दुनिया

24 साल से ‘भूकंप टैक्‍स’ वसूल रही तुर्की सरकार, अब जरूरत पड़ी तो लोगों ने मांगा हिसाब

गंजियातेप: तुर्की और सीरिया में विनाशकारी भूकंप से मरने वालों की संख्‍या बढ़कर 15,000 पार कर गई है। वहीं, घायलों की तादाद 35 हजार से ज्‍यादा है। दोनों ही देशों के भूकंप प्रभावित इलाकों में देशी-विदेशी राहतकर्मी 24×7 बचाव के काम में जुटे हुए हैं, लेकिन तबाही इतनी भयावह है कि हजारों लोगों तक अब भी मदद नहीं पहुंच सकी है। नागरिकों का गुस्‍सा सरकार के खिलाफ भड़क उठा है। पूछा जा रहा है कि भूकंप से निपटने के नाम पर जो टैक्‍स वसूला गया, वह रकम कहां है। दरअसल, तुर्की ने 1999 के भयानक भूकंप के बाद एक नया टैक्‍स लगाया था। इससे जमा रकम का इस्‍तेमाल भूकंप या अन्‍य प्राकृतिक आपदा से निपटने में होना था। आधिकारिक रूप से इसका नाम ‘स्‍पेशल कम्‍युनिकेशन टैक्‍स’ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस टैक्‍स से करीब 88 बिलियन लीरा (4.6 बिलियन डॉलर) की रकम जुटाई गई। हालांकि, सरकार यह नहीं बताती कि यह पैसा कहां और कैसे खर्च किया जाता है। AFP से बातचीत में एक शख्‍स ने पूछा, ‘हमारे सारे टैक्‍स कहां गए जो 1999 से जमा किए जा रहे थे?’

भूकंप प्रभावित हाते प्रांत के अंतक्या में 64 साल के एक शख्स ने कहा,‘हम भूकंप से बच गए हैं, लेकिन भूख और ठंड से जरूर मर जाएंगे।’ यह बयान बता रहा है कि हालात किस कदर भयावह हैं। लोगों में गुस्सा बढ़ रहा है। लोगों की शिकायतों पर तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोऑन ने कहा कि हां कुछ समस्याएं पहले थीं, लेकिन उन्हें सुधारा जा रहा है।

ज़िंदगी की जंग में समय से मुकाबला
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टेड्रोस अढनोम घेब्रेसियस ने चेताया है कि जो अब भी मलबे के नीचे दबे हुए हैं, उनके लिए समय निकलता जा रहा है। तुर्की और सीरिया के कई शहरों में तापमान शून्य से नीचे पहुंच गया है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि बर्फबारी और बारिश के कारण भूकंप से प्रभावित इलाकों में बचाव के काम पर असर पड़ रहा है। भूकंप का केंद्र रहे गंजियातेप में लोगों का कहना है कि तबाही के 12 घंटे बाद भी उन तक मदद नहीं पहुंची थी। कुदरती आपदा से बुरी तरह प्रभावित इलाकों में कई परिवारों ने कहा कि बचाव का काम बहुत धीमा है। हमें परिजनों को मलबे से खोद निकालने में कोई मदद नहीं मिल रही है। आपदा से सड़कें टूट जाने के कारण भी दूरदराज के इलाकों तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। जो इस विनाशकारी भूकंप झेल चुके हैं। उन्हें बर्फीले मौसम से जूझना पड़ रहा है।

72 देशों ने बढ़ाया है मदद का हाथ
दुनियाभर से 72 देशों ने तुर्की और सीरिया में मदद के लिए हाथ बढ़ाए हैं। इन देशों से आई मेडिकल टीमों, सैनिक और डॉग स्क्वॉड के साथ राहतकर्मी लोगों की मदद के लिए जीजान से जुटे हैं। इनमें यूरोपीय संघ, अमेरिका, इस्राइल और रूस भी हैं। रेड क्रॉस ने सीरिया के अलेप्पो शहर के एक अस्पताल में 100 लोगों के इलाज के लिए दवाएं और जरूरी उपकरण भेजे हैं। रेड क्रॉस प्रभावित क्षेत्रों में स्थापित किए जा रहे कई शिविरों में डिब्बाबंद भोजन, कंबल, गद्दे और अन्य सामान भेज रहा है।
नाटो के 30 देशों ने झुकाए झंडे
नाटो संगठन में शामिल 30 देशों ने तुर्की में भूकंप से मची तबाही को देखते हुए अपने झंडे बुधवार को झुकाए रखे। ब्रसल्ज में नाटो के मुख्यालय में झंडे आधे झुके रहे। तुर्की भी नाटो का सदस्य है। संगठन ने ट्वीट करके कहा कि 20 से ज्यादा नाटो देशों के 1400 कर्मचारी तुर्की में राहत के काम में जुटे हैं। नाटो के आमंत्रित सदस्य फिनलैंड और स्वीडन के राहतकर्मी भी मदद में जुटे हैं।
तुर्की की जमीन 10 फीट खिसकी
भूकंप के कारण तुर्की की जमीन 10 फीट खिसक गई है। इटली के नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ जियोफिजिक्स ऐंड वॉल्कैनोलॉजी के प्रमुख प्रो. कार्लो डॉगलियोनी ने यह दावा किया है। दरअसल, तुर्की 3 टैक्टॉनिक प्लेट्स के बीच बसा है। ये प्लेट्स हैं- एनाटोलियन टैक्टोनिक प्लेट, यूरोशियन और अरबियन प्लेट। एनाटोलियन प्लेट और अरबियन प्लेट एक-दूसरे से 225 किलोमीटर दूर खिसक गई हैं। इसके चलते तुर्की अपनी भौगोलिक जगह से 10 फीट खिसक गया है।

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