Banda – अनियमितता का द्वितीय सोपान, आदेशों को किया गया दरकिनार,चकबंदी प्रक्रिया अनवरत जारी।
तत्कालीन डी एम,बांदा अनुराग पटेल,श्रीमती दीपा रंजन के आदेशो को किया था दर किनार।

Banda – सूत्र- वारासत/वसीयत दर्ज करवाने में भी विभाग के कर्मचारियों की अनुचित प्रक्रिया पर अधिकारी लें संज्ञान।
तत्कालीन डी एम,बांदा अनुराग पटेल,श्रीमती दीपा रंजन के आदेशो को किया था दर किनार।
लम्बित जांच का निष्कर्ष कब? क्या होगा पर्दाफाश?
ब्यूरो एन के मिश्र
बांदा जनपद मैं किसानों के लिए जनहित में चलाई जा रही चकबंदी योजना के चलते खुशहाल किसान किसी भी देश के लिए उस देश की अनूठी संपदा में गिना जाता है। जो न किसी के लाभ पहुंचाने की हैसियत में होता है न नुकसान पहुंचाना के,उसे संघर्ष की लंबी राह से गुजरना पड़ता है ऐसी ही स्थिति जनपद,बांदा के ग्राम सिलेहटा के किसानों की है।
चकबंदी विभाग बांदा की कार्यवाही से जो आशा की किरण किसानों में जगी थी वह समय के साथ विभाग की भ्रष्ट मानसिकता वाले भ्रष्ट चकबंदी विभाग के कर्मचारियों की कार्य प्रणाली ने निराशा में बदल गई। अभीलेखीय/स्थलीय जो गलतियां प्रकाश में आई उसमें राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारों के गाटे में जो अचक् कर दिए गए थे उन्हीं अचक गाटों को बिना किसी मुकदमा दायर हुये बिना किसी वरिष्ठ अधिकारी के आदेश लिए चोरी से चक में डाल बना दिए गए । जिस भूमि गाटो का रकबा कम था। उस गाटो का स्थान बदलकर रकबा बढ़ाते हुए उस स्थान के मूल गाटो का लोप(समाप्त) कर दिया गया। जो गाटों के सर्वे किए हुए नक्शा में मौके अनुसार सड़क पर स्थित थे उनको चक नक्शे में स्थान बदलकर आबाद अंकित कर दिया गया। बंदोबस्ती के सन 1903/4 के जो चकबंदी का आधार नक्शा है। उसके रिक्त भू भागों में गाटो का अंकन कर दिया गया। ऐसे चको के संशोधन हेतु चकों की गई आपत्तियां चकबंदी अधिकारी बांदा जो नए पदासीन हुए थे के यहां डाली गई,यहां पर दोनों पक्षकारो द्वारा बंदोबस्त चकबंदी अधिकारी के यहां अपीले दायर हुई।
इसी मध्य अपीलों/आपत्तियों को लंबित रखते हुए चक सीमांकन कर करने का आदेश अप्रैल 2022 में पारित कर दिया गया। आए एक मामले/प्रकरण में और जानकारी देते चलें की भूमि के अंश निर्धारण करने में भ्रष्टाचार करते हुए कई सहखातेदारो के बीच चक बना दिए जाने से,कम अंश धारकों को अंश से अधिक भूमि के मालिक बने,कुछ सहखातेदारो को अपने अंश से 1/10 का भूमि भाग ही प्राप्त कर सके, इस स्थिति में खेतों में खनखनाती जंजीरे पीड़ित किसानों के हृदय की धड़कन बढ़ाती रही।
भ्रष्टाचार से पीड़ित/आक्रोशित किसानों द्वारा अपने हक की चोरी गई अपनी जमीन वापस पाने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे। वहीं तत्कालीन जिलाधिकारी,बांदा अनुराग पटेल (वर्तमान अपर आयुक्त चकबंदी उत्तर प्रदेश लखनऊ) का दरवाजा खटखटाने एवं पीड़ित किसानों की फरियाद पर चक सीमांकन करने के पूर्व भूमि के अंश निर्धारण में आई चक आपत्तियों/अपीलों का निस्तारण किया जाने का आदेश दिया गया। चकबंदी विभाग ने लंबे दांव पेच के साथ भ्रष्टाचार करते हुए। किसान एवं भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के भारी विरोध के बीच जिलाधिकारी बांदा अनुराग पटेल के द्वारा चक सीमांकन पर रोक लगा दी गई परिणामत: चकबंदी की धारा 24 का प्रकाशन अवरुद्ध हुआ।
एक वर्ष तक शिकायतों/चक आपत्तियों/अपीलों/अंश निर्धारण पर कोई भी कारवाई किसी भी स्तर पर पर संपादित नहीं की गई। जबकि तत्कालीन जिलाधिकारी,बांदा श्रीमती दीपा रंजन द्वारा जनवरी-मार्च की चकबंदी समीक्षा बैठक में गांव पंचायत की समस्त शिकायतों का निस्तारण,चक सीमांकन करने से पूर्व किए जाने के आदेश पारित किए गए थे । आपको यह भी बताते चलें की चकबंदी निदेशालय लखनऊ से इस आशय के विभागीय आदेश थे कि 15 अप्रैल 2023 से चक सीमांकन का कार्य किया जाना प्रस्तावित है।
भ्रष्टाचार के चलते निदेशालय/ जिला प्रशासन के सभी आदेशो को दरकिनार करते हुए चक सीमांकन हेतु SOC बांदा के द्वारा एक टीम गठित कर 15 अप्रैल 2023 से चेक सीमांकन के आदेश दिए गए। भ्रष्ट मानसिकता/कार्यशैली के चलते किसानों की मांग को चकबंदी अधिकारियों ने अपनी ताकत से दबाने का कार्य किया गया।
*अगर किसानों की मुसीबतों का कारण प्रकृति विधान न होकर हमारी व्यवस्था है तो हम बहुत बड़े अपराधी है।*
उत्तर प्रदेश सरकार के चकबंदी निदेशालय से लेकर जनपद के संबंधित सभी आला अधिकारियों के प्रकरण संज्ञान में होने के चलते भी चकबंदी क्षेत्र का पीड़ित किसान आज भी पीड़ा का दंश झेलने के लिए मजबूर है। हर स्तर पर अपनी गुहार लगाने के बाद भी कोई समाधान न मिल पाने से किसान त्राहिमाम त्राहिमाम करता नजर आ रहा है देखिए आगे और क्या-क्या होता है।