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म्‍यांमार की सेना लड़ाकू विमानों से विद्रोहियों पर बरसा रही बम, दहशत में मिजोरम में बसे लोग, जानिए वजह

नैप्यीदा: भारत के उत्‍तर पूर्वी सीमा के करीब स्थित म्‍यांमार की तरफ से विद्रोहियों के खिलाफ जमकर एक्‍शन लिया जा रहा है। इस महीने की शुरुआत में म्‍यांमार सेना के फाइटर जेट्स मिजोरम से सटे कैंप विक्‍टोरिया पर बमबारी की थी। जेट्स ने चिन नेशनल आर्मी (CNA) के हेडक्‍वार्ट्स पर हमला किया था। चिन संगठन म्‍यांमार का सबसे ताकतवर सशस्‍त्र ऑर्गनाइजेशन है। म्‍यांमार की सेना की तरफ से हुई कार्रवाई में तीन लोगों की मौत हो गई थी। वहीं कुछ लोग घायल भी हो गए थे। यह हमला काफी भयानक था। वेबसाइट द प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक हमले में म्‍यांमार की सेना का मकसद तो पूरा हुआ लेकिन भारतीय सीमा पर बसे लोगों के दिल में डर भी पैदा हो गया। सीएनए में जो लोग शामिल हैं, उनका भारत से भी संबंध है।

रोजाना बढ़ रहा है खतरा
म्‍यांमार के एयरफोर्स बेस से तीन फाइटर जेट्स ने जब चिनलैंड डिफेंस फोर्सेज पर बमबारी की तो एक बार फिर सेना और विद्रोहियों में संघर्ष शुरू हो गया। चिन नेशनल ऑर्गनाइजेशन के 27 साल के नेता सलाई वान थवांग की मानें तो इन हमलों ने उनकी शांति को खत्‍म कर दिया है। वह सिर्फ प्रार्थना कर रहे हें कि अब कुछ भी अशुभ न हो। 16 जनवरी की सुबह जो बम गिराए जाने थे उनका टारगेट म्‍यांमार के चिन स्‍टेट की फलाम टाउनशिप था। ये बम तो नहीं गिरे लेकिन रोजाना बरकरार खतरे का एक अंदेशा लोगों को मिल गया।

गांव बना विद्रोहियों का अड्डा
फारकवान, बॉर्डर पर बना एक गांव है जहां पर चिन नेशनल डिफेंस फोर्स (CNDF) का अस्‍थायी बेस है। यहां पर कई हथियारों से लेकर ड्रोन, माइन्‍स और स्‍नाइपर यूनिट्स तक मौजूद हैं। सीएनडीएफ, चिन नेशनल ऑर्गनाइजेशन (CNO) की एक शाखा है। इसका गठन 13 अप्रैल 2021 को हुआ था। इसे तैयार करने का मकसद म्‍यांमार की सेनाओं को हराना था जिन्‍होंने उसी साल फरवरी में देश में तख्‍तापलट कर दिया था। इस पूरे आंदोलन का भारत के मिजोरम से गहरा ताल्‍लुक है। चिन समुदाय, मिजोरम में ही रहता है और जब संगठन को बनाया गया तो बॉर्डर के दोनों तरफ मौजूद इस समुदाय के लोगों को शामिल किया गया।

भारत की तरफ गिरे दो बम
इस महीने की शुरुआत में दो हवाई हमलों में कैंप विक्‍टोरिया को निशाना बनाया गया था। यह चिन नेशनल आर्मी का हेडक्‍वार्ट्स है। चिन नेशनल आर्मी, चिन नेशनल फ्रंट (CNF) का ही हिस्‍सा है। कैंप विक्‍टोरिया, मिजोरम के फरकावन गांव से करीब 10 किलोमीटर की ही दूरी पर है। म्‍यांमार के कई बल, राजनीतिक संगठन के सैन्‍य बल के तौर पर काम करते हैं। पांच में से तीन बम कैंप पर गिरे थे। कैंप के करीब स्थित विक्‍टोरिया अस्‍पताल में काम करने वाले एक कर्मी की मानें तो जब बम गिरे तो उन्‍हें यह पता लगा था कि कोई सर्जिकल ऑपरेशन पूरा किया गया है। दो बम भारत की तरफ गिरे थे।

मिजोरम आए कुछ शरणार्थी
भारत और म्‍यांमार को तियाउ नदी अलग करती है और इसकी वजह से ही दोनों देशों के बीच एक बॉर्डर का निर्माण होता है। अप्रैल 2021 में सीएनडीएफ का गठन हुआ और इसे 18 सजाति संगठनों से मिलाकर बनाया गया है। मिजोरम में रहने वाले चिन समुदाय के कुछ लोगों की मानें तो जो लोग संगठन में हैं, वो पूरे समुदाय का प्रतिनिधित्‍व नहीं करते हैं। कैंप विक्‍टोरिया कई दशकों से उग्रवाद का अड्डा रहा है। सन् 1988 में जब तख्‍तापलट हुआ तो कई शरणार्थी बॉर्डर के इस पार आ गए थे।

भारत रखता है नजर

भारत अक्‍सर ही यहां पर होने वाले संघर्ष पर करीब से नजर रखता है। विशेषज्ञों का मानना है कि मिजोरम के अंदर फिर से संगठन बन सकते हैं। साल 2015 में चिन उग्रवादियों ने एक युद्धविराम समझौता साइन किया था लेकिन इसके बाद भी सरकार हमेशा अलर्ट पर रहती है। मगर साल 2021 में हुए तख्‍तापलट के बाद संगठन फिर से साथ आ गया है।

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