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महंगाई से थोड़ी राहत, अप्रैल में 18 महीने के निचले स्तर खुदरा महंगाई दर

नई दिल्ली: रिटेल महंगाई दर में गिरावट का दौर जारी है। खाने का सामान सस्ता होने से अप्रैल महीने में रिटेल महंगाई दर घटकर 18 महीनों के निचले स्तर 4.7 प्रतिशत पर आ गई। यह आरबीआई के टॉलरेंस बैंड यानी सहनीय दायरे में है। अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई दर अक्टूबर 2021 के बाद सबसे निचले स्तर पर आ गई है। उस समय यह 4.48 प्रतिशत पर थी। अहम बात है कि खाद्य महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई है।


राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार यह लगातार दूसरा महीना है जब रिटेल महंगाई दर रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे में है। आरबीआई को रिटेल महंगाई को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। मार्च में रिटेल महंगाई दर 5.66 प्रतिशत थी। पिछले साल अप्रैल महीने में यह 7.79 प्रतिशत थी। मार्केट एक्सपर्ट और इकॉनमिस्ट का मानना है कि रिटेल महंगाई दर के आंकड़े में नरमी जारी रह सकती है। ऐसे में अगली मॉनिटरी पॉलिसी में भी आरबीआई ब्याज दरों में बढ़ोतरी को विराम दे सकता है। यानी पॉलिसी दरों में बढ़ोतरी से परहेज कर सकता है।


आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रिटेल महंगाई दर का अप्रैल में घटकर 4.7 प्रतिशत पर आना ‘बेहद संतोषजनक’ है। इससे पता चलता है कि मॉनिटरी पॉलिसी सही रास्ते पर है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी की ग्रोथ रेट 6.5 प्रतिशत रहने का पूरा भरोसा है। हालांकि, उन्होंने यह टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि क्या रिटेल महंगाई के आंकड़े जारी होने के बाद आरबीआई कम आक्रामक हो जाएगा या नीति के रुख को बदल देगा। उन्होंने बस इतना कहा कि यह सब 8 जून की सुबह स्पष्ट हो जाएगा, जब अगली नीति समीक्षा होगी। बता दें कि आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक 6 से 8 जून को होगी।

अगली बार भी बदलाव नहीं : नाइट फ्रैंक इंडिया के डायरेक्टर (रिसर्च) विवेक राठी का कहना है कि रिटेल महंगाई दर 14 माह में पहली बार आरबीआई के ऊपरी स्तर के कम्फर्ट जोन में आ गया है। ऐसे में आरबीआई पर निश्चित तौर पर महंगाई को रोकने के ज्यादा प्रयास करने का दबाव कम हुआ है। इससे अगली मॉनिटरी पॉलिसी की समीक्षा में ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर रोक का सिलसिला जारी रह सकता है। इससे घर खरीदने वालों को काफी राहत मिलेगी। साथ ही रियल्टी सेक्टर को भी बूस्ट मिलेगा। आरबीआई कड़ा या राहत वाला कोई भी कदम लेने से बचेगा।


खाने-पीने की चीजों में नरमी?

रेटिंग एजेंसी इकरा की चीफ इकॉनमिस्ट अदिति नायर के अनुसार अप्रैल में औसत से अधिक बारिश और सामान्य से कम तापमान रहा, जिससे कुछ सब्जियों की कीमतों को नियंत्रण में रखने में मदद मिली। मई में भी खाद्य वस्तुओं की कीमतें नियंत्रण में रहने की संभावना है। अगर ऐसा रहा तो इसका पॉजिटिव असर रिटेल महंगाई दर पर पड़ना तय है।

खाने की चीजें सस्ती हुईं : खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर अप्रैल में 3.84 प्रतिशत रही जो मार्च में 4.79 प्रतिशत थी। एक साल पहले अप्रैल महीने में 8.31 प्रतिशत थी। अप्रैल में सब्जियों की महंगाई दर में 6.50 फीसदी की गिरावट देखी गई। खाद्य और पेय पदार्थ और ईंधन खंड के लिए रिटेल महंगाई दर का स्तर क्रमशः 4.22 और 5.52 प्रतिशत रहा। आरबीआई ने पिछले मॉनिटरी पॉलिसी की समीक्षा में कहा था कि रबी फसल की रेकॉर्ड फसल की उम्मीद खाद्य कीमतों के दबाव को कम करने के लिए अच्छी तरह से संकेत देती है। दूध की कीमतें गर्मी के मौसम में स्थिर रहने की संभावना है।

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