सीओ जिया-उल-हक हत्याकांड के 10 दोषियों को उम्रकैद की सजा, राजा भैया को मिल चुकी है क्लीनचिट
लखनऊ: सीबीआई की विशेष अदालत आज चर्चित सीओ जियाउल हक हत्याकांड में 10 आरोपियों को सजा सुनाई. 4 अक्टूबर को कोर्ट ने इन आरोपियों को दोषी करार दिया था. बुधवार को कोर्ट ने सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई. कोर्ट ने इसके साथ ही 19,500 हजार का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माने की आधी रकम डिप्टी एसपी जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद को देने का कोर्ट ने आदेश दिया है. यह फैसला 11 साल बाद आया है.
बता दें कि 2 मार्च 2013 को प्रतापगढ़ में कुंडा के सीओ जियाउल हक की लाठी-डंडों से पीटने के बाद गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड का आरोप तत्कालीन मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैय्या व उनके करीबी ग्राम प्रधान गुलशन यादव पर लगा था. हालांकि बाद में सीबीआई की जांच में राजा भैय्या और गुलशन यादव को क्लीन चिट दे दी गई थी. सीबीआई की कोर्ट ने सीओ जियाउल हक की हत्या में शामिल फूलचंद यादव, पवन यादव, घनश्याम, मंजीत यादव, राम आसरे, राम लखन गौतम, छोटेलाल यादव, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
प्रधान की हत्या पर हुआ था बवाल : दरअसल, यूपी के प्रतापगढ़ के कुंडा के बलीपुर गांव में 2 मार्च 2013 को शाम साढ़े सात बजे वहां के प्रधान नन्हें सिंह यादव की हत्या कर दी गई थी. यह हत्याकांड उस समय अंजाम दिया गया, जब नन्हें यादव विवादित जमीन के सामने बनी एक फूस की झोपड़ी में मजदूरों से बात कर रहे थे. प्रधान की हत्या के बाद उनके समर्थकों ने हंगामा शुरू कर दिया और रात सवा आठ बजे बलीपुर गांव के कामता पाल के घर में आग लगा दी. इसी बीच कुंडा थाना प्रभारी सर्वेश मिश्र अपनी टीम के साथ पहुंचे लेकिन भीड़ होने की वजह नन्हें सिंह यादव के घर की तरफ जाने की हिम्मत न जुटा सके. मौके पर सीओ जियाउलहक गांव पहुंचे और हिम्मत दिखाते हुए दूसरे रास्ते से प्रधान के घर की तरफ बढ़े.
जियाउल हक को ग्रामीणों ने घेर लिया : सीओ के पहुंचते ही फायरिंग शुरू हो गई, जिससे डरकर सीओ के गनर इमरान और दरोगा विनय कुमार सिंह खेत में छिप गए.इसी बीच प्रधान नन्हें सिंह यादव के छोटे भाई सुरेश यादव की मौत हो गई. इसके बाद भीड़ ने सीओ जियाउल हक पर हमला कर दिया और लाठी डंडों से पीटना शुरू कर दिया. किसी ने उन्हें गोली मार उनकी निर्मम हत्या कर दी. इस हत्याकांड का आरोप तत्कालीन मंत्री राजा भैया व उनके करीबी गुलशन यादव समेत कई लोगों पर लगा था.