प्राण प्रतिष्ठा से पहले राम मंदिर आंदोलन से जुड़ा 30 साल पुराना केस दोबारा खुला, कर्नाटक पुलिस ने एक को किया गिरफ्तार

कर्नाटक में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार बाबरी मस्जिद विध्वंस से जुड़े पुराने मामलों को फिर से खोल रही है और 31 साल पहले राम मंदिर आंदोलन में हिस्सा लेने वाले भाजपा के दो कार्यकर्ताओं को हुब्बाली गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, हुब्बाली-धारवाड़ की पुलिस आयुक्त रेणुका के सुकुमार ने कहा कि पुलिस ने काफी समय से लंबित इन मामलों में आरोपियों का पता लगाया, जो एक नियमित पुलिस प्रक्रिया थी।
भाजपा के मुताबिक 60 वर्ष से अधिक उम्र के उसके दोनों कार्यकर्ताओं को रविवार को गिरफ्तार किया गया। कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि 31 साल पहले अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के दौरान हुए बवाल से जुड़े मामलों को दोबारा खोलकर कांग्रेस हिंदू कार्यकर्ताओं को आतंकित कर रही है। पूर्व मंत्री अशोक के मुताबिक गिरफ्तार लोगों पर उपद्रव के दौरान पथराव करने का आरोप लगाया गया है।
आर अशोक ने कहा, ‘‘कर्नाटक की कांग्रेस सरकार 31 साल पुराने मामले को दोबारा खोल रही है। हुब्बाली में राम मंदिर आंदोलन में भाग लेने वाले दो कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। इससे यह आभास होता है कि राम मंदिर आंदोलन में भाग लेने के लिए उन पर ऐसे समय में हमला किया जा रहा है जब लोग अयोध्या में भव्य राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के ऐतिहासिक अवसर का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।”
कांग्रेस को बदले की राजनीति की भारी कीमत चुकानी होगी
भाजपा के दो कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किए जाने की मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस सरकार राम भक्तों को जेल भेजकर ‘आतंकित’ कर रही है, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद लोगों से अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का जश्न मनाने के लिए कहा है। भाजपा नेता ने कहा, ‘‘यहां तक कि मैंने और पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने भी हिस्सा लिया। क्या आपमें मुझे और येदियुरप्पा को गिरफ्तार करने का साहस है? ”
अशोक ने राज्य सरकार को चेतावनी दी कि अगर उसने प्रतिशोध की राजनीति अपनाई तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी और भाजपा उग्र आंदोलन करेगी। अशोक ने कहा, ‘‘ये कांग्रेस के लिए शर्म की बात है। इससे पता चलता है कि आप टीपू संस्कृति को कर्नाटक में कैसे लाना चाहते हैं। मैं इसकी निंदा करता हूं। मैं मांग करता हूं कि उन्हें रिहा किया जाए और उनके मामले वापस लिए जाएं।”