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“धर्म स्थलों पर पुन: लाउडस्पीकर स्वीकार्य नहीं” : योगी आदित्यनाथ ने प्रशासनिक अधिकारियों को दी चेतावनी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार की देर शाम अपने पांच कालिदास मार्ग स्थित सरकारी आवास पर शासन के वरिष्ठ अधिकारियों और जोन, रेंज जिला स्तर के अधिकारियों के साथ राज्य में कानूनव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करते हुए क्रिसमस के त्योहार को सकुशल संपन्न कराने और कहीं भी धर्मांतरण की घटना होने पाने की हिदायत दी. साथ ही धर्म स्थलों पर दोबारा लगाये जा रहे लाउडस्पीकर को हटाने पर जोर दिया.

शुक्रवार की देर रात जारी एक सरकारी बयान के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘कुछ माह पूर्व सहज संवाद के माध्यम से हमने धर्मस्थलों से लाउडस्पीकर हटाये जाने का अभूतपूर्व कार्य सम्पन्न किया था. लोगों ने व्यापक जनहित को प्राथमिकता देते हुए स्वतः लाउडस्पीकर हटाये थे. इसकी पूरे देश में सराहना हुई थी.”

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ जिलों में पुनः यह लाउडस्पीकर लगाए जा रहे हैं, यह स्वीकार्य नहीं है. तत्काल संपर्कसंवाद कर आदर्श स्थिति बनाई जाए.” इसी वर्ष अप्रैल माह में राज्य सरकार ने धर्म स्थलों से लाउडस्पीकर उतारने की कार्रवाई बड़े पैमाने पर की थी.

इस अभियान के बाद सात मई को झांसी मंडल की एक समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि राज्य में अब तक एक लाख से अधिक लाउडस्पीकर उतारे गए हैं. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि उतारे गए लाउडस्पीकर दोबारा लगने पाएं. योगी ने कहा कि धार्मिक आयोजन धार्मिक स्थलों के परिसर के भीतर ही सीमित होने चाहिए, किसी भी पर्वत्योहार का आयोजन सड़क पर नहीं होना चाहिए और इन आयोजनों से सामान्य नागरिकों के आवागमन में कोई असुविधा नहीं होनी चाहिए.

राज्य में धार्मिक स्थलों पर लगाए गए अवैध लाउडस्पीकर को हटाने तथा अन्य लाउडस्पीकर की आवाज को निर्धारित सीमा तक सीमित करने का अभियान पिछली 25 अप्रैल को शुरू हुआ था और एक मई तक चला.

अपर पुलिस महानिदेशक (कानूनव्यवस्था) प्रशांत कुमार ने लखनऊ में जारी एक बयान में कहा था कि अवैध रूप से लगाए गए लाउडस्पीकर सभी धार्मिक स्थलों से बिना किसी भेदभाव के हटाये जा रहे हैं और ऐसे सभी लाउडस्पीकर को अवैध की श्रेणी में रखा गया है, जिन्हें लगाने के लिए प्रशासन से अनुमति नहीं ली गई है. कुमार ने यह भी कहा था कि लाउडस्पीकर के सिलसिले में हो रही कार्रवाई के दौरान उच्च न्यायालय के आदेशों को भी ध्यान में रखा जा रहा है.

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