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5 महीने बाद FIR, चार्जशीट क्यों नहीं धर्म संसद में क्या हुआ था जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को लगाई फटकार

नई दिल्ली: श्रद्धा हत्याकांड, कंझावला केस समेत कई आपराधिक घटनाओं की गुत्थी सुलझाने में व्यस्त दिल्ली पुलिस की परेशानी और बढ़ने वाली है। इस साल भी दिल्ली पुलिस का प्रेशर कम नहीं होने वाला। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम मामले में कथित हेट स्पीच से संबंधित मामले की छानबीन में देरी पर सवाल किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हेट स्पीच मामले में पुलिस की छानबीन में खास प्रगति नहीं दिख रही है। सुप्रीम कोर्ट ने जांच अधिकारी से जांच संबंधित रिपोर्ट पेश करने को कहा है। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि घटना दिसंबर, 2021 की है। एफआईआर पांच महीने बाद 4 मई, 2022 को दर्ज की गई। आपको एफआईआर दर्ज करने में पांच महीने क्यों लगे? अभी तक कितनी गिरफ्तारी हुई? मामले में चार्जशीट नहीं हुई? अदालत ने जांच अधिकारी से हलफनामा पेश कर जांच की प्रगति के बारे में बताने को कहा है।

दिल्ली में हिंदू युवा वाहिनी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कथित हेट स्पीच मामले में दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए एक कंटेप्ट पिटिशन दाखिल की गई थी जिस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि वह मामले में नोटिस जारी नहीं कर रहे हैं लेकिन राज्य वास्तविक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में याची तुषार गांधी की अर्जी पर अवमानना नोटिस जारी नहीं करने जा रहे हैं। कोर्ट ने कहा था कि वह सुनवाई चार चार हफ्ते बाद करेगा।

‘देरी जानबूझकर नहीं की गई, वेरिफिकेशन हो रहा था’

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच के सामने इस मामले की सुनवाई हुई। याची की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि तहसीन पूनावाला केस में सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्देश दिया था उसका पालन पुलिस ने नहीं किया है। इस मामले में एक्टिविस्ट तुषार गांधी ने पुलिस के खिलाफ कंटेप्ट याचिका दायर कर रखी है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप (पुलिस) इस मामले में छानबीन के लिए क्या कर रहे हैं। दिल्ली पुलिस की ओर से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि एफआईआर में देरी जानबूझकर नहीं की गई थी बल्कि वेरिफिकेशन हो रहा था। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि अब आपने एफआईआर के बाद क्या कदम उठाए हैं? आपने अब क्या किया? आपने अभी तक कितने आरोपियों को गिरफ्तार किया। आपने क्या छानबीन की? कितने लोगों के आपने बयान लिया? केस दर्ज होने के बाद आठ महीने बीत गए। लेकिन कोई खास प्रगति नहीं दिख रही है।

‘हेट स्पीच दिए गए हैं उनकी ट्रांसक्रिप्ट देखी जाए’

सुनवाई के दौरान एडवोकेट शदन परासत ने कहा कि यह गंभीर मामला है। जो हेट स्पीच दिए गए हैं उनकी ट्रांसक्रिप्ट देखी जाए। यह बयान मुस्लिम कम्युनिटी के खिलाफ थे। एक शख्स का बयान नहीं था बल्कि सबने शपथ ली थी। एडवोकेट ने कहा कि तहसीन पूनावाला जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने मॉब हिंसा मामले में समय पर केस दर्ज करने और चार्जशीट दाखिल करने का निर्देश दे रखा है। मामले में केस पांच महीने बाद दर्ज हुआ और छानबीन अभी भी चल रही है। कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जो तथ्य है उसके तहत जांच अधिकारी को निर्देश दिया जाता है कि वह छानबीन से संबंधित प्रगति के बारे में रिपोर्ट पेश करें। इसके लिए दो हफ्ते का वक्त दिया गया है।

सरकार बोली, हेट स्पीच से निपटने को नए कानून पर विचार

सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह नफरत फैलाने वाले भाषणों और अपराधों से निपटने के लिए मौजूदा कानूनों के साथ-साथ नए कानूनों पर विचार कर रही है। न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ के समक्ष अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा, ‘देश के आपराधिक कानूनों में व्यापक बदलाव करने और सभी को त्वरित न्याय प्रदान करने और जन-केंद्रित कानूनी संरचना बनाने के लिए, सरकार ने आपराधिक कानूनों में व्यापक संशोधनों पर विचार करने की प्रक्रिया शुरू की है।’ नटराज ने कहा, ‘सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, भारत के मुख्य न्यायाधीश और सभी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों, न्यायिक शिक्षाविदों, राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालयों, संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। ‘

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