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‘कानूनों के पीछे का साइंस समझना आसान नहीं…’, रिजिजू से छिना कानून मंत्रालय तो कपिल सिब्बल ने ले लिए मजे

नई दिल्ली : केंद्रीय कानून मंत्रालय से किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju news) की छुट्टी पर पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने चुटकी ली है। गुरुवार को मोदी कैबिनेट (Modi Cabinet Reshuffle) में बड़ा बदलाव हुआ। रिजिजू को कानून मंत्रालय से हटाकर अब पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। उनकी जगह पर अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal new Law Minister) को बतौर राज्य मंत्री कानून मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है। रिजिजू से कानून मंत्रालय छिनने और उन्हें पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय दिए जाने पर सिब्बल ने मजे लेते हुए कहा कि कानूनों के पीछे का साइंस समझना आसान नहीं होता।

यूपीए सरकार के दौरान कानून मंत्री रहे कपिल सिब्बल ने ट्वीट किया, ‘किरेन रिजिजू: कानून नहीं, अब अर्थ साइंसेज मंत्रालय। कानूनों के पीछे का साइंस समझना आसान नहीं होता। अब साइंस के कानूनों के साथ भिड़ना। गुड लक माइ फ्रेंड!’


मंत्रालय बदले जाने के बाद रिजिजू ने ट्विटर पर अपने बायो में भी बदलाव किया है। अब उनके ट्विटर बायो में कानून एवं न्याय मंत्री की जगह पृथ्वी विज्ञान मंत्री लिखा गया है।


मंत्रालय बदले जाने के बाद अपने पहले ट्वीट में रिजिजू ने खुद को कानून मंत्री के तौर पर मौका देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शुक्रिया कहा है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री के तौर पर सेवा देने सम्मान की बात है। मैं सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों, हाई कोर्ट्स के सभी चीफ जस्टिस, लोअर जुडिशरी और सभी लॉ अफसरों को उनसे मिले समर्थन के लिए शुक्रिया कहता हूं। उनके समर्थन ने हमारे नागरिकों को न्याय में आसानी सुनिश्चित हुई।’ रिजिजू ने ट्वीट में आगे लिखा कि वह उसी उत्साह और ताकत के साथ पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में भी काम करेंगे और प्रधानमंत्री मोदी के विजन को पूरा करने की कोशिश करेंगे।

कानून मंत्री के तौर पर किरेन रिजिजू के कार्यकाल को सरकार और न्यायपालिका के बीच तीखे तकरार को लेकर जाना जाएगा। वह कई बार सार्वजनिक तौर पर जजों की नियुक्ति के मौजूदा कलीजियम सिस्टम पर सवाल उठा चुके हैं। वह अक्सर ‘अपारदर्शी’ बताते हुए कलीजियम सिस्टम की तीखी आलोचना कर चुके हैं। रिजिजू ने कलीजियम में सरकार को भी प्रतिनिधित्व देने की मांग को लेकर सीजेआई को खत भी लिखा था। उस खत के लीक होने पर विवाद भी हुआ था।

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