देश

उधर पेशावर में हो रहा था सिखों का कत्लेआम और कनाडा में पाकिस्तान संग साजिश रच रहा था खालिस्तानी अमृतपाल!

नई दिल्‍ली: खालिस्‍तान समर्थक अमृतपाल सिंह के संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के साथ पाकिस्‍तान कनेक्‍शन के पक्‍के सबूत हैं। यह भी तय है कि कनाडा में प्रमुख खालिस्‍तानी समर्थक भी इस कड़ी में जुड़े रहे हैं। पिछले साल मई में टोरंटो में हुई बैठक इसकी बानगी है। इस बैठक में कनाडा में पाकिस्‍तान के महावाणिज्‍यदूत (कौंसल जनरल) ने एक गुट से मुलाकात की थी। इसमें दलजीत सिंह कलसी शामिल था। दलजीत सिंह कलसी अमृतपाल सिंह का सहयोगी है। उसे हिरासत में लिया जा चुका है। गुरुग्राम से पुलिस ने उसे उठाया था। कलसी की मुलाकात के समय कनाडा में पाकिस्‍तान के कौंसल जनरल अब्‍दुल हमीद थे। टोरंटो के पास वॉन में हमीद के ऑफिस में कलसी मीटिंग के लिए पहुंचा था। इस मुलाकात का मकसद बाहर से कुछ और अंदर से कुछ और था। बताया गया था कि पेशावर में सिखों के कत्‍लेआम को लेकर एक ज्ञापन सौंपने के संबंध में कलसी ने यह मुलाकात की है। लेकिन, इस बैठक में कनाडा में खालिस्‍तान मूवमेंट से जुड़े नेता भी थे।

ये नेता थे बैठक में मौजूद
इन नेताओं में भगत सिंह ब्रार भी शामिल था। भगत सिंह ब्रार लखबीर सिंह रोडे का बेटा है। लखबीर सिंह इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन का प्रेसीडेंट है। कनाडा में यह एक घोषित आतंकी संगठन है। 2018 में कनाडा की सरकार ने ब्रार को नो-फ्लाय लिस्‍ट में डाला था। उसने फेडरेल कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी थी। लेकिन, कोर्ट ने सरकार के आदेश को कायम रखा था।इसी बैठक में अमरजीत मान भी था। यह ओंटारियो गुरुद्वारा कमिटी का प्रवक्‍ता और खालिस्‍तान समर्थक है। इनके अलावा जसबीर सिंह बोपरई, दीपेंदर लूंबा और सुखविंदर सिंह भी मौजूद थे। ये सभी खालिस्‍तान समर्थक हैं। हर साल कनाडा में भारत विरोधी प्रदर्शन आयोजित करने में इनका हाथ होता है।

प‍िछले साल हमीद ने छोड़ द‍िया था कनाडा
हमीद ने पिछले साल अगस्‍त में कनाडा छोड़ दिया था। अभी वह पाकिस्‍तान के विदेश मंत्रालय में महानिदेशक हैं। इसके अलावा और दो शीर्ष पा‍किस्‍तानी अधिकारी हैं जिनके साथ खालिस्‍तानी नेताओं के तार जुड़े रहे हैं। इनमें से एक है असगर अली गोलो और दूसरा है इमरान सिद्दीकी। इमरान सिद्दीकी को दिसंबर 2018 में एक कार्यक्रम में चीफ गेस्‍ट के तौर पर बुलाया गया था। इस कार्यक्रम का आयोजन खालिस्‍तान समर्थकों ने कराया था। पाकिस्‍तान सरकार और सेना प्रमुख जनरल जावेद बाजवा को करतारपुर कॉरिडोर शुरू करने के लिए की गई पहल पर धन्‍यवाद देना इसका मकसद था।

इसके अगले साल सिद्दीकी के लिए मुश्किल खड़ी हो गई थीं। उन पर पाकिस्‍तानी मूल के पत्रकार को धमकाने का आरोप लगा था। इसके तुरंत बाद सिद्दीकी ने कनाडा छोड़ दिया था। पाकिस्‍तान कौंसल जनरलों के खालिस्‍तानियों के साथ लिंक पुराने हैं। अमृतपाल मामले के साथ कड़‍ियां अब धीरे-धीरे जुड़ रही हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button