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ईरान में भूकंप, 500 से ज्यादा लोग घायल

ईरान के वेस्ट अजरबैजन प्रोविंस में बुधवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.7 मापी गई। भूकंप से 500 से ज्यादा लोग घायल हुए। इसके साथ ही 12 से ज्यादा गांव और 500 घरों को नुकसान पहुंचा हैं। स्टेट जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, भूकंप ईरान के खोवी गांव के लगभग 11.6 किमी दूर और 10 किमी की गहराई पर था।

135 लोग हॉस्पिटल में एडमिट
एक अधिकारी ने लोकल मीडिया को बताया- सुबह करीब 3 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप में 528 लोग घायल हुए हैं। 135 लोगों को इलाज का हॉस्पिटल में जारी है। 50 से ज्यादा घर पूरी तरह डिस्ट्रॉय हो गए। रेस्क्यू टीम भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में चीजें सामान्य करने में लगी हुई हैं। नेशनल इमरजेंसरी सर्विस ने बताया- खोय और सलमास के कुछ गांव, जो भूकंप केंद्र के करीब हैं, वहां बिजली और पानी की सप्लाई बंदी कर दी गई है।

जुलाई में आए भूकंप में हुई थी पांच की मौत
इस साल 1 जुलाई को ईरान में भूकंप के दो झटके महसूस किए गए थे। इसमें पांच लोगों की मौत हो गई थी। ये भूकंप ईरान के होर्मोजगन प्रोविंस में आया था। इसकी तीव्रता 6.1 और 6.3 मापी गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भूकंप के झटके UAE में भी महसूस हुए थे।

1990 में आया था ईरान का सबसे भयानक भूकंप
ईरान में सबसे भयानक भूकंप 21 जून,1990 में आया था। मंजिल और रूदबार शहर में आए 7.7 तीव्रता वाले इस भूकंप में 5 हजार km से ज्यादा इलाका तबाह हो गया था। इस भूकंप में 50 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। करीबन 1.3 लाख लोग घायल हुए थे।

क्यों आते हैं भूकंप
धरती के अंदर सात प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती हैं। इन प्लेट्स का टकराव जिन जगहों पर ज्यादा होता है उसे फॉल्ट लाइन जोन कहते हैं। बार-बार टकराव होने की वजह से इन प्लेट्स के कोने मुड़ने लगते हैं। ज्यादा प्रेशर बनने से ये प्लेटस टूटने लगती हैं। प्लेटस के टूटने से अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती हैं। इससे होने वाले डिस्टर्बेंस से ही भूकंप आता है।

ईरान में क्यों आते हैं भूकंप
ईरान जागरोस पर्वत श्रृंखला है। ये पर्वत अरेबियन प्लेट्स और यूरेशियन प्लेट्स के टकराने से बने हैं।भूकंप चक्र के चलते इन पर्वतों का निर्माण हुआ है। अरेबियन और यूरेशियन प्लेट्स के बार-बार टकराने से जागरोस पर्वत में बार-बार भूकंप के झटके आते हैं। हालांकि, इसके लिए फ्रैकिंग भी जिम्मेदार है। फ्रैकिंग के जरिए पहाड़ों में लिक्विड इंजेक्ट कर तेल निकाला जाता है। इससे जमीन के अंदर का संतुलन बिगड़ जाता है और भूकंप के झटके महसूस होते हैं।

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