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शिक्षा से खाद्य सुरक्षा और रोजगार तक, बजट में 90% वर्कफोर्स को मिले प्राथमिकता

नई दिल्ली:आम बजट पेश होने में अब काफी कम समय बचा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2023 को आम बजट पेश करने वाली हैं। इस बार आम बजट से सभी वर्गों को काफी उम्मीदें हैं। बजट से खासतौर से मध्यमवर्गीय परिवारों और युवाओं को बहुत उम्मीदे हैं। सभी को आम बजट पेश होने का बेसब्री से इंतजार है। पिछले दिनों आई वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना के चलते अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है। अर्थव्यवस्था की तेजी पर कोरोना ने ब्रेक लगाने का काम किया है। ऐसे में इस बार आम बजट में स्वास्थ्य, शिक्षा, खाद्य सुरक्षा और रोजगार जैसे मुददों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। इस बार आम बजट में ह्यूमन डेवलपमेंट को इंप्रूम करने में मदद मिल सकती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की 90 फीसदी से ज्यादा वर्कफोर्स अनौपचारिक क्षेत्र से संबंधित हैं जो देश की जीडीपी के आधे से अधिक का योगदान करते हैं। इस वर्कफोर्स को बजट में प्राथमिकता मिलती है तो देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छा होगा। हालांकि इस बार आम बजट से भी को काफी उम्मीदें हैं।

हेल्थ सेक्टर के बजट में हो इजाफा

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में वहां का हेल्थ सेक्टर काफी अहम होता है। कोरोना काल के बाद से हेल्थ सेक्टर को मजबूत करने पर काफी जोर दिया जा रहा है। सरकार ने पिछले दिनों हेल्थ सेक्टर में सुधार के लिए कई कदम भी उठाए हैं। हेल्थ सेक्टर में अभी भी लोगों को कई सुविधाएं मिलने का इंतजार है। पिछली बार हेल्थ सेक्टर के लिए सरकार ने कई घोषणाएं की थीं। पिछले बजट 2021-22 के लिए कोविड-19 वैक्‍सीन के लिए 35,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। पिछले बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए तीन बातों रोकथाम, उपचार और देखभाल पर ध्यान दिया गया था। बजट 2022-23 में भी इसका ख्याल रखा गया था। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि सरकार स्वास्थ्य मंत्रालय में बीमा, टीके, टेक्नोलॉजी और रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) सहित विभिन्न क्षेत्रों से निपटने के लिए पिछले बजट की तुलना में 20-30 प्रतिशत की वृद्धि कर सकती है।

एजुकेशन सेक्टर में सुधार की उम्मीद

एजुकेशन सेक्टर में लोगों का खर्चा काफी बढ़ा है। महंगाई का असर एजुकेशन सेक्टर पर भी पड़ा है। कोरोना काल में मार्च 2020 से करीब 18 महीनों के लिए स्कूल बंद हो गए थे। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई थी। एक रिपोर्ट बताती है कि बच्चों की बेसिक रीडिंग एब्लिटी भी इससे प्रभावित हुई है। इससे निपटने के लिए तमिलनाडु सरकार ने एजुकेशन एट डोरस्टेप पोग्राम की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत स्कूल के बाद एक कैंप लगाया जाता है। इसमें बच्चों की पढ़ाई के स्तर को सुधारने के लिए कदम उठाए जाते हैं। इस तरह के कार्यक्रम को पूरे देश में चलाने की जरूरत महसूस की जा रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, शिक्षा आयोग ने सिफारिश की थी कि जीडीपी का कम से कम 6 फीसदी हिस्सा शिक्षा पर खर्च किया जाना चाहिए। हालांकि भारत का शिक्षा बजट अभी इस स्तर को छू नहीं पाया है। ऐसी उम्मीद हैं कि आगामी बजट युवा भारत को विकास के पथ पर ले जाने के लिए शिक्षा पर पर्याप्त सार्वजनिक निवेश कर सकता है।

वर्कफोर्स को मिले प्राथमिकता

देश में 90 फीसदी से ज्यादा वर्कफोर्स अनौपचारिक क्षेत्र से संबंधित है। यह वर्कफोर्स देश की जीडीपी में काफी योगदान करती है। अगर बजट में देश की इस वर्कफोर्स को प्राथमिकता मिलती है तो इसका देश की अर्थव्यवस्था पर काफी असर पड़ेगा। इससे देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

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