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भारत से अचानक यूक्रेन क्यों जा रहे जापानी पीएम किशिदा? समझें रूस-चीन वाली इनसाइड स्टोरी

टोक्यो: जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से मिलने के लिए कीव की यात्रा कर रहे हैं। उनका यह दौरा मॉस्को में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के एक दिन बाद हो रहा है। किशिदा एक दिन पहले ही भारत पहुंचे थे। यहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और भारत-जापान द्विपक्षीय मुद्दों पर बैठक भी की। अब जापानी मीडिया एनएचके ने बताया है कि पीएम किशिदा यूक्रेन जाने के लिए भारत से रवाना हो चुके हैं। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद जापान पहला ऐसा एशियाई देश था, जिसने रूस के खिलाफ प्रतिबंधों का ऐलान किया था। जापान खुलकर यूक्रेन का पक्ष लेता रहा है।

भारत से यूक्रेन रवाना हुए जापानी पीएम

एनएचके ने बताया कि यह पहली बार है, जब किसी जापानी प्रधानमंत्री ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से चल रही लड़ाई वाले देश या क्षेत्र का दौरा किया है। यह G7 समूह के किसी एशियाई सदस्य देश के प्रधानमंत्री का पहला यूक्रेन दौरा भी है। जापान एशिया में अमेरिका का सबसे बड़ा सहयोगी है। किशिदा और जिनपिंग की यात्राओं ने यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच एशिया में विभाजन की गहरी लकीर खींच दी है। जापान ने यूक्रेन को पर्याप्त सहायता का वचन दिया है, जबकि चीन तेजी से अलग-थलग पड़ रहे पुतिन का समर्थन करने वाला अकेला आवाज बन रहा है।

यूक्रेन क्यों जा रहे जापानी पीएम?

चीन की बढ़ती आक्रामकता और वैश्विक पहुंच का सामना करने के लिए जापान और अमेरिका हाल के वर्षों में विशेष रूप से क्षेत्रीय सुरक्षा और खुफिया सहयोग को काफी ज्यादा बढ़ाया है। जापान क्वाड का भी सदस्य है, जिसका गठन अनौपचारिक तौर पर चीन के खिलाफ किया गया है। इस समूह में भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका भी शामिल हैं। ऐसे में जापानी पीएम के यूक्रेन दौरे से रूस और चीन को सख्त संदेश देने की कोशिश की जा रही है। इससे यह भी प्रदर्शित किया जा रहा है कि यूक्रेन को न सिर्फ पश्चिमी देश बल्कि एशिया से भी समर्थन मिल रहा है।

यूक्रेन का खुलकर समर्थन कर रहा जापान

जापान पीएम किशिदा ने यूक्रेन पर अमेरिकी हमले के खिलाफ जोरदार आवाज उठाई थी। उन्होंने पिछले साल चेतावनी दी थी कि आज यूक्रेन तो कल पूर्वी एशिया पर संकट आ सकता है। पिछले महीने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के साल भर पूरा होने की पूर्व संध्या पर जापान ने यूक्रेन को मानवीय सहायता के तौर पर 5.5 बिलियन डॉलर देने का ऐलान किया था। किशिदा ने उस समय कहा था कि यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता सिर्फ एक यूरोपीय मामला नहीं है, बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के नियमों और सिद्धांतों के लिए एक चुनौती है।

अचानक यूक्रेन क्यों जा रहे जापानी पीएम

फुमियो किशिदा का अचानक यूक्रेन जाना यह बताता है कि जापान अब आक्रामक विदेश नीति अपना रहा है। जापान का चीन और रूस के साथ पुराना सीमा विवाद है। इस समय चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस दौरे पर हैं। उनका यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के साथ वर्चुअली बातचीत का भी कार्यक्रम है। चीन रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध खत्म करवाकर शांति दूत बनना चाहता है। चीन अगर सफल होता है तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी साख बढ़ेगी और दुनिया में चीन के साथ विवाद वाले देशों को बुरे नजरिए से देखा जाएगा। ऐसे में जापानी पीएम यह दिखाना चाहते हैं कि वो भी शांति के पक्षधर हैं। इसलिए यूक्रेन के प्रति समर्थन जताने के लिए वो कीव जा रहे हैं।

जापान का चीन और रूस दोनों से विवाद

जापान का चीन और रूस दोनों से द्वीपों को लेकर विवाद है। जापान और रूस में पूर्वी चीन सागर में कुरील द्वीप को लेकर विवाद है। इस द्वीप पर रूस का कब्जा है। होक्काइदो के उत्तर में स्थित द्वीप पर रूस के कब्जे को लेकर विवाद के कारण दोनों देशों ने द्वितीय विश्व युद्ध की शत्रुता को औपचारिक रूप से समाप्त करने वाली शांति संधि पर कभी हस्ताक्षर नहीं किए। रूस ने युद्ध के खत्म होने के बाद कुरील द्वीप को अपने कब्जे में ले लिया था। वहीं, चीन के साथ सेनकाकू द्वीपसमूह को लेकर विवाद है। चीन और ताइवान में इस द्वीपसमूह को दियोयस के नाम से जाना जाता है। इस द्वीप पर जापान का कब्जा है।

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