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IVF के जरिए कुंवारी लड़कियों को मां बनने की आजादी, लेकिन शादी स्थानीय लड़कों से ही करनी होगी

देश की बूढ़ी होती आबादी की जवानी लौटाने के लिए चीन कई जतन कर रहा है। लेकिन नई पीढ़ी ज्यादा बच्चे पैदा करने को तैयार नहीं है। इसी कड़ी में चीन के जिलिन राज्य ने आबादी बढ़ाने के लिए अविवाहित लड़कियों को IVF (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) के जरिए बच्चों को जन्म देने की आजादी दी है। हेबेई राज्य में कुछ औरतों को नियुक्त किया है कि वे दूसरी महिलाओं पर ज्यादा बच्चे पैदा करने का दबाव बनाएं।

हुनान राज्य के एक जिले में ‘ऑपरेशन बेड वार्मिंग’ शुरू होना है। इसमें लड़कियों को पढ़ाई या नौकरी करने के लिए बड़े शहरों में जाने की आजादी नहीं होगी। उन्हें स्थानीय लड़कों से ही शादी करनी होगी। इस योजना के समर्थक कहते हैं, शादी व्यक्तिगत आजादी का विषय नहीं है। यह समाज के विकास के लिए भावी पीढ़ी की जिम्मेदारी है।

1 बच्चे की नीति से घट रही चीन की आबादी
चीन में 1980 से 2015 तक एक बच्चे की नीति लागू की गई थी। इस नीति ने चीन की आबादी की औसत आयु बढ़ा दी है। पिछले साल चीन में 1 करोड़ 6 लाख बच्चों ने जन्म लिया, जो वहां की मृत्यु दर के आसपास ही है। चीन चिंतित है कि अगले साल से आबादी कम होने लगेगी। कर्मचारियों की कमी से पहले ही जूझ रहा है। चीन में अभी प्रति महिला प्रजनन दर 1.3 है।

आबादी बढ़ाने के लिए नए नियम-कानून बना रहा चीन
आबादी बढ़ाने के लिए चीन के अलग-अलग राज्य, जिले और शहर कई तरह के नियम-कानून बनाने के साथ सहूलियतें भी दे रहे हैं। 2015 में चीन ने 2 बच्चों की नीति लागू की थी। इसके बाद पिछले साल 2021 से चीन में तीन बच्चों की नीति लागू कर दी गई।

गांशू राज्य ने तीसरे बच्चे पर 3 साल तक हर महीने करीब सवा लाख रुपए दंपती को देने का एलान किया है। साथ ही दूसरे बच्चे के लिए इसका आधा यानी करीब 60 हजार रुपए दिए जाएंगे। चीन के कुछ शहरों ने बच्चों के लिए मुफ्त सरकारी क्रेच की व्यवस्था की है। जबकि कुछ शहरों ने 3 बच्चों वाले परिवार के घर के किराए में 15% राहत देने का कानून बनाया है।

विशेषज्ञों का दावा- आबादी बढ़ाने के अभियान में चीन सफल नहीं होगा
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के वैंग फेंग कहते हैं, चीन कुछ भी कर ले, लेकिन घटती जन्मदर को नहीं रोक सकता। लोग पहले से ज्यादा शिक्षित हैं और शहरी आबादी बढ़ी है। लिहाजा महिलाएं ज्यादा बच्चों को तरजीह नहीं दे रहीं। यही हाल दक्षिण कोरिया और जापान का भी है। इन देशों को भी आबादी बढ़ाने के अभियान में सफलता नहीं मिली।

महिलाओं की मांग- हर महीने सवा लाख रुपए की सब्सिडी दे सरकार
बीजिंग-शंघाई जैसे चीन के बड़े शहरों ने मैटर्निटी लीव 1 माह और बढ़ा दी है। कंपनियों को पैटर्निटी लीव बढ़ाने को कहा गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन में एक बच्चे को बड़ा करने में औसतन 50 लाख रुपए खर्च होते हैं। बड़े शहरों में और भी ज्यादा। गांशू राज्य की तरह सरकार हर महीने सवा लाख रुपए सब्सिडी दे, तभी महिलाएं ज्यादा बच्चों के बारे में सोच सकेंगी।

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