खेल

स्तन ढकने से लेकर गायों की डकार तक… कैसे-कैसे टैक्स, अपना माथा पीट लेंगे आप

एक फरवरी को वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश किया जाएगा। इस बार टैक्सपेयर्स को नौ साल बाद राहत मिलने की उम्मीद है। बजट के इस मौसम में हम आपको कई ऐसे टैक्स के बारे में बता रहे हैं जिनकी आज कल्पना भी नहीं की जा सकती। कभी स्तन ढकने (breast cover) पर टैक्स लगता था। यह सच है। यह टैक्स कहीं और नहीं बल्कि भारत में ही लगता था। इसी तरह दाढ़ी रखने पर भी टैक्स लगता था। अब तो न्यूजीलैंड में गायों की डकार पर भी टैक्स लगाने की तैयारी चल रही है। यहां हम आपको दस अजीबोगरीब टैक्स के बारे में बता रहे हैं…

स्तन ढकने पर टैक्स

19वीं शताब्दी में केरल में त्रावणकोर के राजा ने कथित निचली जाति की महिलाओं के स्तन ढकने पर टैक्स लगाया था। इनमें एजवा, थिया, नाडर और दलित समुदाय की महिलाएं शामिल थीं। इन महिलाओं को अपने स्तन ढकने की इजाजत नहीं थी। ऐसा करने पर उन्हें भारी टैक्स देना पड़ता था। आखिरकार नांगेली नाम की एक महिला के कारण त्रावणकोर की महिलाओं को इस टैक्स से मुक्ति मिली। नांगेली ने यह टैक्स देने से मना कर दिया। जब एक टैक्स इंस्पेक्टर उसके घर पहुंचा तो नांगेली ने टैक्स देने से इनकार कर दिया। इस टैक्स के विरोध में उसने अपने स्तन काट दिए। ज्यादा खून बहने के कारण उसकी मौत हो गई और इसके साथ ही राजा को यह टैक्स खत्म करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

खिड़कियों पर टैक्स

साल 1696 में इंग्लैंड और वेल्स के राजा विलियम तृतीय ने खिड़कियों पर टैक्स लगाया था। इसमें लोगों को खिड़कियों की संख्या के हिसाब से टैक्स देना पड़ता था। राजा का खजाना खाली था और उसकी हालत सुधारने के लिए उसने यह तरकीब अपनाई। जिन घरों में 10 से अधिक खिड़कियां होती थीं उन्हें दस शिलिंग टैक्स देना पड़ता था। इससे बचने के लिए कई लोगों ने अपनी खिड़कियों को ईंटों से कवर कर दिया था। लेकिन इससे उनका स्वास्थ्य प्रभावित होने लगा। आखिर 156 साल बाद 1851 में जाकर यह टैक्स खत्म हुआ।

दाढ़ी पर टैक्स

साल 1535 में इंग्लैंड के सम्राट हेनरी अष्टम ने दाढ़ी पर टैक्स लगा दिया था। यह टैक्स आदमी की सामाजिक हैसियत के हिसाब से लिया जाता था। हेनरी अष्टम के बाद उनकी बेटी एलिजाबेथ प्रथम ने नियम बनाया कि दो हफ्ते से ज्यादा बड़ी दाढ़ी पर टैक्स लिया जाएगा। मजेदार बात यह है कि अगर टैक्स वसूली के वक्त कोई घर से गायब मिले तो उसका टैक्स पड़ोसी को देना होता था। 1698 में रूस के शासक पीटर द ग्रेट ने भी दाढ़ी पर टैक्स लगाया था। दाढ़ी बढ़ाने पर टैक्स देना पड़ता था। वह रूस के समाज को यूरोपीय देशों की तरह आधुनिक बनाना चाहते थे।

आत्मा पर टैक्स

रूस के राजा पीटर द ग्रेट ने 1718 में सोल यानी आत्मा पर भी टैक्स लगाया था। यह टैक्स उन लोगों को देना पड़ता था जो आत्मा जैसी कोई चीजों पर यकीन करते थे। जो आत्मा में यकीन नहीं रखते थे, उनसे भी टैक्स लिया जाता था। उनसे धर्म में आस्था न रखने का टैक्स लिया जाता था। यानी सभी को टैक्स देना होता था। कहा जाता है कि चर्च और रसूखदार लोगों को छोड़कर सबको यह टैक्स देना होता था। इसमें भी टैक्स वसूली के समय टैक्सपेयर घर से गायब हो तो पड़ोसी को देना होता था।

कुंवारों पर टैक्स

रोम में नौवीं सदी में बैचलर टैक्स लगता था। इसे रोम के सम्राट ऑगस्टस ने शुरू किया था। इसके पीछे मकसद शादी को बढ़ावा देना था। ऑगस्टस ने साथ ही उन शादीशुदा जोड़ों पर भी टैक्स लगाया जिनके बच्चे नहीं थे। यह टैक्स 20 से 60 साल की उम्र तक के लोगों को देना होता था। 15वीं सदी में बैचलर टैक्स के दौरान ऑटोमन साम्राज्य में भी था। इटली के तानाशाह बेनितो मुसोलिनी ने भी 1924 में बैचलर टैक्स लगाया था। यह टैक्स 21 से लेकर 50 वर्ष की आयु के बीच के अविवाहित पुरुषों पर लगाया जाता था।

टोपी पर टैक्स

यूके के प्राइम मिनिस्टर विलियम पिट ने 1784 में पुरुषों की टोपी पर टैक्स लगा दिया था। सभी हैट के अंदर लाइनिंग पर एक स्टांप लगा होता था। सरकार के इसे पूरी गंभीरता के साथ लागू किया था। इस नियम को नहीं मानने वालों और स्टांप के साथ छेड़छाड़ करने वालों के लिए मौत की सजा थी। इस टैक्स को 1811 में खत्म कर दिया गया। इसी तरह इंग्लैंड में विग पाउडर पर भी टैक्स लगाया गया था। इसे 17वीं शताब्दी में लगाया गया था। फ्रांस के साथ लड़ाई के कारण इंग्लैंड की हालत खस्ता हो गई थी और सरकार खजाने को भरने के लिए यह टैक्स लगाया गया था। इस पाउडर का इस्तेमाल विग को कलर करने और इसके खुशबूदार बनाने के लिए किया जाता था।

गायों की डकार पर टैक्स

न्यूजीलैंड में मवेशियों की डकार पर किसानों को टैक्स चुकाना होगा। ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदारी ग्रीनहाउस गैसों की समस्या से निपटने के लिए न्यूजीलैंड यह कदम उठाया है मवेशियों के डकारने पर किसानों से यह टैक्स वसूला जाएगा। न्यूजीलैंड में ग्रीनहाउस गैस की समस्या में पशुओं के डकार का सबसे ज्यादा योगदान है। रिसर्च के मुताबिक मवेशियों की डकार से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है। किसानों को 2025 से अपने मवेशियों की डकार पर टैक्स देना होगा। इस योजना के जरिये वसूले गए टैक्स को किसानों के लिए रिसर्च, विकास और सलाहकार सेवाओं में लगाया जाएगा।

नमक पर टैक्स

फ्रांस में 14वीं शताब्दी में मध्य में नमक पर टैक्स लगाया था। लोगों ने इसका काफी विरोध किया और फ्रांस की क्रांति में इसकी अहम भूमिका थी। आखिरकार दूसरे विश्व युद्ध के बाद जाकर यह टैक्स 1945 में खत्म हुआ। भारत में भी अंग्रेजों ने नमक पर टैक्स लगाया था। 187 साल तक देश में नमक की सप्लाई पर अंग्रेजों का कंट्रोल रहा। सबसे पहले 1759 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने नमक पर टैक्स लगाया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1930 में नमक पर टैक्स के खिलाफ दांडी मार्च निकाला था। लेकिन इसके बावजूद यह टैक्स बना रहा। अक्टूबर 1946 में अंतरिम सरकार ने इस टैक्स को समाप्त किया था।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button