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80 फीसदी जरूरत EMI से पूरी हो रही, देखिए महामारी के तीन साल बाद क्या है अर्थव्यवस्था का हाल

नई दिल्ली: मार्च 2020 के महीने को कौन भूल सकता है। कोरोना महामारी के फैलने के साथ ही 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगा और 24 मार्च को पहली बार लॉकडाउन हुआ था। इसके बाद लॉकडाउन का जो दौर चला उसने देश में जहां आर्थिक गतिविधियों को बुरी तरह से प्रभावित किया, वहीं इकॉनमी को भी नेगेटिव जोन में डाल दिया। इसने कंपनियों को कारोबार पर भी नेगेटिव असर दिखाया, जिसके चलते लाखों लोगों की नौकरियां गईं। कोविड महामारी के उस दौर को बीते तीन साल हो चुकी है। ऐसे में इस बात का आकलन करना जरूरी है कि कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन का जो फैसला लिया गया, उसका असर लगभग 1000 दिन बाद यानी तीन साल बाद भी इकॉनमी और आम आदमी पर कितना गहरा हुआ।

EMI के बोझ का मारा आम आदमी

इकॉनमिस्ट एस. वेंकटेश कहते हैं कि लॉकडाउन ने इकॉनमी के साथ आम आदमी को भी बुरी तरह से प्रभावित किया। पहला गहरा असर यह हुआ कि लोन महंगा हो गया। जिस देश में 70 से 80 फीसदी जरूरत की चीजें लोन लेकर यानी EMI पर खरीदी जाती हों, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसका लोगों की जेब पर क्या असर पड़ा होगा। वैश्विक स्तर पर कच्चा माल महंगा हुआ। इससे भारत में सब्जियां, दालें, गेहूं समेत दूसरे खाद्य वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ती रहीं। किचन का बजट बिगड़ा। आमदनी घटी। आम आदमी अब तक इससे उबरने की कोशिश कर रहा है।

यूक्रेन युद्ध ने आग में घी डाला

भारत कोरोना महामारी से उबरने की कोशिश कर ही रहा था कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हो गया। इसके कारण उपजी महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी। इसने इकॉनमी को उबराने के बजाय और पीछे धकेल दिया। विशेषज्ञों के अनुसार, यूक्रेन युद्ध ने कम से कम दो साल और पीछे धकेल दिया। सप्लाई चेन पूरी तरह बाधित हो गई। बावजूद इसके अभी भी दोनों देश के बीच युद्ध पूरी तरह से रुकता नहीं दिख रहा है। जिससे महंगाई में कमी अभी भी दूर की कौड़ी लग रही है।

तेजी से बाहर निकला भारत

इस सब के बावजूद भारत ने काफी तेजी से आर्थिक रफ्तार पकड़ी है। तमाम दिक्कतों के बावजूद भारत की विकास और आर्थिक रफ्तार बरकरार रही। इंडस्ट्री चैंबर असोचैम के डायरेक्टर जनरल दीपक सूद का कहना है कि आर्थिक गति को बढ़ाने के लिए सरकार ने जो कदम उठाए हैं वह आर्थिक गतिविधियों को काफी हद तक पटरी पर लाने में मददगार रहे हैं। इंडस्ट्री और आम लोगों के सहयोग से भारत में जिस तरह से आर्थिक गतिविधियां पटरी पर लौटी, यह तारीफ के काबिल है। आज की तारीख में भारत की इकॉनमी इस स्तर पर पहुंच गई है कि वह किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है।


चुनौतियां अभी बाकी है

SKI कैपिटल वेंचर के प्रमुख नरेंद्र वाधवा का कहना है कि लॉकडाउन के बाद कई सेक्टरों ने तेजी लौटी है, मगर कई सेक्टरों में चुनौतियां बरकरार है। छोटे उद्योगों को पूरी तरह से पटरी पर आना बाकी है। रोजगार, अब भी संतोषजनक स्तर पर नहीं आ पाया है। गौरतलब है कि रोजगार की हालत अभी तक भी कोरोना से पहले के स्तर पर नहीं पहुंच पाई है।

इन चीजों ने रुलाया

मार्च 2020 मार्च 2023 तक

– रेपो रेट 4 प्रतिशत से 6.50 प्रतिशत
– होम लोन पर ब्याज़ 7.15 से 7.65 प्रतिशत 8.75 से 9.10 प्रतिशत
– रुपये की वैल्यू 75.16 82.21
– पेट्रोल 69.59 रु. 96.72 रु.
– डीजल 62.29 रु. 89.62 रु.
– दूध (टोंड) 42.29 रु. 53.00 रु.
– सरसों तेल 117.95 रु. 120 रु.
– ब्रेड 20 रु. 25 रु.
– सोना (10 ग्राम) 43,335 रु. 59,680 रुपये

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