उत्तर प्रदेशराज्य

इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर की सरकारी योजनाओं को हरी झंडी

वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को सोमवार को हाईकोर्ट की मंजूरी मिल गई। इसके साथ ही यहां अब कॉरिडोर के निर्माण की बाधाएं दूर हो गई हैं। हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि आम लोगों की सुरक्षा और सुविधा का ध्यान रखना सरकार का काम है। हाईकोर्ट के फैसले से श्रद्धालुओं में खुशी की लहर है। सरकार ने पहले ही कॉरिडोर का ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया था। इसे कैसे और कितना बड़ा बनाया जाएगा, सबकुछ तय हो चुका है। कॉरिडोर का जो प्रस्‍ताव सामने आया है उसके मुताबिक यह दो मंजिला होगा और इसमें तीन रास्‍ते होंगे जिनके जरिए मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकेगा। पूरा कॉरिडोर करीब पांच एकड़ क्षेत्रफल में बनाया जाएगा।

जब उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बांकेबिहारी मंदिर की व्यवस्थाओं के सुधार के लिए कॉरिडोर की परिकल्पना की थी, तभी उन्होंने मथुरा के अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि कॉरिडोर की परियोजना ऐसी हो, जहां मंदिर के मूल स्वरूप को किसी भी कीमत पर परिवर्तित न किया जाए और न किसी परंपरा को तोड़ा जाए। सीएम के इसी निर्देश पर बांकेबिहारी कॉरिडोर को डिजाइन किया गया है। इसमें मंदिर के मूल स्वरूप को यथावत रखते हुए बाहरी परिसर को विस्तारित किया जाना है। अब तक यह देखने में आता है कि मंदिर के बाहर ऐसी व्यवस्था या स्थान नहीं है, जहां श्रद्धालुओं को रोका जा सके। इससे श्रद्धालु निरंतर मंदिर की ओर बढ़ते चले जाते हैं। जहां पुलिस बैरियर भी लगा देती है तो वहां धक्का मुक्की हो जाती है। लेकिन कॉरिडोर में ऐसा नहीं होगा। नए डिजाइन में बांकेबिहारी मंदिर के बाहर द्विस्तरीय क्षेत्र होगा, जो खुला भी होगा और कवर्ड भी।

बांके बिहारी कॉरिडोर का जो नक्‍शा सामने आया है उसे मूर्त रूप दे दिया जाए तो बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह स्‍थान पूरी तरह सुगम हो जाएगा। चाहे चौपहिया वाहन से आए, चाहें दोपहिया वाहन से, यहां तक कि पैदल भी घूमना चाहें तो कोई परेशानी नहीं होगी। कॉरीडोर के बाहर वाहन पार्किंग, तो कॉरीडोर के अंदर पैदल भ्रमण की सुंदर व्यवस्था होगी। कॉरीडोर के दृष्टिगत जहां सुनरख में पार्किंग तैयार होगी, वहीं बांकेबिहारी मंदिर के सामने और देवराहा बाबा घाट पर सस्पेंशन पुल बनाए जाएंगे। बांकेबिहारी मंदिर कॉरीडोर के प्रस्तावित डिजाइन में इन विकास कार्यों को सम्मिलित किया गया है।

सुनरख पार्किंग 26 हजार वर्ग मीटर में तैयार होगी, वहीं पानीगांव और बांकेबिहारी मंदिर के सामने यमुना के दूसरी ओर भी पार्किंग स्थल विकसित किए जाएंगे। जहां श्रद्धालु अपने वाहन खड़े कर बांकेबिहारी मंदिर में दर्शन के लिए जा सकेंगे। इसके साथ ही श्रद्धालुओं के पैदल आवागमन के लिए बांकेबिहारी मंदिर के सामने और देवराहा बाबा घाट पर सस्पेंशन पुल भी बनाए जाएंगे, ताकि यमुना एक्सप्रेसवे की ओर से आने वाले श्रद्धालु बिना वृंदावन के जाम के झाम में फंसे अपने वाहनों को यमुना के दूसरी ओर खड़े कर सकें और पैदल ही बांकेबिहारी मंदिर तक जा सकेंगे। इनमें से बांकेबिहारी मंदिर के सामने वाला सस्पेंशन पुल कॉरीडोर क्षेत्र में आ रहा है और इसके यमुनापार की ओर एक अन्य पार्किंग होगी। यहीं एक अन्य यात्री सुविधा केंद्र भी होगा।

पार्किंग में एक हजार वाहन खड़े हो सकेंगे

हाईवे की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए 26 हजार वर्गमीटर में सुनरख पार्किंग तैयार की जा रही है। इसमें 2600 वर्गमीटर का एरिया कवर्ड होगा। इस पार्किंग में करीब एक हजार वाहन एक बार में खड़े हो सकेंगे। यहां से श्रद्धालु ई-रिक्शा या पैदल बांकेबिहारी मंदिर तक जा सकेंगे।

11 हजार वर्गमीटर में यात्री सुविधाएं

बांकेबिहारी ब्रिज पार्किंग से लेकर कॉरीडोर तक करीब 11 हजार वर्गमीटर के रास्ते में यात्री सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। कॉरीडोर तक ई-रिक्शा चलाये जाएंगे या नहीं, यह अभी तय नहीं है। यात्री विश्राम स्थल, पेयजल, शौचालय, वाई-फाई इंटरनेट आदि की पूरी सुविधाएं होंगी।

37 हजार वर्गमीटर में बांकेबिहारी ब्रिज पार्किंग

यमुना एक्सप्रेसवे की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए 37 हजार वर्गमीटर में बांकेबिहारी ब्रिज पार्किंग तैयार की जाएगी। इसमें करीब 11 हजार वर्गमीटर का क्षेत्र विकसित किया जाएगा। यहां करीब 1550 वाहन एक बार में खड़े किए जा सकते हैं।

परंपरा समेटे दिखेगा मंदिर का कॉरिडोर

श्रीबांकेबिहारी मंदिर का कॉरिडोर भव्य और दिव्य होगा, जिसमें परंपरा और आधुनिकता का समावेश होगा। इस कॉरिडोर में मंदिर के मूल स्वरूप को यथावत रखते हुए बाहरी क्षेत्र के विस्तारीकरण और पहुंच मार्गों के चौड़ीकरण की कार्ययोजना तैयार की जा रही है, ताकि एक ओर जहां प्राचीनता और परंपरा का निर्वहन हो तो दूसरी ओर समय की आवश्यकतानुसार परिवर्तन और विकास हो।

मंदिर के बाहर खुले परिसर के बीच में बड़ा फव्वारा होगा, जिसके चारों ओर चार बगीचे होंगे। इन बगीचों में लोग दोपहर के समय छाया का आनंद उठा सकेंगे, साथ ही कवर्ड क्षेत्र भी उसी शैली के लाल पत्थरों से बनेंगे, जिस पत्थर से वृंदावन के अधिकांश मंदिर बने हैं। उसी तरह की दीवारें और उसी तरह के गुंबद, फिर पता ही नहीं चलेगा कि नया विकसित क्षेत्र बांकेबिहारी मंदिर से अलग है।

नहीं होगी भीड़ की धक्कामुक्की

बांकेबिहारी कॉरिडोर बनने के बाद मंदिर दर्शन के लिए निश्चित रूप से श्रद्धालुओं की हड़बड़ी में कमी आएगी। दरअसल बांकेबिहारी मंदिर के बाहर के खुले परिसर में श्रद्धालु मंदिर बंद होने की स्थिति में भी इंतजार कर सकते हैं, ताकि मंदिर खुलने के बाद वह दर्शन कर सकें। चूंकि मंदिर भी सामने होगा, इसलिए श्रद्धालुओं को किसी तरह की जल्दबाजी नहीं होगी, क्योंकि मंदिर के पट बंद होने या खुलने की पूरी जानकारी भी उनके सामने होगी।

हरियाली से लुभायेगा बांकेबिहारी कॉरिडोर

श्रीबांकेबिहारी कॉरिडोर हरियाली से यथासंभव आच्छादित होगा। कॉरिडोर में भगवान श्रीकृष्ण के समय के द्वापरकालीन प्रजातियों के पेड़-पौधों को वरीयता दी जाएगी। इनमें पारिजात, कदम्ब, बरगद, पीपल आदि के पेड़-पौधे शामिल हैं, जिनकी छाया में श्रद्धालुओं की आध्यात्मिक अनुभूति प्रगाढ़ होगी। बांकेबिहारी मंदिर के बाहर के खुले परिसर में कई स्थानों पर बगीचे तैयार कराए जाएंगे। बांकेबिहारी कॉरिडोर में श्रीकृष्णकालीन प्रजातियों के पेड़ पौधे लगाए जाएंगे। इससे एक ओर पर्यावरण संरक्षण होगा तो दूसरी प्राकृतिक सौंदर्यीकरण को भी बल मिलेगा। इन पेड़ पौधों के संरक्षण के लिए विशेषज्ञ भी मदद करेंगे। इनमें पारिजात, कदम्ब, बरगद, पीपल आदि के पेड़-पौधे शामिल हैं, जिनको कॉरिडोर क्षेत्र में लगाया जाएगा। इन वनस्पतियों की सिंचाई की सुनियोजित तरीके से कराई जाएगी। इससे वृंदावन की प्राचीन छवि भी मजबूत होगी।

5300 वर्ग मीटर में होंगे दो प्रतीक्षालय और बाल-गोपालों की देखभाल के लिए भी स्थल

बांके बिहारी कॉरिडोर बनने के बाद श्रद्धालुओं को न केबल दर्शन में होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिल जाएगी, बल्कि अन्य तमाम सुविधायें भी मिलेंगी। कॉरिडोर में 5300 वर्ग मीटर में दो प्रतीक्षालय बनाये जायेंगे, जिनमें यात्री बैठकर आराम कर सकेंगे। वहां शिशुओं की देखभाल के लिए अलग से जगह बनाई जाएगी।

बांके बिहारी कॉरिडोर का जो नक्शा बनकर तैयार हुआ है, उसके हिसाब से कॉरिडोर में यात्रियों को तमाम सुविधायें मिलेंगीं। कॉरिडोर में बांके बिहारी के मंदिर की ओर जाने के लिए तीन रास्ते तय किये हैं। जिसमें से यमुना की ओर से जो रास्ता आयेगा वह 2100 वर्ग मीटर क्षेत्र में होगा। इस रास्ते से आने पर कॉरिडोर दो हिस्सों में विकसित किया जाएगा। एक निचला हिस्सा होगा और दूसरा उससे करीब 3.5 मीटर ऊपर होगा, जिस पर जाने के लिए रैंप बनाया जाएगा। दोनों ही हिस्सों में जूता घर, सामान घर, प्रसाधन और पेयजल, शिशु देखभाल, चिकित्सा कक्ष, वीआईपी कक्ष, विद्युत कार्य और तीर्थ यात्रियों के लिए प्रतीक्षालय बनाया जाएगा।

नीचे का हिस्सा होगा बड़ा

कॉरिडोर में निचला हिस्सा ऊपर के हिस्से से बड़ा होगा। नीचे का हिस्सा जहां करीब पांच हजार वर्ग मीटर का होगा, वहीं ऊपर का हिस्सा करीब 650 वर्ग मीटर का होगा।

दो चिकित्सालय होंगे 

कॉरिडोर के नक्शे में दो चिकित्सालयों की व्यवस्था की गई है। एक चिकित्सालय नीचे के हिस्से में होगा, वहीं दूसरा ऊपर के हिस्से में होगा।

800 वर्ग मीटर में बनेंगीं पूजा की दुकानें

कॉरिडोर में करीब 800 वर्ग मीटर क्षेत्र में पूजा की दुकानें बनायी जाएंगीं। ये दुकानें कॉरिडोर के निचले हिस्से में बनायी जाएंगीं। जहां से श्रद्धालु पूजा की सामग्री खरीद सकेंगे। गौरतलब है कि कॉरिडोर बनाने के लिए जिन दुकानों को तोड़ा जाएगा, उन दुकानदारों को यहां पर दुकानें उपलब्ध करायी जाएंगीं, जिससे उनके समक्ष रोजी-रोटी का संकट पैदा न हो। ये दुकानें एक से साइज की होंगी। अभी यह तय नहीं हुआ है कि यहां पर कितनी दुकानें बनायी जाएंगीं।

कितने क्षेत्र में होंगे स्थल (वर्ग मीटर में)

क्षेत्र निचला हिस्सा ऊपर का हिस्सा
-खुला क्षेत्र 5113 650
-जूता घर 250 200
-परिक्रमा – 900
-सामान घर 100 100
-प्रसाधन, पेयजल 300 50
-शिशु देखभाल 30 30
-चिकित्सा 90 80
-वीआईपी कक्ष 80 250
-विद्युत कार्य 100 100
-पूजा सामग्री की दुकान 800 –
-तीर्थयात्री प्रतीक्षालय 3500 1800
-गलियारा – 800

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