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हिंदू राष्ट्र बेसिक स्ट्रक्चर… केंद्रीय मंत्री एसपी बघेल ने संविधान की मूल संरचना वाली किस बात का किया जिक्र

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह बघेल (Satya Pal Singh Baghel) ने कहा कि बहुत कम सहिष्णु मुसलमान (Tolerant Muslim) हैं। यहां तक कि जो सहिष्णु दिखते हैं, वे सार्वजनिक जीवन में बने रहने और राज्यपाल और उपराष्ट्रपति बनने के लिए इसे मुखौटा के रूप में इस्तेमाल करते हैं। एसपी सिंह बघेल ने कहा कि सहिष्णु मुसलमानों को उंगलियों पर गिना जा सकता है। इनकी संख्या हजारों में भी नहीं है। ये भी मुखौटा (Mask) लगाकर सार्वजनिक जीवन में रहने की रणनीति है क्योंकि यह रास्ता राज्यपाल, उपराष्ट्रपति, कुलपति की ओर जाता है। हालांकि जब वे यहां से रिटायर होते हैं तो वे अपने मन की बात कहने लगते हैं। केंद्रीय विधि और न्याय राज्यमंत्री ने यह बातें आरएसएस द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में सोमवार को कहीं। बघेल ने कहा कि लोग संविधान की मूल संरचना के बारे में बात करते हैं। इस राष्ट्र की मूल संरचना 1192 से पहले अखंड भारत हिंदू राष्ट्र की है।


केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा कि लोग संविधान की मूल संरचना के बारे में बात करते रहते हैं और यह कि छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। बघेल ने कहा कि इस राष्ट्र की मूल संरचना 1192 से पहले अखंड भारत हिंदू राष्ट्र की है। उन्होंने कहा कि मैं (राम मनोहर) लोहिया के विचारों से कभी सहमत नहीं कि गौरी और गजनवी लुटेरे थे जबकि अकबर, दारा शिकोह और रजिया सुल्तान हमारे पूर्वज थे। दिल्ली सल्तनत शरीयत के आधार पर चलती थी। यह एक कट्टर शासन था।


बघेल ने अकबर के शासनकाल का जिक्र किया और कहा कि अकबर समझ गया कि यह बहुसंख्यक हिंदुओं का देश है। वह जानता था कि वह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाकर अखंड भारत पर शासन नहीं कर सकता। लेकिन उसकी यह एक रणनीति थी और यह दिल से नहीं निकला। यदि अकबर वास्तव में धर्मनिरपेक्ष होता तो चित्तौड़गढ़ का नरसंहार न होता। दीन-ए-इलाही और सुलह-ए-कुल भी नवरत्नों में हिंदुओं को शामिल करने की रणनीति का हिस्सा थे। जोधाबाई से विवाह भी एक राजनीतिक विवाह था।

केंद्रीय मंत्री की यह टिप्पणी सूचना आयुक्त उदय माहुरकर द्वारा कार्यक्रम में दिए गए भाषण के बाद आई, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत को इस्लामी कट्टरवाद से लड़ना चाहिए, लेकिन सहिष्णु मुसलमानों को साथ लेना चाहिए। मंत्री ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को लगता है कि वे इतने लंबे समय तक शासक रहे, तो वे प्रजा कैसे बन सकते हैं। बघेल ने कहा, समस्या का समाधान अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने में निहित है। इससे एक दिन समस्या का कुछ समाधान मिल सकता है। उन्होंने कहा यदि वे मदरसे में पढ़ेंगे तो वे ऊर्दू, अरबी और फारसी पढ़ेंगे। सभी साहित्य अच्छे हैं लेकिन ऐसी पढ़ाई से वे पेश-इमाम बनेंगे और अगर वे भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान पढ़ेंगे तो वे अब्दुल कलाम बनेंगे।

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