यूक्रेन युद्ध के 1 साल में 9 ट्रिलियन डॉलर, 6300 टैंक, 300 फाइटर जेट बर्बाद, पुतिन को बहुत भारी पड़ी जंग

कीव: रूस और यूक्रेन के बीच भीषण जंग के आज 1 साल पूरे हो गए। गत वर्ष 24 फरवरी के दिन रूस की सेना ने यूक्रेन पर 3 तरफ से भीषण हमला बोला था। रूस की कोशिश थी कि जल्द से जल्द यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा करके जेलेंस्की की सत्ता को उखाड़ फेका जाए। रूस ने इसके लिए जहां लाखों की तादाद में सैनिकों को मैदान में उतारा, वहीं मिसाइलों की बारिश करके यूक्रेन के कई शहरों को खंडहर में बदल दिया। आज युद्ध के 1 साल बीत जाने के बाद भी रूस अभी तक यूक्रेन में अपने लक्ष्य से कोसों दूर बना हुआ है। विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के हथियारों से लैस यूक्रेन अब रूस के लिए दूसरा ‘अफगानिस्तान’ बनता जा रहा है। इस युद्ध में अब तक 3 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है और 63 लाख लोग बेघर हो गए हैं।
रूस ने हर दिन 90 करोड़ डॉलर जंग में किए खर्च
बोरिस ने कहा कि रूस की सरकार का साल 2022 के लिए कुल खर्च का प्लान 346 अरब डॉलर था जिसमें से 46 अरब डॉलर सेना और 36.9 अरब डॉलर पुलिस और फेडरल सिक्यॉरिटी सर्विस पर खर्च किया जाना था। उन्होंने कहा कि पुलिस और एफएसबी का पैसा भी अब सेना को दिया जा रहा है। बोरिस ने अनुमान लगाया है कि 50 फीसदी अधिक खर्च रूस युद्ध में झोक रहा है। हालांकि अगर घायल सैनिकों के इलाज और यूक्रेन के कब्जा किए गए इलाके में तैनात शिक्षकों पर कुल खर्च को जोड़ दें तो युद्ध का पूरा खर्च 15 ट्रिलियन रूबल तक पहुंच सकता है। वहीं एक अन्य विशेषज्ञ सीन स्पून्ट्स का कहना है कि बोरिस का यह अनुमान काफी कम है और रूस को इससे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है।
रूसी जखीरा खाली, दूसरे विश्वयुद्ध के टैंक से लड़ रहा युद्ध
सीने ने कहा कि रूस के पास पैसा कम होने के बाद उसने वह युद्ध में नष्ट हो चुके हथियारों को बदल नहीं पा रहा है। यही वजह है कि रूस अब यूक्रेन युद्ध में पुराने पड़ चुके टैंकों और युद्धक वाहनों को उतार रहा है। उन्होंने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि रूस अपने सैनिकों को मूलभूत सप्लाइ भी नहीं मुहैया करा पा रहा है। हालत यह हो गई है कि रूसी सेना को दूसरे विश्वयुद्ध के समय की राइफल मोसेन नागंट दी जा रही है और मोजे के लिए बहुत रद्दी कपड़े का इस्तेमाल किया जा रहा है।’ यही नहीं रूस अपने हथियारों के कारखाने का उत्पादन भी नहीं बढ़ा पा रहा है। रूस ऐसा तभी कर पाएगा जब उसके लिए पैसा और मटिरियल हो। इस बेतहाशा खर्च के बाद भी रूसी राष्ट्रपति युद्ध को जारी रखने का ऐलान कर चुके हैं। इससे अब यूक्रेन रूस के लिए दूसरा अफगानिस्तान साबित हो रहा है।