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पुतिन की US को धमकी:कहा- हमारे पास दुनिया के सबसे खतरनाक एटमी हथियार

मॉस्को. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने अमेरिका का नाम लिए बिना उसे खुली धमकी दी है। पुतिन ने कहा- कोई भी इस गलतफहमी में न रहे कि रूस पीछे है। हमारे पास दुनिया के सबसे खतरनाक एटमी हथियार हैं, लेकिन हम इनका अपनी तरफ से पहले इस्तेमाल नहीं करेंगे।

टीवी पर एक प्रोग्राम के दौरान पुतिन ने माना कि यूक्रेन में जंग जितनी लंबी खिंच गई है, वो उनके अनुमान से काफी ज्यादा है। रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला किया था। अब करीब 10 महीने हो चुके हैं और दोनों देशों के बीच जंग जारी है।

जंग और लंबी खिंचेगी

  • रूस की ह्यूमन राइट्स काउंसिल के साथ एक मीटिंग में पुतिन ने कहा- यूक्रेन के खिलाफ जंग शुरू हुए 9 महीने से ज्यादा हो गए हैं। हमें लगता है कि यह अभी और खिंचेगी। कई लाख लोग बेघर हुए हैं। कई लोगों की मौत हुई है तो कई घायल हैं। रूस अपने हक और हित की जंग जारी रखेगा और इसके लिए जो भी जरूरी होगा, वो किया जाएगा।
  • पुतिन ने आगे कहा- अगर हमें अपने हथियारों (एटमी) का फर्स्ट यूज नहीं करते हैं तो इसका मतलब ये नहीं है कि हम इनका इस्तेमाल कभी नहीं करेंगे। अगर कोई हमारे देश पर न्यूक्लियर अटैक करता है तो हम अपनी हिफाजत के लिए करार जवाब देंगे।
  • रूसी राष्ट्रपति ने कहा- हम पागल नहीं हैं। बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि एटमी हथियारों के इस्तेमाल का क्या मतलब होता है। हमारे पास एटमी जखीरा है और ये इतना एडवांस्ड है कि कोई देश इस मामले में हमारा मुकाबला नहीं कर सकता।

    स्नेक आईलैंड से सैनिकों की वापसी
    24 फरवरी को जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो उसने तभी साफ कर दिया था कि वो यूक्रेन की इकोनॉमी को तबाह कर देगा। इसी स्ट्रैटेजी के तहत रूसी सेना ने स्नेक आईलैंड पर भारी बमबारी की और उस पर कब्जा कर लिया। इसकी वजह से यूक्रेन के तमाम एक्सपोर्ट्स बंद हो गए। इसका खामियाजा सीधे तौर पर दुनिया को भी भुगतना पड़ा। यूक्रेन का गेहूं और दूसरे एग्रीकल्चर प्रोडक्ट दूसरे देशों तक नहीं पहुंचे और वर्ल्ड फूड क्राइसिस पैदा हो गया।

    दो महीने पहले रूस की डिफेंस मिनिस्ट्री ने एक बयान में कहा था- हमने स्नेक आईलैंड से सैनिक वापस बुला लिए हैं। हम नहीं चाहते कि मानवता के लिए कोई संकट पैदा इसलिए ह्यूमन कॉरिडोर बनाने का फैसला किया है।

    लंबे समय तक प्रतिबंध पहुंचा सकते हैं नुकसान

    • पुतिन ने मीटिंग में कहा- यूरोपी देश रूस से इंपोर्ट कम करने के तरीके ढूंढ रहे हैं, लेकिन इससे तेल और गैस के दाम बढ़ेंगे, जिससे उनके ही स्टॉक मार्केट को नुकसान होगा। आम जनता को भी मंहगाई की मार झेलनी पड़ेगी।
    • फिनलैंड की एक रिसर्च में सामने आया कि यूक्रेन में मिलिट्री ऑपरेशन के 100 दिनों में रूस ने 60% से अधिक रेवेन्यू यूरोपीय देशों से कमाया। क्योंकि, रूस और यूरोपीय देशों में तेल और गैस को ट्रेड जारी रहा।
    • एक्सपर्ट्स का कहना है कि रूस पर लगाए प्रतिबंध उन देशों पर ही उल्टे पड़ गए जिन्होंने वह प्रतिबंध लगाए। इन सैंक्शन्स को और जारी रखा तो ग्लोबल स्तर पर तेल और गैस के दामों में भारी बढ़ोतरी होगी। जिससे आम आदमी की जेब पर असर पड़ेगा।

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