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जिस देश के संविधान में भगवान राम की तस्वीर, वह धर्मनिरपेक्ष कैसे? बागेश्वर महाराज का हिंदू राष्ट्र पर बड़ा बयान

नई दिल्ली: बागेश्वर धाम महाराज धीरेंद्र शास्त्री अपने बयानों को लेकर चर्चित रहते हैं। शास्त्री भारतीय फिल्मों में हिंदू धर्म के भगवान को टार्गेट नहीं किया जाए। यही नहीं, उन्होंने कहा कि भारत राष्ट्र हिंदू राष्ट्र बने। उन्होंने कहा कि आखिर कबतक जातिवाद के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेकी जाएंगी। इसे बंद किया जाना चाहिए। कबतक जातिवाद के नाम पर वोट लेंगे। उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र घोषित होगा तो राम राज्य आ जाएगा। इसी दौरान उन्होंने कहा कि संविधान के पहले पेज पर ही भगवान राम के चित्र से प्रारंभ होता है। जिस देश का संविधान भगवान राम से प्रारंभ हो क्या वो हिंदू राष्ट्र राम राज्य नहीं हो सकता है। गौरतलब है कि संविधान के 42वें संशोधन में धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ा गया। अब आइए समझते हैं कि आखिर संविधान के पृष्ट पर भगवान राम की तस्वीर क्यों है।

धीरेंद्र शास्त्री ने क्या कहा जानिए

एक निजी टीवी चैनल के साथ बातचीत में सनातन के खिलाफ कोई मूवी बनाओगे तो हिंदू धर्म में आस्था कम जाएगी। भारत हिंदू राष्ट्र बने। हिंदू राष्ट्र बनेगा तो अच्छा रहेगा। कबतक हम जातिवाद का दंश झेलें। भारत को हिंदू राष्ट्र बनाओ सामाजिक समरसता होगी। सामाजिक सौहार्द्रता होगी। न पत्थर गलेंगे न रामचरितमानस जलेंगे। हिंदू राष्ट्र होगा तो राम राज्य आ जाएगा और भारत विश्व गुरु हो जाएगा। हम संविधान का आदर करते हैं। जिस देश का संविधान भगवान राम से प्रारंभ हो तो क्या वो हिंदू राष्ट्र नहीं हो सकता है? उन्होंने कहा कि धर्म तो सिर्फ सनातन है।

    संविधान के किस पेज पर है भगवान राम की तस्वीर?

    दरअसल, जब संविधान लिखी जा रही थी और यह अपने अंतिम स्टेज में था तो संविधान सभा में संविधान की मूल कॉपी पर कई कलाकृतियों को रखने पर चर्चा हुई। अंत में संविधान की ऑरिजनल कॉपी बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के सामने पेश की गई और इसे पारित कर दिया गया। संविधान की मूल कॉपी के तीसरे पेज पर मूल अधिकार का जिक्र है। इसी पेज पर लंका से भगवान राम, मां सीता और लक्ष्मण के लौटने की तस्वीर है। धीरेंद्र शास्त्री अपने बयान में पहले पेज पर राम की तस्वीर का जिक्र किया है, हालांकि यह तीसरे पेज पर है।


    नंदलाल बोस ने चुनी तस्वीरें

    संविधान सभा में यह सर्वसम्मति से फैसला किया गया कि शांतिनिकेतन के मशहूर आर्टिस्ट नंदलाल बोस को संविधान की ऑरिजनल कॉपियों की कलाकृति को देखने की जिम्मेदारी दी गई थी। बोस और उनकी टीम ने कई पेंटिंग्स और कलाकृतियों को चुना। इसमें संत, गुरुओं, राजाओं, भारतीय इतिहास के पौराणिक चरित्रों को संविधान के पन्नों पर जगह दी गई। हर ड्रॉइंग और पेंटिंग्स का अलग-अलग संदेश था। इसके जरिए भारत की ऐतिहासिक विरासत का अनुपम संदेश को दिखाने वाले थे।

    राम के तस्वीर का मतलब भी समझिए

    संविधान के भाग तीन में मूलभूत अधिकारों का जिक्र है। इसी पन्ने पर भगवान राम, सीता और लक्ष्मण की पेंटिंग्स हैं। अब यह समझना जरूरी है कि आखिर क्यों राम की तस्वीर संविधान के लिए इतना अहम क्यों रही। जैसे ही भारतीय संविधान को लागू किया गया सभी लोगों को उनका मूलभूत अधिकार मिल गया। यह पहली बार था कि विदेशी शासकों की 800 साल की गुलामी के बाद देश को आजादी के साथ संविधान भी मिला। मूलभूत अधिकार के जरिए भारतीय नागरिकों को सभी तरह के भेदभाव से निजात मिल गया। समानता के अधिकार के तहत चाहे वे गरीब हो या अमीर, शक्तिशाली हो या कमजोर उसे संविधान के सामने अधिकार मिल गए। वाल्मिकी रामायण में भी राम राज्य का कुछ ऐसा ही चित्रण मिलता है। जहां सबके साथ न्याय हो और ऊंच-नीच का भेद नहीं हो।


    इसी तरह संविधान के आर्टिकल 21 के तहत जीवन का अधिकार दिया गया है। यानी संविधान अपने नागरिकों को जीवन का अधिकार दिया है। इसके तहत नागरिकों को यह अधिकार दिया गया है कि किसी प्रकार की विवाद की स्थिति में वह न्यायिक प्रक्रिया में जा सकते हैं।

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