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पाकिस्तान में सेना के खिलाफ बोलने वालों की अब खैर नहीं, इतना बौखलाए क्यों हैं शहबाज शरीफ? ला रहे नया कानून

इस्‍लामाबाद: पाकिस्‍तान में इस समय एक नहीं बल्कि कई मुसीबतें हावी हैं। देश में जारी भयानक आर्थिक संकट से कैसे निबटा जाए, इस पर अभी कोई फैसला नहीं हो पाया है कि सेना के खिलाफ जारी एक बड़े कैंपेन ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की नाक में दम कर दिया है। पाकिस्‍तान के अखबार द डॉन ने एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि अब सरकार एक ऐसी टास्‍क फोर्स बनाने का प्रस्‍ताव दिया है जो उन सोशल मीडिया पोस्‍ट्स को ट्रैक करेगी जो सेना के खिलाफ प्रचार करने में लगी हुई हैं। इस पूरे प्रस्‍ताव को तैयार करके मंजूरी के लिए भेज दिया गया है। इस पर आने वाले कुछ दिनों में फैसला लिया जा सकता है। तीन दिन पहले ही पीएम शहबाज ने ऐसे लोगों की आलोचना की है जो सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के खिलाफ साजिश रचने में लगे हैं। उन्‍होंने कहा था कि सेना और अधिकारियों के खिलाफ अब कुछ भी बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा।

शहबाज बनाएंगे टास्‍क फोर्स?
जो प्रस्‍ताव सरकार की तरफ से दिया गया है उसके तहत टास्‍क फोर्स में फेडरल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (FIA), पाकिस्‍तान टेलीकम्‍युनिकेशन अथॉरिटी (PTA) और नेशनल डेटाबेस एंड रजिस्‍ट्रेशन अथॉरिटी (नाद्रा) के अधिकारी शामिल होंगे। इस टास्‍क फोर्स को पुलिस और कानून की दूसरी एजेंसियों की मदद भी मिलेगी। साथ ही कुछ ऐसे नियम भी बनाए जाएंगे जिसके तहत सोशल मीडिया के गलत प्रयोग पर लगाम लग सकेगी। सरकार ने पूर्व पीएम और पाकिस्‍तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के मुखिया इमरान खान पर मिलिट्री के खिलाफ दुष्‍प्रचार का आरोप लगाया है।

ऐसे में इस प्रस्‍ताव का लाया जाना अपने आप में काफी महत्‍वूपर्ण है। कई विशेषज्ञों की मानें तो पूरे देश में इस समय एक ध्रुवीकरण की राजनीति चल रही है। यही राजनीति अब डिजिटल दुनिया और कई सोशल मीडिया ट्रेंड्स पर भी नजर आने लगी है। सेना और सरकार का मानना है कि इन ट्रेंड्स के जरिए मिलिट्री और ऐसे ऑफिसर्स को निशाना बनाया जा रहा है जिन्‍हें हाल के कुछ सालों में प्रमोशन मिला है।

मिलिट्री के खिलाफ प्रपोगैंडा

अगस्‍त 2022 में गलत प्रपोगेंड पर मिलिट्री की तरफ से नाराजगी जताई गई थी। सेना का मानना है कि सोशल मीडिया पर झूठ फैलाया जा रहा है और असंवदेनशील टिप्‍पणियां की जा रही हैं। बलूचिस्‍तान में एक हेलीकॉप्‍टर क्रैश में पाकिस्‍तान के छह ऑफिसर्स की मौत के बाद सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाया गया था।
इसके बाद एफआईए की तरफ से एक टीम बनाकर इस पूरे कैंपेन को चलाने वाले लोगों का पता लगाया गया और फिर उन्‍हें गिरफ्तार किया गया। गृह मंत्रालय की तरफ से बताया गया था कि आठ टिकटॉक अकाउंट्स, 44 ट्विटर हैंडल और 50 से ज्‍यादा फेसबुक अकाउंट की पहचान की गई थी। इन अकाउंट्स के जरिए ‘एंटी आर्मी’ कैंपेन को सोशल मीडिया पर चलाया जा रहा था।
सरकार की दूसरी कोशिश
सरकार की तरफ से यह दूसरी कोशिश है जब सोशल मीडिया पर सेना की इस तरह से आलोचना की जा रही है। इस साल फरवरी में कैबिनेट के सदस्‍यों में एक बिल को लेकर मतभेद सामने आए थे। इस बिल के तहत सोशल मीडिया पर लगाम लगाने की कोशिश की गई थी। इस बिल को सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था। कैबिनेट मीटिंग के दौरान कुछ सदस्‍यों का कहना था कि उन लोगों को भी कानून के तहत लाया जाना चाहिए जो सांसदों को बदनाम करते हैं। सदस्‍यों की मानें अतो अभिव्‍यक्ति की आजादी के नाम पर कुछ लोग कुछ भी करने की कोशिशें करते हैं और ऐसे लोगों पर लगाम लगना बहुत जरूरी है। गृह मंत्रालय की तरफ से आए इस बिल को अपराधिक कानून (संशोधन) बिल 2023 नाम दिया गया था।

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