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सैटेलाइट भेजकर स्पेस से वापस आ जाएगा रॉकेट, ISRO के नए करिश्मे की हर बात जानिए

नई दिल्‍ली: भारत ऐसा रॉकेट बना रहा है जो स्‍पेस में सैटलाइट भेजकर वापस आ जाएगा। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने रीयूजेबल लॉन्च वीकल ऑटोनोमस लैंडिंग मिशन (RLV LEX) का रविवार को सफलतापूर्वक टेस्ट किया। रियूजेबल लॉन्च वीकल सैटलाइट भेजने के बाद वापस धरती पर लौट आएगा। इसके जरिए दोबारा किसी और सैटलाइट को लॉन्च किया जा सकेगा। अब तक के सैटलाइट लॉन्च वीकल आसमान में जाने के बाद नष्ट हो जाते थे। RLV की सफल लॉन्चिंग के बाद अब सैटलाइट भेजने में आने वाली लागत में कमी आएगी। यानी भारत भविष्य की सैटलाइट लॉन्चिंग मिशन और कम खर्च में पूरी कर सकेगा। एलन मस्क की स्पेस एक्स पहली ऐसी प्राइवेट कंपनी बनी थी, जिसने रियूजेबल लॉन्च वीइकल का सफल टेस्ट किया था।

लॉन्चिंग के आधे घंटे बाद खुद लैंडिंग

07:10 AM पर उड़ान भरी

07:40 AM पर लैंडिंग की

  • स्पेस एजेंसी ISRO ने रविवार को कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (ATR) पर रीयूजेबल लॉन्च वीइकल (RLV) का सफल टेस्ट किया।
  • RLV को चिनूक हेलिकॉप्टर से 4.50 किमी की ऊंचाई पर ले जाया गया और 4.60 किमी की रेंज पर छोड़ा गया।
  • इसके बाद रीयूजेबल लॉन्च वीइकल ने धीमी गति से उड़ान भरी। कुछ देर बाद उसने सफलतापूर्वक लैंडिंग की।

    अडवांस्ड टेक्नॉलजी से लैस है RLV

    • सटीक नेविगेशन
    • स्यूडोलाइट सिस्टम
    • स्वदेशी लैंडिंग गियर
    • ब्रेक पैराशूट सिस्टम
    • का-बैंड रेडार अल्टीमीटर

    RLV LEX से यह फायदा होगा

  • ISRO के बयान में कहा गया है, ‘RLV LEX के लिए विकसित समकालीन टेक्नॉलजी के अनुकूल ढलना ISRO के अन्य लॉन्च वीकल को भी अधिक किफायती बनाता है।’ इसरो ने इससे पहले मई 2016 में हाइपरसोनिक उड़ान प्रयोग मिशन के तहत RLV-TD वीकल की पुन: प्रवेश की क्षमता का सफल परीक्षण किया था, जो रीयूजेबल लॉन्च वीकल विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

    ISRO के अलावा, एयरफोर्स और दूसरे कई संगठनों ने इस टेस्ट में अहम योगदान दिया। एयरफोर्स टीम ने प्रोजेक्ट टीम के साथ काम किया रीलीज की स्थितियों को पूरा करने के लिए कई सॉर्टियां आयोजित कीं। अंतरिक्ष विभाग के सचिव और ISRO के चेयरमैन एस. सोमनाथ उन लोगों में शामिल थे, जो इस टेस्ट के गवाह बने।

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  • हालिया उपलब्धि पर इसरो का बयान

  • यह टेस्ट कर्नाटक के चित्रदुर्ग के एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (ATR) में किया गया। ISRO के मुताबिक यह एक शुरुआती टेस्ट था। एक बयान में कहा गया है, ‘इसके साथ ही ISRO ने स्पेस वीकल की ऑटोनोमस लैंडिंग में सफलता हासिल कर ली। LEX के साथ ही रीयूजेबल लॉन्च वीकल के क्षेत्र में भारत अपने लक्ष्य के एक और कदम करीब पहुंच गया।’

    दुनिया में पहली बार एक ‘विंग बॉडी’ को एक हेलिकॉप्टर की मदद से 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर ले जाया जाएगा और रनवे पर ऑटोनोमस लैंडिंग के लिए छोड़ा गया। इंडियन एयरफोर्स के चिनूक हेलिकॉप्टर के जरिए RLV ने भारतीय समयानुसार सुबह सात बजकर 10 मिनट पर (औसत समुद्र तल से) 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ान भरी।

    तय मापदंडों तक पहुंचने के बाद मिशन प्रबंधन कंप्यूटर की कमान के आधार पर RLV को बीच हवा में 4.6 किलोमीटर की क्षैतिज दूरी से छोड़ा गया। स्थिति, वेग, ऊंचाई आदि समेत 10 मापदंडों पर नजर रखी गई और इनके पूरा होने पर RLV को छोड़ा गया। RLV ने एकीकृत नेविगेशन, मार्गदर्शन और नियंत्रण प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए नीचे उतरना शुरू किया और उसने ऑटोनोमस तरीके से लैंडिंग की।

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