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बिकने को तैयार था इंदिरापुरम का शिप्रा मॉल, तभी आ गया ट्विस्ट, जानिए पूरी इनसाइड स्टोरी

ग्रेटर नोएडा: यह मामला नोएडा के सेक्टर 128 (Noida Sector 128) का है। वहां अथॉरिटी ने जमीन का एक बड़ा टुकड़ा डेवलपमेंट के लिए जेपी ग्रुप (JP Group) को दिया। जेपी ग्रुप पर कर्ज बोझ बढ़ा तो उसने इसे गाजियाबाद के कदम ग्रुप को बेच दिया। कदम ग्रुप का अधिकतर शेयर शिप्रा ग्रुप के पास था, इसलिए यह जमीन शिप्रा के पास आ गई। उसने इस पर प्रोजेक्ट बनाने के लिए इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस (Indiabulls Housing Finance) से लोन लिया। इंडियाबुल्स ने यह जमीन एम3एम (M3M) को बेच दिया। एम3एम ने इस जमीन पर एक लक्जरी हाउसिंग प्रोजेक्ट को लॉन्च करने की घोषणा कर दी, हालांकि उसे इसके लिए जरूरी अनुमति भी नहीं मिली थी। अब यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (Yamuna Authority) के संज्ञान में यह मामला आया है। अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अरुणवीर सिंह (Arunvir Singh IAS) ने एम3एम बिल्डर, कदम ग्रुप और इंडियाबुल्स के खिलाफ एक्शन का आदेश दे दिया है।

200 करोड़ रुपये वसूले जाएंगे

यमुना अथॉरिटी के सीईओ ने कहा है कि इन कंपनियों ने ट्रांसफर ऑफ मेमोरंडम या टीएम (TM) चार्ज जमा कराए बगैर जमीन का ऑनरशिप ट्रांसफर कर दिया है। यहां तक कि मालिकाना हक के ट्रांसफर के बारे में अथॉरिटी को जानकारी भी नहीं दी है। इसलिए इन कंपनियों के खिलाफ एफआईआर तो कराया ही जाएगा, इन कंपनियों से 200 करोड़ रुपए की वसूली भी की जाएगी। यही नहीं, यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने नोएडा अथॉरिटी की सीईओ ऋतु महेश्वरी (Ritu Maheshwari IAS) को पत्र भी लिखा है। पत्र में कहा गया है कि नोएडा के सेक्टर-128 स्थित एम3एम ग्रुप की आने वाली हाउसिंग स्कीम का नक्शा पास नहीं किया जाए।

कहां से शुरू हुई कहानी

यह कहानी काफी पुरानी है। जब ग्रेटर नोएडा से आगरा तक यमुना एक्सप्रेसवे का निर्माण का खाका बना, तभी उत्तर प्रदेश सरकार ने एक एलडीएफ लैंड फोर डेवलपमेंट (Land For Development) जेपी इंफ्राटेक को दिया था। यह जमीन नोएडा के सेक्टर 128 में है। इस एलडीएफ में यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी के पास ही प्रोपर्टी ट्रांसफर का अधिकार है। इस जमीन में नोएडा अथॉरिटी के पास सिर्फ कंस्ट्रक्शन के लिए अप्रूवल देने का अधिकार है। कर्ज की वजह से जब जेपी ग्रुप की हालत खराब हुई तो उसने सेक्टर 128 के एलडीएफ में से 73 एकड़ का एक प्लॉट गाजियाबाद के कदम ग्रुप को बेच दिया। कदम ग्रुप का अधिकतर शेयर गाजियाबाद के ही शिप्रा ग्रुप के पास है। इस तरह से जमीन का मालिक शिप्रा ग्रुप बन गया।

बीच में कैसे आया इंडियाबुल्स

शिप्रा ग्रुप ने गाजियाबाद और नोएडा के चार रेसिडेंशयल एंड कामर्शियल प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड से साल 2017 में 1,939 करोड़ रुपये का लोन लिया। लोन लेने के लिए शिप्रा ग्रुप ने अपनी छह प्रोपर्टी को गिरवी रखा। साथ ही ग्रुप की कई कंपनियों के शेयर भी गिरवी रखे गए। साल 2021 में इंडियाबुल्स ने शिप्रा ग्रुप को शिप्रा ग्रुप को लोन वापस करने को कहा। उसके बाद दोनों कंपनियों के बीच नोएडा के सेक्टर 128 में 73 एकड़ जमीन बेचने का राजीनामा हुआ।

एम3एम की इंट्री कैसे हुई

जब इंडियाबुल्स और शिप्रा ग्रुप में राजीनाम हो गया तो जमीन के खरीदार की तलाश शुरू हुई। इसी क्रम में शिप्रा और डीएलएफ के बीच बातचीत शुरू हुई। डीएलएफ इसके लिए पैसे देने को भी तैयार हो गई थी। लेकिन इसी बीच इंडियाबुल्स ने अपने पास गिरवी रखे शेयरों को एम3एम को बेच दिया। इस तरह से नोएडा सेक्टर 128 के 73 एकड़ जमीन का मालिक एम3एम बन गया।

मामला गया पुलिस के पास

शिप्रा को नोएडा वाली जमीन बेचने की खबर मिली। साथ ही यह भी खबर मिली कि इंडियाबुल्स ने शिप्रा के गिरवी रखे अन्य प्रोपर्टीज को भी बेचने का प्लान बनाया है। इसमें इंदिरापुरम का फेमस शिप्रा मॉल भी है। उसके बाद शिप्रा ग्रुप पुलिस के पास गया। पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया तो कंपनी ने कोर्ट का रुख किया। कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया। जब एफआईआर दर्ज हो गया तो मामले की जानकारी यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी तक भी पहुंची। उसके बाद अथॉरिटी एक्शन में आई।

बिना जमीन लॉन्च हुआ प्रोजेक्ट

ऐसा बताया जाता है कि एम3एम बिल्डर ने बिना जमीन का मालिकाना हक पाए, उस पर प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया। यही नहीं, इसके लिए पूरे दिल्ली-एनसीआर में बड़े-बड़े होर्डिंग्स और विज्ञापन लगाए गए। अथॉरिटी की कार्यप्रणाली के जानकारों का कहना है कि सिर्फ कदम ग्रुप के शेयर खरीदने से इस जमीन का एम3एम को मालिकाना हक नहीं मिल जाता है। नियमानुसार पहले कदम ग्रुप को इंडियाबुल्स और फिर इंडियाबुल्स को यह जमीन एम3एम को ट्रांसफर करनी होगी। इसके लिए यमुना अथॉरिटी से ट्रांसफर मेमो हासिल (TM) करने होंगे। अभी यह जमीन एम3एम की नहीं है। यदि बिल्डर इस पर कोई हाउसिंग प्रोजेक्ट लॉन्च करता है और बुकिंग शुरू करता है तो ऐसा करना गैर-कानूनी है।

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