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कौन हैं MPC के मेंबर जयंत वर्मा, जिन्होंने कहा- खस्ता है भारतीय इकोनॉमी की हालत

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बाद से दुनिया के ज्यादातर देशों की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा है। अभी भी कई देशों की अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं लौट पाई है। अर्थव्यवस्था में गिरावट और मंदी की आशंका के बीच पिछले दिनों काफी कंपनियों ने कई कर्मचारियों को नौकरी से भी निकाला है। भारत की अर्थव्यवस्था में भी गिरावट आई थी। अब आरबीआई (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (RBI MPC) के सदस्य जयंत आर वर्मा (RBI MPC member Jayanth R Verma) ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत खस्ता है। जयंत आर वर्मा ने ही पिछले दिनों एमपीसी की बैठक में रेपो रेट बढ़ाए जाने का विरोध किया था। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जयंत आर वर्मा ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि की हालत काफी नाजुक दिखाई दे रही है। ऐसे में एक देश को अपनी वर्कफोर्स को बढ़ाने के लिए जो करना चाहिए वो कम हो सकता है।


महंगाई पहुंचेगी आसमान पर

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य जयंत आर वर्मा के मुताबिक, उन्हें उम्मीद है कि 2022-23 में महंगाई काफी ज्यादा रहने वाली है। हालांकि उन्होंने कहा कि 2023-24 में इसमें कमी आएगी। उन्होंने कहा कि मौद्रिक सख्ती से मांग पर दबाव पड़ रहा है। वहीं बढ़ते ईमएआई भुगतान से घरेलू बजट पर भी दबाव बढ़ता है और ऐसे में खर्च कम होते हैं। ग्लोबल फैक्टर्स की वजह से एक्सपोर्ट सेक्टर भी अभी स्ट्रगल कर रहा है। उन्होंने कहा कि इन सभी वजहों को देखते हुए डर है कि बढ़ती वर्कफोर्स की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए विकास में कमी आ सकती है। जयंत वर्मा अभी भारतीय प्रबंध संस्थान-अहमदाबाद (आईआईएम-अहमदाबाद) में प्रोफेसर हैं।


देश की आर्थिक वृद्धि 6.4 फीसदी रहने का अनुमान

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2023-24 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि 6.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office) के अनुमान के मुताबिक, 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वहीं आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में अगले वित्त वर्ष के लिए वास्तविक रूप से 6.5 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। उनके मुताबिक, महामारी और यूक्रेन युद्ध की वजह से आने वाले महीनों में महंगाई का दबाव देखने को मिलेगा, साथ ही मौद्रिक तंगी दुनिया भर में विकास को जोखिम में डाल रही है।

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