उत्तर प्रदेश

ये चुना गया है शुभ मुहूर्त, रामजन्म जैसे योग में होगी रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा

अयोध्या। अयोध्या के राम मंदिर में रामलला का विग्रह 22 जनवरी को सुबह 9:45 बजे से 12:45 बजे तक जिस योग में स्थापित किया जाएगा, वह अद्भुत-अपूर्व है। रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुरोध पर काशी के मर्मज्ञ और प्रख्यात ज्योतिषी गणेश्वर शास्त्री ने अध्ययन, शोध और विचार के बाद निकाला है। यह पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि और सोमवार का दिन होगा। 22 जनवरी को प्रथम बेला में ऐसे अनेक योग बन रहे हैं, जो शुभता-समृद्धि का अद्भुत योग-संयोग उपस्थित कर रहे हैं।

निष्काम ज्योतिष संस्थान के निदेशक महंत रामचंद्रदास के अनुसार प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर मृगशिरा नक्षत्र होगा, जिसे त्रयमुख नक्षत्र भी कहते हैं और जो न केवल वर्तमान, बल्कि भूत-भविष्य की संभावनाओं को प्रशस्त करता है। 22 जनवरी को जो द्वादशी है, उसे कूर्म द्वादशी के नाम से जाना जाता है। यह भगवान विष्णु के कूर्मावतार की भी तिथि है। ऐंद्रयोग, सर्वार्थ सिद्धि एवं अमृत सिद्धि योग से युक्त होने के साथ इस तिथि की महिमा अवर्णनीय है। महंत रामचंद्रदास मध्याह्न की उस घड़ी की भी ओर ध्यान आकृष्ट कराते हैं, जब रामलला के विग्रह के प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान की पूर्णाहुति होगी। उनके अनुसार इस समय मेष लग्न होगा और लग्न में ही देव गुरु बृहस्पति विराजमान होंगे।

ग्रहों की यह स्थिति त्रेता में रामजन्म के योग से मेल खाती है। मेष लग्न भूमि-भवन को स्थायित्व प्रदान करने की दृष्टि से उपयोगी होने के साथ प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के मुख्य यजमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भी लिए अतिफलदायी होगी। इस शुभ मुहूर्त के अनुरूप प्रधानमंत्री ने प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान में मुख्य यजमान के तौर पर शामिल होने की स्वीकृति दी है। काशी विद्वत परिषद महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी कहते हैं कि 22 जनवरी, 2024 को प्रात: 11 बजे से दोपहर एक बजे के बीच काल विशेष राजोपचार काल है। इसमें सिद्धयोग है।

अभिजित काल भी इस कालावधि में बन रहा है। इस काल में किसी भी देवी-देवता का अधिष्ठान अपरिमित आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करता है। शास्त्रों में कहा गया है ‘राज्ञ: कालस्य कारणम्’। भारतीय कालगणना के अनुसार शास्त्र में किसी विशेष कार्य-अनुष्ठान के लिए मुहूर्त का निर्धारण नवग्रह मंडल, नक्षत्र मंडल, ऋतु, तिथि, वार योग को ध्यान में रखते हुए किया जाता है।

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