर रही है। उसका आरोप है कि नोएडा अथॉरिटी भ्रष्टाचार का गढ़ है। उसने कहा कि जब आम्रपाली के प्रमोटर नियमों की धज्जियां उड़ा रहे थे तो नोएडा अथॉरिटी कुंभकर्ण की तरह सो रही थी और अब प्रोजेक्ट्स को फिर से शुरू करने के सारे प्रपोजल्स पर आपत्ति जता रही है। अटॉर्नी जनरल और कोर्ट के रिसीवर आर वेंकटरमानी आम्रपाली के रुके प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए पैसा जुटाने के लिए पिछले तीन साल से सभी विकल्पों पर काम कर रहे हैं। उन्होंने अनयूज्ड एफएआर बेचने की प्रस्ताव दिया था। उन्होंने कोर्ट से कहा कि पैसों की कमी को पूरा करने के लिए कोई जादुई समाधान नहीं है। उन्होंने कहा कि अनयूज्ड एफएआर पैसा जुटाने का सबसे अच्छा और सबसे आसान तरीका है। इससे करीब 1,000 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं।

कितने पैसों की जरूरत है

लेकिन होमबायर्स और नोएडा अथॉरिटी इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि आम्रपाली के प्रमोटर्स और डायरेक्टर्स की संपत्ति बेचकर पैसा जुटाया जाना चाहिए। फोरेंसिक ऑडिटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक आम्रपाली के प्रमोटर से फंड्स की हेराफेरी की थी। होमबायर्स का कहना है कि एफएआर बेचने या प्लॉट का आकार आधा करने से कॉमन एरिया में कमी आएगी। इससे पार्क और दूसरी एक्टिविटीज के लिए जगह नहीं बचेगी। सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप की कमान अपने हाथ में लेने के बाद कंपनी के 16 प्रोजेक्ट बनाने का काम एनबीसीसी को सौंप दिया था। इनमें कुल 46,575 यूनिट्स हैं। इनमें से नौ प्रोजेक्ट नोएडा और बाकी प्रोजेक्ट ग्रेटर नोएडा में हैं। एनबीसीसी का कहना है कि इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए 8016.68 करोड़ रुपये की जरूरत है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button