खाने को नहीं दानें और पाकिस्तान चला खालिस्तान पर रायशुमारी कराने, ट्रक पर झंडा लगा कर रहा प्रचार

इस्लामाबाद: कश्मीर पर भारत से मुंह की खा चुका पाकिस्तान अब खालिस्तान के मुद्दे को हवा देने में जुटा है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई पूरी दुनिया में भारत की छवि बदनाम करने के लिए खालिस्तान रेफरेंडम (खालिस्तान पर जनमत संग्रह) का आयोजन करवा रही। ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन में खालिस्तानियों को पैसे देकर खरीदने वाला पाकिस्तान अब लाहौर में अगला खालिस्तान रेफरेंडम करा रहा है। इसके लिए बाकायदा ट्रक के जरिए प्रचार किया जा रहा है। ट्रक तो विदेशी है, लेकिन इस पर पाकिस्तान का झंडा लगा हुआ है और बैनर पर खालिस्तान रेफरेंडम की बात बताई गई है।
लाहौर में होगा रेफरेंडम का आयोजन
खास बात यह है कि इस रेफरेंडम का आयोजन लाहौर में महाराजा रणजीत सिंह समाधि के पास किया जा रहा है। 2019 में तहरीक-ए-लब्बैक के कट्टरपंथियों इस जगह मौजूद महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिम को तोड़ दिया था। तब पाकिस्तान सरकार आंखें मूंदकर सोती रही और इसके जिम्मेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। अब वही पाकिस्तान सिखों का रहनुमा बनने के लिए उसी जगह पर खालिस्तान रेफरेंडम का आयोजन कर रहा है। इससे साबित होता है कि पाकिस्तान का मकसद भारत को अस्थिर करना है, न कि सिखों की सहायता करना।
पाकिस्तान में आए दिन सिखों पर होते हैं अत्याचार
पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ कैसा सलूक होता है। यह वो देश है, जिसकी स्थापना इस्लाम के नाम पर की गई, लेकिन इस्लाम के ही अल्पसंख्यक धड़े यहां सुरक्षित नहीं हैं। पाकिस्तान में हिंदू नहीं, बल्कि सिखों की तादाद में भी भारी गिरावट देखी गई है। पाकिस्तानी कट्टरपंथी हर साल बड़ी तादाद में हिंदू और सिख समुदाय की लड़कियों का अपहरण कर जबरन निकाह करते हैं। पुलिस भी ऐसी घटनाओं पर कोई कार्रवाई नहीं करती। कई बार तो लड़कियों के मां-बाप को जान से मारने की धमकी दी जाती है।
खालिस्तान आंदोलन को भड़का रहा पाकिस्तान
1971 के युद्ध में भारत के हाथों तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान हारने के बाद से ही पाकिस्तान बदला लेने की कोशिश में है। आज यह बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है। पाकिस्तान ने कश्मीर को अलग करने की खूब साजिश रची, लेकिन कामयाब न हो सका। ऐसे में उसने खालिस्तान आंदोलन को हवा देने की कोशिश शुरू कर दी है। इसमें पाकिस्तान का मोहरा विदेशों में बैठे कुछ कट्टरपंथी सिख बन रहे हैं। इनमें से अधिकतर ने विदेशों की नागरिकता ले रखी है और वहीं बसे हुए हैं।