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आना-जाना, खाना-पीना सब महंगा, पाकिस्तान के सिर सज गया शर्म का नया ताज

इस्‍लामाबाद: इतिहास के बेहद ही खराब आर्थिक संकट से गुजर रहे पाकिस्‍तान में हालात अब और भी ज्‍यादा मुश्किल हो गए हैं। महंगाई के नए आंकड़ों से तो कम से कम यही लगता है कि यहां पर तंगहाली ने आम जनता का जीना मुहाल किया हुआ है। अप्रैल महीने में महंगाई दर 36.42 फीसदी रिकॉर्ड की गई है। अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की तरफ से जरूरी राहत पैकेज को हासिल करने के मकसद से प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार ने कुछ कदम उठाए थे। इनमें नई कर दरों को लाना और ईधन के दामों में वृद्धि करना शामिल था। बताया जा रहा है कि उन्‍हीं फैसलों की वजह से हालात ऐसे हुए हैं।

सरकारी आंकड़ों ने बताई सच्‍चाई
जिस बात की आशंका पिछले एक साल से लगाई जा रही थी, अब वह सच साबित हो गई है। पाकिस्‍तान भी श्रीलंका या यू कहें कि उससे भी खराब स्थिति में पहुंच गया है। मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों में महंगाई दर में एक महीने के अंदर ही 2.41 फीसदी का इजाफा हुआ है। जबकि औसतन महंगाई दर पिछले एक साल से 28.33 फीसदी पर ही अटकी हुई है।

वित्तीय कुप्रबंधन और राजनीतिक अस्थिरता के वर्षों ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पतन के कगार पर धकेल दिया है। वैश्विक ऊर्जा संकट और 2022 में देश के एक तिहाई हिस्से को पानी डूबा देने वाली विनाशकारी बाढ़ ने इस स्‍थिति को और विकट बना दिया। खाद्य कीमतों में वृद्धि और परिवहन लागत में वृद्धि के साथ गरीब पाकिस्तानी आर्थिक उथल-पुथल का खामियाजा भुगत रहे हैं।

आईएमएफ के पैकेज लिए कोशिशें

रावलपिंडी की रहने वाली जैबुनिसा ने कहा, ‘महंगाई ने हमारी कमर तोड़ दी है। बचत तो दूर, मासिक खर्च भी पूरा करना मुश्किल है।’ एक साल पहले की तुलना में अप्रैल में खाद्य कीमतों में करीब 50 फीसदी का इजाफा हुआ था। जबकि परिवहन लागत 57 फीसदी ज्‍यादा थी। देश को इस संकट के चक्रव्यूह से निकालने के लिए, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने साल 2019 में आईएमएफ के साथ हुए 6.5 बिलियन डॉलर के लोन पैकेज को हासिल करने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।
नई मांगों से बढ़ी मुसीबत
आईएमएफ की तरफ से और ज्‍यादा कड़े सुधारों की मांग की जा रही है। जो नई मांग आईएमएफ ने रखी है उसमें करों में इजाफा और सब्सिडी में कटौती शामिल है। सरकार ऐसा करेगी फिलहाल नहीं नजर आता क्‍योंकि अक्टूबर में आम चुनाव होने हैं और अगर ऐसा कोई भी फैसला लिया जाता है तो इसका मतलब सिर्फ वोटर्स को नाराज करना होगा। पाकिस्तान को मित्र राष्ट्रों से द्विपक्षीय समर्थन की गारंटी भी हासिल करनी है, जिसमें चीन, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आईएमएफ डील के बाद भी मुद्रास्फीति बढ़ने की उम्मीद है।

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