अनोखी फसल से मोटा मुनाफा कमा रहा यूपी का ये किसान, 40 हजार रुपये की लागत से हो रही ढाई लाख की कमाई

मौदहा। बुंदेलखंड में आमतौर पर अतिवृष्टि, अनावृष्टि या ओलावृष्टि से फसलें प्रभावित हो जाती हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है। इसके अलावा, बेसहारा गोवंश भी किसानों द्वारा उगाई गई फसल के दुश्मन बने हैं।
यह लहलहाती फसल को चट कर जाते हैं और किसान लकीर पीटते रह जाता है। हालांकि, कृषि विभाग समय-समय पर गोष्ठी आयोजित कर कम सिंचाई से अधिक लाभ देने वाली फसलों को लगाने पर जोर दे रहा है।
लाखों रुपये का मुनाफा कमाया
कस्बे के पाटनपुर गांव में रहने वाले किसान ऋषि शुक्ला ने अनोखी पहल कर दूसरों किसानों को सीख देने का काम किया है। ऋषि ने बीते कुछ वर्षों में बागाती के माध्यम से न केवल अच्छी फसल पैदा की, साथ ही लाखों रुपये का मुनाफा भी कमाया।
खाली जमीन पर ड्रैगन फ्रूट के पौधे
उन्होंने अपनी जमीन पर आंवला, अमरूद, आम व बीच बीच की खाली जमीन पर ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाए। इसमें उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी डाॅ. प्रशांत से जानकारी लेकर लगातार उनका सहयोग लिया। इससे एक वर्ष में एक बीघे में ढाई लाख के फलों का उत्पादन किया, जबकि लागत केवल 40 हजार के आसपास रही।
एक फसल देती है चार बार उत्पादन
कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी डाॅ. प्रशांत ने बताया कि ऐसी कृषि पद्धति जिसमें कृषि मुख्यत: बागानों के रूप में की जाती है उसे बागाती कृषि कहते हैं।
बताया कि गेहूं की फसल लेने से एक बीघा में बमुश्किल पंद्रह हजार रुपये तक का उत्पादन मिलता है और उसमें लगभग चार हजार रुपये प्रति बीघा लागत आ जाती है। लेकिन बागाती करने से एक बार में तीन चार साल तक के लिए फुर्सत हो जाते हैं और उत्पादन मिलता रहता है, जबकि पौधों में सिंचाई आदि के लिए उपकरण और सामग्री कृषि विज्ञान केंद्र से मिल जाती है।
अतिवृष्टि, अनावृष्टि, ओलावृष्टि और बेसहारा गोवंशियों द्वारा फसल खराब होने का भय भी नहीं रहता है। साथ ही इन फसलों की सिंचाई में पानी भी कम लगता है। इसलिए किसानों को इसका लाभ लेना चाहिए।