कंगाल पाकिस्तान को जून तक चुकाना होगा 3 अरब डॉलर का कर्ज, अब क्या करेंगे बड़बोले शहबाज शरीफ

इस्लामाबाद: कंगाली से जूझ रहे पाकिस्तान को अगले तीन महीनों में 3 अरब डालर का कर्ज चुकाना होगा। इस बीच पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के पास मौजूद विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घटता जा रहा है। इस बीच पाकिस्तानी अधिकारियों ने पुष्टि की है कि चीन ने 2 अरब डॉलर के सेफ डिपॉजिट के रोलओवर के लिए अपनी सहमति दे दी है। चीन के इस फैसले से कंगाल पाकिस्तान को थोड़ी बहुत राहत जरूर मिल गई है, लेकिन संकट अब भी पूरी तरह टला नहीं है। 10 मार्च 2023 को पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 4.3 अरब डॉलर था।
पाकिस्तान को जून तक चुकाने हैं 3 अरब डॉलर
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के अनुसार, देश को मौजूदा तिमाही (अप्रैल-जून) में 3 अरब डॉलर के अपने बाहरी ऋण दायित्वों का भुगतान करना है। इस भुगतान को पाकिस्तान तभी कर सकता है, जब उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बेलआउट पैकेज मिल जाए। अगर आईएमएफ से कर्ज नहीं मिलता है तो पाकिस्तान को किसी दूसरे माध्यम से कर्ज की तलाश करनी होगी। पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि अगर प्लान ए काम नहीं करता है तो हम प्लान बी तैयार करेंगे। प्लान ए आईएमएफ कार्यक्रम को पुनर्जीवित करना है।
मई 2023 में देना होगा 753 मिलियन डॉलर
द न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान को अप्रैल 2023 में मूलधन और मार्क-अप राशि के रूप में 3.16 अरब डॉलर का भुगतान करना होगा। मई 2023 में यह बाहरी ऋण चुकाने की राशि बढ़कर 753 मिलियन डॉलर हो जाएगी। जून 2023 में कुल बाहरी ऋण चुकौती आवश्यकताएं 1.894 अरब डॉलर तक बढ़ जाएंगी। पाकिस्तान के बाहरी कर्ज के भुगतान में आईएमएफ से मिले कर्ज का ब्याज और मूलधन शामिल नहीं है। हालांकि, आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कर्ज की यह राशि विनिमय दर में उतार-चढ़ाव के कारण भिन्न हो सकती हैं।
दोहरे संकट का सामना कर रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान इस समय दोधारी तलवार के हमले का सामना कर रहा है। पाकिस्तान को एक तरफ रोलओवर सहित 23 अरब डॉलर के बाहरी कर्ज को चुकाना होगा, वहीं दूसरी ओर विदेशी ऋण के रूप में डॉलर लाने की क्षमता भी काफी कम हो गई है। चालू वित्त वर्ष के लिए पाकिस्तान की कुल बाहरी कर्ज की आवश्यकताएं 23 बिलियन डॉलर हैं। चालू वित्त वर्ष की चालू तिमाही (जनवरी-मार्च) की अवधि में पाकिस्तान को बाहरी कर्ज को चुकाने के लिए 5.462 बिलियन डॉलर चुकाना था।