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सूडान की जंग से क्यों छूट रहे हैं दुनिया के पसीने? समझें क्या है पूरा मामला

अफ्रीकी देश सूडान में सेना और पैरामिलिट्री RSF ने मिलकर काउंसिल गवर्नमेंट बनाई है। सेना की अगुआई जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान के हाथ है। वह ही काउंसिल गवर्नमेंट की अगुआई भी कर रहे हैं। वहीं, पैरामिलिट्री की अगुआई जनरल मोहम्मद हमदान डगलो के हाथ है। जनरल डगलो सरकार में डिप्टी हैं। वहां RSF के 10 हजार सैनिकों का सेना में विलय होना है, जिसके बाद देश में सिविलियन रूल लागू होगा। विवाद यह है कि विलय के बाद अगुआई कौन करेगा। सेना या पैरामिलिट्री? कारण से 15 अप्रैल को फिर से जंग शुरू हुई है। इस बीच कई सीजफायर का ऐलान भी हुआ, लेकिन नाकाम रहा। जब तक जनरल बुरहान या जनरल डगलो बातचीत की टेबल पर नहीं आते, तब तक सूडान की जनता को हिंसा का नया दौर देखना होगा।

  1. क्या सोने का भंडार बना अभिशाप?
    पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में सबसे बड़ा सोने का भंडार सूडान में है। साल 2022 में ही सूडान ने 41.8 टन सोने के निर्यात से 2.5 अरब डॉलर कमाए थे। देश के सबसे मुनाफे वाली सोने की खदानों पर पैरामिलिट्री RSF का कब्जा है, जो अपनी गतिविधियों के लिए सोने को खार्तूम सरकार के साथ पड़ोसी मुल्कों को भी बेचते हैं। सेना की आंखों में यह खटक रहा है।
  2. भारत के लिए क्यों है चिंता की बात?
    सूडान में 4000 भारतीय या भारतवंशी हैं। हिंसा के बीच उनकी सुरक्षा और वहां से सुरक्षित निकासी सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है। सूडान में विशेष रूप से तेल क्षेत्र में भारत के महत्वपूर्ण आर्थिक हित हैं। सूडान भारत के लिए कच्चे तेल का प्रमुख सप्लायर भी है। इस देश में अस्थिरता संभावित रूप से भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बाधित कर सकती है। चूंकि भारत अफ्रीका में शांति स्थापित करने के प्रयासों में सक्रिय रूप से लगा है। ऐसे में सूडान में अस्थिरता भारत के इन प्रयासों में बाधा बन सकती है और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर सकती है।
  3. अफ्रीका के पड़ोसी मुल्कों का क्या दांव पर है?
    सूडान की सीमा सात देशों इजिप्ट, इथियोपिया, लीबिया, चाड, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, इरीट्रिया और साउथ सूडान से लगती है। कई जानकारों का कहना है कि सूडान की हिंसा पड़ोसी मुल्कों को भी चपेट में ले सकती है, जो पहले से ही आंतरिक संघर्षों में उलझे हुए हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में अस्थिरता पैदा हो रही है। चाड पहले ही तख्तापलट की आशंका और शरणार्थी संकट से जूझ रहा है। वहां सूडान से भी 20 हजार लोग पहुंचे हैं। इजिप्ट का सूडान की सेना से करीबी नाता है। इजिप्ट और सूडान ने नील नदी में बांध बनाकर इथियोपिया के लिए नदी का प्रवाह प्रभावित किया है और इसलिए इथियोपिया इसके खिलाफ है। नवीनतम संघर्ष ने सूडान में इस साल जुलाई में प्रस्तावित आम चुनाव पर आशंका के बादल छा गए हैं।
  4. संयुक्त अरब अमीरात क्यों है चिंतित?
    सूडान से साउथ सूडान के अलग होने पर 75% तेल संसाधन भी इस देश के हाथ से चले गए। तब सूडान ने विदेशी निवेशकों को लुभाया, इनमें सबसे अहम संयुक्त अरब अमीरात था। इसने सूडान में खेती में भारी निवेश किया। हॉर्न ऑफ अफ्रीका में अपने प्रभाव के इस्तेमाल के लिए भी यूएई ने इस मौके को भुनाया। पैरामिलिट्री से दोस्ताना संबंध बनाए। इस कारण से RSF ने हजारों लड़ाके ईरान समर्थित हुती विद्रोहियों के खिलाफ जंग में UAE की मदद को भेजे। बदले में मिली बड़ी रकम से जनरल डगलो ने अपनी पैरामिलिट्री को मजबूत किया।
  5. रूस और इस्राइल भी हैं परेशान?
    रूस सूडान के पोर्ट सूडान में बड़े नौसैनिक अड्डे को बनाना चाहता है, जो दुनिया का सबसे व्यस्त और विवादित समुद्री रास्ता है। इस बारे में रूस वहां की सैनिक सरकार से समझौते के बेहद करीब है। रूस के मिलिशिया लड़ाके वैग्नर समूह के भी हित हैं, जो सूडान के सोने और यूरेनियम भंडारों में हिस्सेदारी रखते हैं। देश के अशांत दारफुर इलाके में ये लड़ाके भी भेजते हैं। वहीं, इस्राइल अपने कट्टर दुश्मन ईरान के खिलाफ राजनीतिक और सैनिक मोर्चा बनाने में सूडान का समर्थन चाहता है। साल 2020 में दोनों देशों ने इस पर सहमति जताई थी। पिछले साल इस्राइली खुफिया एजेंसी मोसाद ने पैरामिलिट्री के चीफ से मिलने के लिए यहां का दौरा भी किया था।

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