देश

चीन बॉर्डर पर गांव बसाने पर इतना फोकस क्यों कर रही सरकार, जानें ड्रैगन के खिलाफ ‘वाइब्रेंट’ प्लान

नई दिल्ली: देश कोई भी हो, गांवों के विकास पर सरकारों का फोकस रहता है। जब यह गांव पड़ोसी मुल्क से लगती सीमा पर बसा हो तो राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय बन जाता है। कुछ समय पहले यह खबर आई थी कि चीन अपने मॉडल विलेज (वहां की भाषा में Xiaokang) के कॉन्सेप्ट को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के करीब तक लेकर पहुंच गया है। शियाओकांग का मतलब खुशहाल गांव से है। चीन बॉर्डर के जिन गांवों के विकास पर फोकस कर रहा है वे उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के दूसरी तरफ बसे हैं। इसमें चुंबी घाटी भी शामिल है जो सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है। LAC पर चीन अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास और अतिरिक्त तैनाती के साथ यह काम कर रहा है। इधर, भारत सरकार ने देश के सामरिक महत्व के उत्तरी सीमावर्ती इलाकों के विकास के लिए एक बड़े कार्यक्रम ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ को मंजूरी दी है। आइए समझते हैं कि चीन के दुस्साहस को देखते हुए भारत का यह फैसला क्या है और कितना महत्वपूर्ण है।

    क्या है वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम

    • सरल शब्दों में समझें तो बॉर्डर के पास बसे गांवों तक विकास को पहुंचाना है।
    • इससे सीमावर्ती गांवों में सुनिश्चित आजीविका मुहैया कराई जाएगी। इससे पलायन रोकने में मदद मिलेगी।
    • इस कार्यक्रम के लिए केंद्र सरकार ने 4800 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जिसमें 2500 करोड़ सड़कों के निर्माण पर खर्च होंगे।
    • इसे वित्त वर्ष 2022-23 से 2025-26 के दौरान लागू किया जाएगा।
    • बॉर्डर पर विकास होने से सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी।
    • समावेशी विकास हासिल करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में आबादी को बनाए रखने में मदद मिलेगी। ये आबादी सुरक्षा के लिहाज से अहम एसेट साबित होंगे।
    • कार्यक्रम के पहले चरण में 663 गांवों को शामिल किया जाएगा।

    वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम से किसे फायदा होगा

    • सरकार ने बताया है कि इस प्रोग्राम से 4 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश के 19 जिलों और 46 सीमावर्ती ब्लाकों को फायदा होगा।
    • वहां आजीविका के अवसर और बुनियादी ढांचे को मजबूती मिलेगी। इससे उत्तरी सीमावर्ती क्षेत्र में व्यापक विकास सुनिश्चित हो सकेगा।
    • उत्तरी सीमा के सीमावर्ती गांवों में स्थानीय, प्राकृतिक और अन्य संसाधनों के आधार पर विकास किया जाएगा। युवाओं और महिलाओं को भी सशक्त बनाने पर फोकस रहेगा।

    सरकार का पूरा प्लान

    • ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के जरिए बॉर्डर के क्षेत्रों में विकास केंद्र विकसित करने, स्थानीय संस्कृति और विरासत को प्रोत्साहन देकर पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे देश के दूसरे हिस्सों के लोग बॉर्डर घूम सकेंगे यानी आवाजाही बढ़ेगी। इससे पड़ोसी देश के फर्जी दावे भी मजबूती से खारिज किए जा सकेंगे।
    • सहकारिता, एनजीओ के जरिए ‘एक गांव एक उत्पाद’ के कॉन्सेप्ट पर स्थायी इको-एग्री बिजनस के विकास पर ध्यान दिया जाएगा।
    • वाइब्रेंट विलेज योजना को ग्राम पंचायतों की सहायता से जिला प्रशासन तैयार करेगा।
    • सभी मौसम के अनुकूल सड़क, पेयजल, सौर और पवन ऊर्जा पर आधारित बिजली आपूर्ति, मोबाइल-इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केंद्र, बहुद्देशीय सेंटर के साथ ही स्वास्थ्य एवं वेलनेस सेंटर के विकास पर जोर दिया जाएगा। यह सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम से अलग होगा।
    • इस तरह से समझिए तो सरकार बॉर्डर पर बसे गांवों को अलग-थलग नहीं रखना चाहती है बल्कि वहां भी दूसरे मैदानी गांवों की तरह खुशहाली लाना चाहती है।
      • मोदी सरकार का प्लान है कि सीमावर्ती गांवों से पलायन को रोका जाए और वहां बसावट को स्थायी किया जाए।
      • कई बार ऐसा देखा गया है कि सीमा पार से दुश्मन की मूवमेंट की जानकारी गांववाले ही सेना तक पहुंचाते हैं। ऐसे में इस कदम को सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
      • 1999 करगिल युद्ध के समय स्थानीय ताशी नामग्याल ही वह शख्स थे, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने सबसे पहले पहाड़ियों में पाकिस्तानियों को देखा था।
      • चीन से लगती सीमा पर अरुणाचल हो या कोई दूसरा सीमावर्ती राज्य, गांववाले ही सेना के सबसे बड़े सूचना स्रोत रहे हैं लेकिन वहां से पलायन चिंता की बात रही है। अब बॉर्डर पर बहुत कुछ बदलने के लिए सरकार जुट गई है।

    Related Articles

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Back to top button