दुनिया

नई दिल्‍ली में अफगान दूतावास पर कब्‍जा क्‍यों करना चाहते हैं तालिबानी, भारत को बुरा फंसाया

काबुल/नई दिल्‍ली: तालिबानी आतंकियों और अफगानिस्‍तान की पूर्व अशरफ गनी सरकार के बीच वर्चस्‍व की जंग का अखाड़ा अब भारत बन गया है। चीन, पाकिस्‍तान समेत दुनिया के कई अन्‍य देशों में अफगानिस्‍तान के दूतावासों पर ‘कब्‍जा’ करने के बाद अब तालिबानी आतंकी भारत में भी अपने पैर पसारने लगे हैं। अफगानिस्‍तान पर शासन कर रही तालिबानी सरकार ने नई दिल्‍ली में अफगान दूतावास पर कब्‍जा करने की औपचारिक कोशिश की लेकिन उसे दूतावास के अशरफ गनी काल के शीर्ष राजनयिक ने तत्‍काल खारिज कर दिया। वहीं इस पूरे घटनाक्रम से अब भारत बुरी तरह से फंस गया है। आइए समझते हैं पूरा मामला…


दरअसल, अफगानिस्‍तान में सत्‍ता पर काबिज होने के ढाई साल बीत जाने के बाद भी तालिबानी अभी तक दुनिया से मान्‍यता हासिल नहीं कर सके हैं। तालिबान ने दुनिया से संपर्क करने के लिए अफगानिस्‍तान के विभिन्‍न देशों में स्थित दूतावासों में अपने अधिकारियों को नियुक्‍त करना शुरू किया है। तालिबान को चीन, पाकिस्‍तान समेत 14 देशों में इसकी अनुमति भी मिल गई है लेकिन अभी तक संयुक्‍त राष्‍ट्र समेत ज्‍यादातर देशों ने इसकी मंजूरी नहीं दी है। अब तालिबान और भारत सरकार के बीच रिश्‍ते काफी मधुर हो गए हैं।

तालिबान के इशारे पर दूतावास में खेल!

भारत ने हाल ही में अपने दूतावास को फिर से खोल दिया है। तालिबान को अब अशरफ गनी सरकार के दौरान के राजदूत फरीद मामूमदजय को बदलने का बड़ा मौका दिख रहा है। इससे पहले तालिबान ने काफी प्रयास किए लेकिन भारत में उसकी दाल नहीं गली थी। वहीं अशरफ गनी सरकार के समय से भारत में राजदूत फरीद मामूमदजय और तालिबान के विदेश मंत्रालय के बीच जंग जैसा माहौल है। राजदूत फरीद तालिबानी विदेश मंत्रालय के आदेश को नहीं मान रहे हैं और पूरे दूतावास पर कब्‍जा बनाए हुए हैं।


इस पूरे विवाद की शुरुआत गत रविवार यानि 14 मई को हुई जब मीडिया में खबरें आईं कि तालिबान ने दिल्‍ली में अफगान दूतावास के एक कर्मचारी मोहम्‍मद कादिर शाह को अपना भारत में राजदूत नियुक्‍त किया है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अब मोहम्‍मद कादिर खान ही दिल्ली दूतावास में राजदूत का काम देखेंगे। अफगानिस्‍तान के टोलो न्‍यूज ने एक ट्वीट करके बताया कि भारत में रह रहे अफगान शरणार्थियों ने वर्तमान राजदूत फरीद मामूमदजय और दो अन्‍य राजनयिकों पर भ्रष्‍टाचार का आरोप लगाया है।

इसके बाद सोमवार को अफगान दूतावास ने एक बयान जारी करके इन मीडिया रिपोर्ट को खारिज कर दिया। राजदूत फरीद मामूमदजय ने कहा कि अफगान दूतावास एक व्‍यक्ति के उस दावे को खारिज करता है जिसमें उसने कहा था कि वह अब तालिबान की ओर से नई दिल्‍ली में दूतावास का प्रभारी है।’ उन्‍होंने कहा कि कादिर झूठी सूचना फैला रहे हैं और दूतावास के अधिकारियों के खिलाफ निराधार आरोप लगा रहे हैं। उन्‍होंने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है। माना जा रहा है कि कादिर शाह ने तालिबान के इशारे पर यह कदम उठाया है।

तालिबान बनाम फरीद मामूमदजय, फंसा भारत

भारत अफगानिस्‍तान पर वही नीति अपना रहा है जो ज्‍यादातर अन्‍य देश कर रहे हैं। भारत ने अभी तक तालिबान की सरकार को मान्‍यता नहीं दी है। भारत अभी भी फरीद मामूमदजय को ही अफगानिस्‍तान का राजदूत मानता है। इन सबके बीच भारत अब तालिबान के साथ बेहतर रिश्‍ते बना रहा है। भारत ने दूतावास को फिर से खोलने के साथ-साथ अफगानिस्‍तान को कई टन गेहूं भेजा है। तालिबान अपने राजदूत को नियुक्‍त करना चाहता है लेकिन इसके लिए भारत को वीजा देना होता।

इसका तोड़ निकालते हुए तालिबान ने पहले से भारत में मौजूद अफगान अधिकारी कादिर को नियुक्‍त करने की चाल अब चली है। तालिबानी अक्‍सर भारत में अपने दूतावास को निर्देश देते रहते हैं लेकिन उनके निर्देशों का यहां पर पालन नहीं होता है। हाल ही में अफगानिस्‍तान पर संयुक्‍त राष्‍ट्र की बैठक में तालिबान को मान्‍यता नहीं दिया गया। इसके बाद भी तालिबानी रूस,चीन, पाकिस्‍तान, ईरान, कतर समेत 14 देशों में अपने राजदूत नियुक्‍त कर चुके हैं। नई दिल्‍ली में अफगान दूतावास में मचे घमासान से भारत सरकार बुरा फंस गई है। एक तरफ राजदूत फरीद मामूमदजय हैं जिनके भारत के साथ बहुत अच्‍छे संबंध हैं और दूसरी ओर तालिबानी हैं जो भारत के साथ रिश्‍ते बेहतर कर रहे हैं। भारत को मध्‍य एशिया तक पहुंचने के लिए अभी तालिबान की सख्‍त जरूरत है।

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