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क्या मुस्लिम देशों से संबंध बेहतर करने में भारत सफल रहा? जानें कैसे बदले हालात

नई दिल्ली : क्या भारत ने मुस्लिम देशों के साथ अपने संबंधों को और बेहतर करने का सफल दांव खेला है? क्या ग्लोबल स्तर पर मौजूदा केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ बीजेपी को मुस्लिम विरोधी स्थापित करने की कोशिश को नरेंद्र मोदी की अगुआई में डिप्लोमेसी से काउंटर कर लिया गया है? यह सवाल तब उठे जब हाल के दिनों में भारत ने मुस्लिम देशों से अपने संबंधों को बेहतर करने की दिशा में एक के बाद एक कई कदम उठाए जिसका तुरंत सकारात्मक असर भी दिखा।

अल सीसी बने मुख्य अतिथि
भारत में इसी साल होने वाले G20 सम्मेलन के पहले भारत का मुस्लिम देशों के साथ संबंधों को बेहतर करने की कोशिश को एक समझी कूटनीति का हिस्सा माना जा रहा है। मिस्र के प्रेजिडेंट अब्देल फतह अल सीसी गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि थे। मुस्लिम देशों में मिस्र उदारवादी और प्रोगेसिव देश माना जाता है। अल सीसी के साथ जिस गर्मजोशी के साथ पीएम मोदी मिले और आर्थिक संकट से गुजर रहे देश को जिस तरह भारत ने मदद का भरोसा दिलाया उससे दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर होने के संकेत दिखे। सीसी ने भी अपने बयान में कहा कि हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच संबंध अपने सबसे बेहतर दौर में हैं।
तुर्किये-सीरिया की मदद
हाल ही में तुर्किये और सीरिया में आए भूकंप के बाद भारत उन देशों में शामिल था, जिसने सबसे पहले मदद का हाथ बढ़ाया। भारत ने मदद को ‘ऑपरेशन दोस्त’ नाम दिया था। भारत की इस त्वरित पहल की दोनों देशों ने तारीफ की। नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सरकार को मुस्लिम विरोधी बताने में तुर्किये ने सक्रिय भूमिका निभाई थी। पाकिस्तान को जब अरब देशों से सहयोग नहीं मिला था तो तुर्किये ने उसका समर्थन किया था और दोनों देशों ने नया गठजोड़ बनाया। ऐसी सूरत में अभी भारत ने तुर्किये में सकारात्मक पहल की है उससे इस तल्खी में नरमी आने के संकेत मिले हैं।
नूपुर शर्मा प्रकरण के बाद बिगड़े थे हालात
मुस्लिम देशों के एक वर्ग ने भारत पर हाल में आरोप लगाया कि देश में मुस्लिमों के साथ बेहतर व्यवहार नहीं हो रहा है। एक के बाद एक कुछ घटनाओं से यह विवाद और बढ़ा। BJP की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने एक विवादित बयान दिया, जिससे घटना ने गंभीर मोड़ ले लिया। तमाम मुस्लिम देशों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और सख्त बयान जारी किया। बाद में भारत ने इन देशों से सीधा संवाद कर हालात को सामान्य किया। बाद में यह बात भी सामने आई कि मुस्लिम देशों से संबंध खराब करवाने की साजिश पाकिस्तान से की जा रही थी। मगर, वक्त रहते भारत ने न सिर्फ डैमेज कंट्रोल किया बल्कि चीजें और बेहतर कीं।
पीएम की सख्त हिदायत
पीएम नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ कूटनीतिक स्तर पर बल्कि देश के अंदर भी अपने नेताओं को भड़काऊ बयानों से दूरी रहने की सख्त हिदायत दी। BJP अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने भी अपने नेताओं को धार्मिक बयानों से परहेज रखने को कहा।
जरूरी कदम
भारत ने विश्व के कई मुस्लिम देशों से अपने संबंध बेहतर किए। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटाने के बाद प्रधानमंत्री ने संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन का दौरा किया। बाद में सऊदी अरब भी गए। इसका परिणाम भी निकला और तमाम मुस्लिम देशों ने भारत का साथ दिया। तुर्किये और मलयेशिया के अलावा किसी मुस्लिम बहुल देश ने पाकिस्तान के समर्थन में बयान तक नहीं दिया। पिछले कुछ सालों के दौरान पीएम मोदी को बहरीन, यूएई, फिलिस्तीन, सऊदी अरब जैसे मुस्लिम देशों ने अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान तक दिया। मुस्लिम बहुल खाड़ी देशों से बेहतर संबंध न सिर्फ सामरिक दृष्टि से बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी भारत के लिए अहम है। भारत कच्चे तेल का आयात करने वाला सबसे बड़ा देश है। भारत की इकनॉमी कच्चे तेल की कीमतों में होने वाली उठापटक से प्रभावित हो सकती है।

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