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अरबपति भारतीय आखिर क्यों होते जा रहे हैं कंजूस? आंकड़े देखकर चौंक जाएंगे आप

नई दिल्ली: देश में महंगाई बढ़ने के साथ अरबपतियों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। देश में अमीरों (Indian Billionaire) की नेटवर्थ में भी इजाफा हुआ है। दासरा ऐंड बेन ऐंड कंपनी की इंडिया फिलैंथ्रॉपी रिपोर्ट 2023 (India Philanthropy Report) के मुताबिक, मार्च 2022 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष (Financial Year) में भारत के सबसे अमीर लोगों की नेटवर्थ में 9 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है, लेकिन इसी समय के दौरान सामाजिक क्षेत्रों (Social Sector) में उनका योगदान 5 फीसदी तक कम हो गया है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत के अल्ट्रा-हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (UHNI), जिनके पास 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की नेटवर्थ है वित्त वर्ष 2021 में 11,811 करोड़ रुपये से 2022 में 4,230 करोड़ रुपये की अपनी चैरिटेबल इनकम को कम कर दिया। अजीम प्रेमजी के अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की बात करें तो विप्रो के शेयर बायबैक की वजह से उनका व्यक्तिगत दान 9,000 करोड़ रुपये कम हो गया।

दान देने में हट रहे पीछे

रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों के अमीर लोगों की तुलना में सुपर रिच भारतीय (Indian Billionaire) कम दान देते हैं। भारतीय UHNI सभी धन स्तरों में काफी कम दान करते हैं। इधर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के प्रतिशत के रूप में भारत का सामाजिक क्षेत्र खर्च वित्त वर्ष 2021 में 8.6% से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 9.6% हो गया है। यह सार्वजनिक खर्च में 35% के इजाफे की वजह से हुआ है। इस बढ़ोतरी के बावजूद, भारत साल 2030 तक संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए जरूरी कुल वार्षिक धन के नीति आयोग के अनुमान (जीडीपी का 13%) से बहुत कम है।

इन क्षेत्रों में कम हुआ योगदान

पिछले तीन वर्षों के क्षेत्रीय आंकड़ों के मुताबिक, अजीम प्रेमजी ने वित्त वर्ष 2020 और वित्त वर्ष 2021 में शिक्षा के लिए लगभग 16,000 करोड़ रुपये दिए हैं। वित्त वर्ष 2022 में भी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा का योगदान कुल दान का 58% था, जबकि कला, संस्कृति और विरासत, ग्रामीण विकास (Heritage & Rural Development) जैसे क्षेत्रों में योगदान गिरा है।

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