बिलावल आ रहे भारत, रूस-यूक्रेन के बीच तेज हुई जंग, SCO की बैठक का क्या रहेगा एजेंडा

नई दिल्ली: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की विदेश मंत्री स्तर की दो दिवसीय बैठक आज से गोवा में (SCO Summit In Goa) शुरू हो रही है। भारत इस बैठक की मेजबानी कर रहा है। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब रूस-यूक्रेन जंग (Russia Ukraine War) के बीच दोनों देशों में तनाव और भी बढ़ गया है। रूस ने कहा है कि यूक्रेन ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को मारने के लिए मॉस्को पर ड्रोन हमला किया है। वहीं दूसरी ओर चीन के विस्तारवादी रवैये के लेकर चिंता जताई जा रही है। इस बैठक की अध्यक्षता विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) करेंगे। चीन के विदेश मंत्री किन गांग, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लॉवरोव, पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी (Bilawal Bhutto) आदि शामिल होंगे। एससीओ सम्मेलन से अलग जयशंकर और बिलावल के बीच कोई वन टू वन मीटिंग होगी या नहीं इस पर भी खास नजर रहेगी। हालांकि इसके आसार कम हैं। गुरुवार की यह बैठक कई मायनों में भारत के लिए भी खास है।
भारत एससीओ संगठन के देशों में एक महत्वपूर्ण देश के रूप में उभरा है। इस संगठन में चीन और रूस प्रमुख देश हैं। इस संगठन को नाटो के विकल्प के तौर पर भी देखा जाता है। ऐसे में एससीओ का सदस्य होते हुए भी भारत चार देशों के संगठन क्वाड का भी सदस्य है। क्वाड में भारत के अलावा अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया शामिल हैं। रूस और चीन क्वाड का मुखर रूप से विरोध करते रहे हैं। एससीओ बैठक में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा के अलावा कारोबार, निवेश, सम्पर्क जैसे विषय प्रमुखता से सामने आयेंगे। समझा जाता है कि आतंकवाद की चुनौतियों के अलावा यूक्रेन युद्ध के प्रभावों पर भी चर्चा हो सकती है। रूस और यूक्रेन के बीच तनाव काफी बढ़ गया है।
पाकिस्तान को लेकर रहेगी खास नजर
SCO सम्मेलन से अलग जयशंकर और बिलावल के बीच कोई वन टू वन मीटिंग होगी या नहीं इस बात पर खास नजर रहेगी। एस जयशंकर चीन, रूस और समूह के कुछ अन्य सदस्य देशों के अपने समकक्षों के साथ वन टू वन बातचीत करेंगे। किन गांग और लावरोव के साथ आज बिनॉलिम के एक बीच रिसॉर्ट में बैठक होने की संभावना है। हालांकि जयशंकर और बिलावल के बीच इस तरह की मुलाकात के अभी तक कोई संकेत नहीं मिले हैं। साल 2011 के बाद इस स्तर पर किसी भी पाकिस्तानी नेता का भारत का पहला उच्चस्तरीय दौरा होगा। उस वर्ष पाकिस्तान की विदेश मंत्री हीना रब्बानी खार भारत आई थीं। अभी हीना रब्बानी विदेश राज्य मंत्री हैं। पाकिस्तान के पिछले दिनों रक्षा मंत्री ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में भाग नहीं लिया था और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रक्षा मामलों पर विशेष सहायक मलिक अहमद खान ने डिजिटल तरीके से इसमें भाग लिया था।
भारत एससीओ सम्मेलन की मेजबानी ऐसे समय में कर रहा है जब पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध के कारण चीन के साथ उसके संबंध तनावपूर्ण हैं। बैठक में विदेश मंत्री वर्तमान भू राजनीतिक संकट की पृष्ठभूमि में क्षेत्र के समक्ष पेश आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करेंगे और सदस्य देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों का प्रभाव चर्चा पर नहीं पड़ेगा। चीनी विदेश मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद कांग की भारत की यह दूसरी यात्रा होगी। इससे पहले मार्च की शुरुआत में, उन्होंने जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए भारत का दौरा किया। इसमें कहा गया है कि एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में कांग अन्य समकक्षों के साथ अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्थिति पर चर्चा करेंगे। भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव के बावजूद दोनों देशों की ओर से लगातार बातचीत जारी रहने के संकेत है।
एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में हुई थी। एससीओ में चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। भारत इस साल समूह की अध्यक्षता कर रहा है। भारत और पाकिस्तान 2017 में चीन में स्थित एससीओ के स्थायी सदस्य बने थे। भारत ने पिछले सप्ताह एससीओ रक्षा मंत्री स्तरीय बैठक की मेजबानी की थी। भारत, रूस, चीन और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के अन्य सदस्य देशों ने नई दिल्ली में आयोजित इस बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों और उससे संबंधित मुद्दों पर चर्चा की थी। ( एजेंसी इनपुट के साथ)