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भारत की इकोनॉमी पहले ही हो चुकी है 5 ट्रिलियन की, बस सात समंदर पार इन भारतीयों को जोड़ना होगा: समीर जैन

नई दिल्ली: टाइम्स ग्रुप के वाइस चेयरमैन और एमडी समीर जैन ने ईटी ग्लोबल बिजनेस समिट के पहले दिन समृद्ध और शक्तिशाली भारत का खाका खींचा। पीएम नरेंद्र मोदी का स्वागत करते हुए उन्होंने एक महत्वपूर्ण सुझाव रखा। कहा कि अगर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को इनकम टैक्स में एक प्रतिशत की अतिरिक्त छूट मिल जाए, तो उनका आर्थिक सशक्तिकरण होगा।

समीर जैन ने कहा कि पुरुषों की इनकम टैक्स फाइलिंग ज्यादा है और महिलाओं की कम। पुरुषों पर एक प्रतिशत इनकम टैक्स बढ़ा दिया जाए और महिलाओं को एक फीसदी की छूट मिल जाए। इससे पुरुष अपनी इनकम को महिलाओं के नाम पर ट्रांसफर करेंगे। महिलाओं के हाथ में धन की ताकत से बड़ी कोई और ताकत नहीं हो सकती।

    उन्होंने यह बात भी पीएम के सामने रखी कि देश तो 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बन चुका है। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने कुछ समय पहले कहा कि 2025 तक देश की जीडीपी 5 ट्रिलियन डॉलर होनी चाहिए। यह आंकड़ा आज ही पूरा है। देश की आबादी है 140 करोड़, जबकि तीन करोड़ भारतवंशी विदेश में हैं। उनकी इनकम औसत भारतीय से सौ गुनी है। मोदी जी विदेश में जाकर उनको जिस तरह से गले लगाते हैं, उन्हें भी जोड़ा जाना चाहिए। केवल पासपोर्ट अलग है, लेकिन दिल-दिमाग हिंदुस्तान में है। उनको इस इकॉनमी में पूरा भागीदार मानिए।’

    शाम ढलने के साथ परवान चढ़े कार्यक्रम का आगाज किया समीर जैन ने महाशिवरात्रि के जिक्र के साथ। कहा, ‘कल रात को यह आर्थिक महायज्ञ होगा, तो वहीं महाशिवरात्रि का उत्सव भी शुरू हो रहा है। पूरी दुनिया में, हर आश्रम में, हर गुरु के सानिध्य में लोग रातभर शिव की अराधना करेंगे। यह दिन है ब्रह्मरंध्र से ब्रह्मांड में जुड़ जाने का। यह दिन है अपने असली स्वरूप को जानने का।’

    उन्होंने शिव को समर्पित आदिगुरु शंकराचार्य के श्लोक को उद्धृत करते हुए कहा, ‘जिसके लिए बंधन नहीं है, उसके लिए मुक्ति भी नहीं है। जो शिव के चरणों में है, वह मुक्त ही है। लोककल्याण भगवान शिव की शिक्षा है। यह सिर्फ अपने स्वार्थ और परिवारवाद के लिए जीने से नहीं प्राप्त होती। प्रधानमंत्री युवावस्था में ही अपने को जानने और हिंदुस्तान का दर्शन करने के लिए निकल गए थे। तब से वह हिंदुस्तान की समृद्धि में जुड़े हुए हैं, हर क्षण, हर पल। पहले उन्होंने समाज की सेवा की। अब देश की सेवा कर रहे। और, अब जी-20 एक सीढ़ी है विश्व की सेवा और नेतृत्व की।’

    बिजनेस मतलब केवल पैसा नहीं, यह बात भी टाइम्स ग्रुप के वाइस चेयरमैन और एमडी ने साफ की। प्राचीन भारतीय ज्ञान के खजाने से निकालकर उन्होंने अष्टलक्ष्मी के बारे में बताया और एक नया विचार सामने रखा कि समृद्धि को जोड़ना होगा इस अष्टलक्ष्मी से। वही असली धन होगा।

    उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में लक्ष्मी को केवल धन के रूप में नहीं देखा गया। वह अष्टलक्ष्मी हैं। इसमें सबसे पहले हैं आदि लक्ष्मी। जब आप एक नया बिजनेस शुरू करते हैं या स्थापित बिजनेस में कुछ नया करते हैं, तो वह ओरिजिनल थॉट होता है। यह है आदि लक्ष्मी। फिर आप इन्वेस्टर के पास जाते हैं और वो भी आपसे जुड़ने लगते हैं, क्योंकि धन आप पर बरसता रहता है। यह हैं धन लक्ष्मी। फिर उस धन से आप जो फैलाव करते हैं। जो फैक्ट्री लगाते हैं, ऑफिस बनाते हैं, सबकी भलाई के लिए रोजगार देते हैं, वह हैं धान्य लक्ष्मी। जब सफलता मिलने लगती है, तो आती हैं गज लक्ष्मी। हाथी जैसी ग्रैविटी, जो हर उतार-चढ़ाव का सामना करना सिखाती है। इसके बाद फिर विद्या लक्ष्मी।

    समीर जैन ने बताया कि पांच साल पहले पीएम ने भटनागर पुरस्कार में AI, ब्लॉकचेन, मशीन लर्निंग, डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग पर बात की थी। तब किसी ने इस बारे में नहीं सोचा था। यही विद्या लक्ष्मी हैं यानी विद्या पूरी तरह अप टू डेट हो, अल्ट्रा मॉर्डन हो, तभी आप टेक्नॉलजी के मामले में विश्व को जीत सकते हैं। इसके बाद होगा मार्केट में उतार और चढ़ाव। कोई भी स्टॉक मार्केट सीधा ऊपर नहीं जाता। ऊपर है तो नीचे आएगा और नीचे है तो ऊपर जाएगा। उस समय आपको धैर्य चाहिए। यही सीख देती हैं धैर्य लक्ष्मी। और, जब सफलता मिल जाए, तो विजय पाइए अपने ईगो के ऊपर और वह हैं विजय लक्ष्मी। इसके बाद परिवार लक्ष्मी, जो वसुधैव कुटुंकब की सीख देती हैं।

    समीर जैन ने कहा, ‘मैं और मेरे वाले चार जनों के परिवार में जीवन का आनंद बिल्कुल नहीं है। आनंद है, जब आपका एक आध्यात्मिक और एक बौद्धिक परिवार हो। सिर्फ परिवारवाद में आपको जीवन का आनंद प्राप्त होना बहुत मुश्किल है।’

    समीर जैन ने कहा कि संकल्प वह सिद्ध होता है, जो निस्वार्थ हो। जब मेरा संकल्प केवल मेरे लिए, मेरे परिवार के लिए होगा, तो वह स्वार्थ का होगा। उसमें प्रकृति आपका विरोध करेगी, लेकिन जब संकल्प सारे विश्व की भलाई के लिए होगा, तो सारी प्रकृति जुड़ जाती है वह संकल्प पूरा करने के लिए।

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