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दिवालियापन का नुस्खा है पुरानी पेंशन योजना… मनमोहन सरकार के भरोसेमंद सिपाही मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने ऐसा क्यों कहा

नई दिल्ली: कई राज्य सरकारें मुख्यत: कांग्रेस शासित राज्य पुरानी पेंशन योजना को दोबारा लागू करना चाहती हैं। इसपर केंद्र सरकार से उनका मत अलग है। इस बीच इस योजना को दोबारा वापिस लाने के राज्य के फैसले पर प्लानिंग कमीशन के पूर्व डिप्टी चीफ और जाने-माने पॉलिसीमेकर मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने भी अपना पक्ष रखा है। अहलूवालिया ने राज्य सरकारों के इस कदम पर कहा कि पुरानी पेंशन योजना को दोबारा लाना दिवालियापन का नुस्खा है। उन्होंने आगे कहा कि यह कदम बेतुका है। आपको बता दें कि मोंटेक सिंह अहलूवालिया मनमोहन सरकार के सिपहसलार रह चुके हैं।

‘पुरानी पेंशन योजना को दोबारा लाना दिवालियापन का नुस्खा’
प्रसिद्ध पॉलिसीमेकर मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि अगर आप मुझसे इस फैसले के बारे में पूछेंगे तो मैं कहूंगा कि यह दिवालियापन का एक नुस्खा है। इससे वित्तीय दिवालियापन की स्थिति पैदा होगी। जो लोग इस कदम को आगे बढ़ा रहे हैं उन्हें फायदा यह है कि दिवालियापन 10 साल बाद आएगा। मोंटेंक सिंह अहलूवालिया एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे जहां उन्होंने ओल्ड पेंशन स्कीम से जुड़े सवाल के जवाब में यह बातें कहीं। अहलूवालिया ने आगे कहा कि पुरानी पेंशन योजना पर अर्थशास्त्रियों को पास कुछ नहीं हैं। जो लोग सत्ता में बैठे हैं या राजनीतिक दल इन्हें ऐसे कदम को उठाने से रोकना चाहिए। यह फैसला वित्तीय आपदा का कारण बनेगा।

कांग्रेस लागू करना चाहती है, बनाया है चुनावी वादा
पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर कई राज्यों में कांग्रेस इसे लागू कर रही है चुनावी वादा बना रही। दूसरी ओर मनमोहन सरकार के भरोसेमंद सिपाही रहे अहलूवालिया का मत दूसरा है। कांग्रेस जहां-जहां सत्ता में है उसने लोगों को यह भरोसा दिलाया है कि वह ओल्ड पेंशन स्कीम को दोबारा लागू करेंगे। आपको बता दें कि साल 2004 की पुरानी पेंशन व्यवस्था को खत्म कर दिया गया है। इसकी जगह नई राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली चल रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसे वापस लाने से पहले से ही कमजोर पड़ी अर्थव्यवस्था से जूझ रहे राज्यों पर भारी राजकोषीय बोझ पड़ेगा। अहलूवालिया ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना की तरफ लौटने से पहले इसके कारण होने वाले नुकसान को समझाने की जरूरत है।

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